बता दें कि आयुर्वेद में तुलसी को दो प्रकार का बताया गया है। हरी तुलसी और काली तुलसी। बता दें कि वैसे तो इन दोनों की ही रासायनिक संरचना में कोई खासा फर्क नहीं हैं और इसी के साथ सेहत के लिए भी दोनों प्रकार की तुलसी काफी फायदेमंद होती है। तुलसी का उपयोग कई तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए घरेलु नुस्खे के रूप में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सुबह उठकर खाली पेट तुलसी की पत्तियों का सेवन करता है वह कई तरह के रोगों से दूर रहता है।
तुलसी के पौधों का अर्क स्वास्थय के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता है। तुलसी एक बेहेतरीन एंटी-आक्सिडेंट, एंटी-एजिंग, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-सेप्टिक, एंटी-वायरल, एंटी-फ्लू, एंटी-बायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी व एंटी-डिजीज है। बता दें कि तुलसी मुख्य रूप से पांच प्रकार की पायी जाती है। श्याम तुलसी, राम तुलसी, श्वेत सुरता, वन तुलसी एवं नींबू तुलसी। इन पांचो प्रकार की तुलसियों से तेल निकालकर श्री तुलसी का निर्माण किया जाता है।
आपको हैरानी होगी कि इस अर्क के उपयोग से 200 से अधिक रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। जैसे कि फ्लू, स्वाइन फ्लू, डेंगू, ज्वर, जुकाम, खांसी, मलेरिया, प्लेग, जोड़ो का दर्द, पथरी, मोटापा, ब्लड प्रेशर, शुगर, एलर्जी, पेट के कीड़े, जलन, मूत्र सम्बन्धी रोग, गाठिया, दमा, मरोड़, बवासीर, अतिसार, आंख का दर्द, दाद-खाज-खुजली, सिर दर्द, पायरिया, नकसीर, फेफड़ो की सूजन, अल्सर, हायपरटेंशन, स्ट्रेस, वीर्य की कमी, थकान आदि। इसी के साथ खाने के बाद श्री तुलसी के अर्क का दो बूंद सेवन करने से व्यक्ति को पेट संबंधी कोई भी परेशानी नहीं होती है।
तुलसी की पत्तियों में विटामिन और खनिज का भंडार होता हैं। तुलसी की पत्तियों में मुख्य रुप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन और क्लोरोफिल पाया जाता है। इसके अलावा तुलसी में सिट्रिक, टारटरिक एवं मैलिक एसिड पाया जाता है। ये सभी तत्व सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
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