वैसे तो महिलाएं बिंदी का इस्तेमाल आमतौर पर किया करती हैं। लेकिन सही मायने में बिंदी सुहागन महिलाओं के सोलह श्रृंगार में शामिल है। ऐसा कहते हैं कि घर कि महिलाएं अगर बिंदी लगाती हैं तो घर में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है। जिस हिस्से में बिंदी लगाते हैं। वह स्थान आज्ञा चक्र की होती है। जिसका संबंध मन से भी होता है। यहां बिंदी लगाने से मन की एकाग्रता भी बनी रहती है।
गजरे की खुशबू तो वैसे भी किसी के मन को मोह लेती है, लेकिन श्रृंगार में गजरे का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह फूलों का बना होता है।
विवाहित महिलाएं अपने माथे के बीच में एक तरह का आभूषण लगाती हैं। इस आभूषण को मांगटीका या टीका कहा जात है। आमतौर पर यह सोना या चांदी का बना हुआ होता है।
सिंदूर को सुहाग की निशानी भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मांग में सिन्दूर लगाने से पति की उम्र लंबी होती है, वैज्ञानिक कारणों की मानें तो सिंदूर लगाने वाले स्थान पर मस्तिष्क की एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथि होती है।
काजल का इस्तेमाल महिलाएं अपने आखों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए करती हैं। 16 श्रृंगार में शामिल काजल के प्रयोग से आंखों की हिफाजत भी कई सारे रोगों से होती है।
मंगलसूत्र महिलाओं के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा है, कहते हैं कि मंगलसूत्र में मौजूद काली मोतियां स्त्री पर किसी भी तरह की बूरी नजर का असर नहीं पड़ने देती हैं।
लाल रंग को ऐसे भी सुहाग की निशानी मानते हैं। विवाह के दौरान महिलाओं के लिए जरूरी होता है कि वह विवाह के समय लाल रंग के ही कपड़े को पहने।
किसी भी महिला के लिए मेहंदी भी अनिवार्य श्रृंगार माना गया है। कुंवारी लड़कियां भी कई बार शुभ मौकों पर अपने हाथों मे मेहेंदी लगाती हैं। कहते हैं कि जिन महिलाओं के हाथों में मेहेंदी जितनी रंग लाती है उसका होने वाला या मौजूदा पती उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है।
सोने या चांदी के कड़े स्त्रियां बाहों में धारण करती हैं, इन्हें बाजूबंद कहा जाता है। ये आभूषण स्त्रियों के शरीर से लगातार स्पर्श होते रहता है, जिससे धातु के गुण शरीर में प्रवेश करते हैं, ये स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं।
सुहागिन स्त्रियों के लिए नथ बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे महिलाएं अपने नाक में धारण करती हैं, इसे पहनने के लिए कानों की तरह नाक को भी छिदवाना पड़ता है। कुछ महिलाएं बिना नाक छिदवाए ही नथ पहन लेती हैं, लेकिन आपको बतादें कि नाक छिदवाने से एक्यूपंक्चर के लाभ मिलते हैं।
कानों में पहने जाने वाले कुंडल भी महिलाओं के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा होता है, यह सोना या चांदी का बनाया जाता है।
स्त्रियों को चूड़ी पहनना बहुत पसंद होता है। चूड़ियां लाह, कांच, सोना या चांदी जैसी धातुओं से तैयार की जाती है। विवाह के बाद चूड़ियां भी सुहाग की निशानी हो जाती है।
कमरबंद कमर में पहनने जाने वाला आभूषण है। पुराने जमाने में विवाह के बाद स्त्रियां कमरबंद को अनिवार्य रूप से पहना करती थी।
वैसे तो अंगूठी पहनना आम बात है, लेकिन यह भी सोलह सिंगार की सूची में शामिल एक गहना है।
पायल महिलाओं के पैरों में पहने जाने वाला एक महत्वपूर्ण गहना है। यह चांदी का बना होता है, पायल के घुंघरू की आवाज से घर का वातावरण सकारात्मक रहता है।
पैरों की उंगलियों में पहने जाने वाली अंगूठी को बिछुआ कहते हैं। जिसे महिलाएं शादी के बाद ग्रहण करती हैं।
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