Top 5 Most Loyal Dogs In History In Hindi: कुत्ते इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं और कुत्तों को दुनिया का सबसे वफादार जानवर माना गया है। कहा जाता है कि, जो इंसान कुत्ते को भोजन कराता है और उसकी केयर करता है उस इंसान का साथ कुत्ता कभी नहीं छोड़ता है और मुसीबत के समय में उसके लिए अपनी जान तक दे सकता है।
जी हाँ कई ऐसे कुत्ते हुए हैं जिन्होंने अपने मालिक के प्रति वफादारी को निभाते हुए खुद की जान दे दी, आज के इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे ही कुत्तों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपने मालिक की याद और उनकी प्रतीक्षा में खुद की जान दे दी।
हाचिको एक जापानी प्रोफेसर का कुत्ता था जो अपने मालिक को रोज स्टेशन तक छोड़ने के लिए जाता था और यह उसकी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन गया था। लेकिन एक दिन जब दफ्तर में उसके मालिक की आकस्मिक मृत्यु हो गई और वो वापस नहीं आया तब भी हाचिको अपने मालिक का इंतजार करता रहा। मालिक को देखने और उनसे मिलने की उम्मीद में हाचिको करीब 10 सालों तक उसी स्थान पर जाता रहा और एक दिन इंतजार में उसकी भी मृत्यु हो गई। हाचिको की कहानी को अब जापान में वफादारी के उदाहरण के साथ पेश किया जाता है और उसके अवशेषों को आज भी जापान के एक संग्रहालय में संभाल कर रखा गया है।
बाल्टो एक साइबेरीयन नस्ल का हस्की था और यह उस टीम का हिस्सा था जिसने बर्फीले तूफान को पार करते हुए डिप्थीरिया महामारी की दवाई को नोम शहर पर पहुंचाया था। डिप्थीरिया महामारी की दवाई को एंकोरेज से पहुंचाना था और यह दूरी करीब 674 मील की थी। बाल्टो के साथ इस मिशन पर कई प्रोफेशनल डॉक्टर्स थे और आखिरी के 53 मील की दूरी को बाल्टो की मदद से पार किया गया था। बाल्टो की इस वफादारी और बहादुरी से खुश होकर इसे सम्मानित किया था और इसके साथ ही सेंट्रल पार्क न्यूयॉर्क में इसकी एक प्रतिमा भी लगी हुई है।
(Most loyal Dogs in History) ग्रेफियर्स बॉबी एक स्काई टेरियर था और यह स्कॉटलैंड के एडिनबर्ग पुलिस की स्पेशल टीम का हिस्सा था। ग्रेफियर्स बॉबी को संभालने की जिम्मेदारी जॉन ग्रे के पास थी और ग्रेफियर्स बॉबी जॉन के साथ काफी घुल-मिल गया था। 1858 में जब ग्रे की मृत्यु हो गई तो उनको दफनाते वक़्त ग्रेफियर्स बॉबी भी था और ये कई सालों तक अपने मालिक की कब्र के पास रहा और इसकी देख-रेख आस पास रहने वाले लोगों ने की थी।
फिदो एक मिश्रित नस्ल का कुत्ता था जो इटली में रहता था और एक बार ये जल गया तो इसका उपचार ईंट बनाने वाले एक मजदूर ने किया था, उसके बाद फिदो उसी मजदूर को अपना मान लिया और उसी के साथ रहने लगा। फिदो अपने मालिक को रोज बस स्टॉप तक छोड़ने आने लगा और जब एक दिन उसके मालिक की मृत्यु हो गई लेकिन यह बात फिदो को पता नहीं थी और वो सालों तक उसी स्टॉप पर अपने मालिक का इंतजार करने लगा। 14 सालों तक इंतजार के बाद 1950 के करीब उसकी भी मृत्यु हो गई। फिदो की मौत के बाद स्थानीय प्रशासन ने इसकी एक प्रतिमा का निर्माण कराया और यह प्रतिमा बोर्गो सैन लोरेंजो में स्थित है।
लाइका रूस की राजधानी मास्को का एक आवारा पिल्ला था जिसे सोवियत संघ ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए अंतरिक्ष भेजा था। अंतरिक्ष की परिस्थितियों का सामना करने के लिए इसे विशेष प्रकार से तैयार किया गया था और आखिरकार 1957 में इसे स्पुट्निक 2 के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया। लेकिन कुछ दिनों की दूरी को तय करने के बाद अंतरिक्ष यान अत्यधिक गर्म हो गया और लाइका का शरीर उस ताप को सहन नहीं कर पाया और इस वजह से उसकी मृत्यु हो गई। लाइका के इस बलिदान को आज भी सोवियत संघ ने याद किया हुआ है और उसकी याद में एक पट्टिका और स्मारक आज भी सुरक्षित मौजूद है।
कैप्शन – वफ़ादारियों के किस्से को बयान करती हैं कुत्तों की ये कहानियाँ
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