एक मनुष्य के शरीर में सात चक्र मौजूद होते हैं। मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रार…ये सभी उन सात चक्रों के ही नाम है। कहा जाता है कि कुंडलिनी योग के ज़रिए ही शरीर में मौजूद इन सात चक्रों को जागृत किया जाता है। कुण्डलिनी योग(Kundalini Yoga) को लय योग भी कहा जाता है। योग (Yoga) का ये वो महत्वपूर्ण प्रकार है जिसके ज़रिए व्यक्ति अपने भीतर मौजूद कुंडलिनी शक्तियों को जागृत कर सकता है और ब्रह्म शक्ति को पा सकता है। इस योग में पूरी ताकत के साथ मन को पूरी तरह से ब्रह्म में लीन करना होता है। अंग्रेज़ी में इस क्रिया को सरपेंट पावर” के नाम से जाना जाता है। आज अपने इस लेख में हम आपको कुंडलिनी योग(Kundalini Yoga) के अभ्यासों, उन्हे करने के तरीके और इसे करने के लाभ के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं। सबसे पहले बात करेंगे कुंडलिनी योग के अभ्यास के बारे में
अगर आप कुंडलिनी योग के ज़रिए अपने भीतर मौजूद शक्तियों को जगाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अलग-अलग सांस लेने के व्यायाम, शारीरिक कसरत, कुंडलिनी योग से संबंधित मंत्रों के जप व ध्यान लगाने की बेहद ज़रूरत होती है। दरअसल, इन सभी माध्यम से हमारे शरीर में मौजूद सभी सात चक्रों को क्रियाशील किया जा सकता है। इन चक्रों के जाग्रत होने का सीधा असर हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे विचारों पर भी पड़ता है और हमारे भीतर नकारात्मकता का अंत होकर सकारात्मकता का संचार होता है।
ये तो थी कुंडलिनी योग अभ्यास की जानकारी। लेकिन सवाल ये भी अहम है कि कुंडलिनी योग अभ्यास को करें कैसे…तो चलिए आपको इसे करने का सही तरीका बताते हैं।
कोई भी योग बिना पवित्रता के नहीं किया जा सकता है लिहाज़ा इस योग के लिए भी साधक को अपने मन व तन को पवित्र करना सबसे ज्यादा ज़रूरी है। इसके लिए साधक व्रत रखें, संयम रखें, अपने व्यवहार में उदारता लाएं और सबसे मीठा बोलें। कुंडलिनी योग के लिए दिनचर्या में भी सुधार ज़रूरी है यानि जल्दी उठें और जल्दी सोएं। वहीं सुबह और शाम को नियमित रूप से प्राणायाम, धारणा और ध्यान का अभ्यास करना चाहिए। अगर आप अपनी जीवनशैली में इस तरह से सुधार कर इस दिनचर्या को अपनाते हैं तो छह महीने से लेकर एक साल के भीतर कुंडलिनी जागरण किया जा सकता है। चलिए अब आपको कुंडलिनी योग के जागरण से होने वाले फायदों के बारे में बताते हैं।
कुंडलिनी योग एक बार जाग्रत हो जाए तो इससे असीमित सिद्धियों को हासिल किया जा सकता है। और सबसे बड़ी सिद्धि है नकारात्मकता का अंत और सकारात्मकता का संचार। लेकिन इसके अलावा आप अपने भीतर किन शक्तियों की अनुभूति कर सकते हैं वो भी आपको बता देते हैं। कुंडलिनी शक्ति के जागरण से
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