Speech Therapy in Hindi: स्पीच थेरेपी यानी कि वाक्-चिकित्सा, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत बोलने में कठिनाई की समस्या से जूझ रहे व्यक्तियों या बच्चों को कई प्रकार की युक्तियों और तकनीकी चिकित्सा माध्यम से बोलने की क्षमता को विकसित करने में लाभ मिलता है और उनकी वर्तनी (भाषा) या बोलने की क्षमता में सुधार होता है। आमतौर पर जन्म के बाद किसी बच्चे में एक तय उम्र के बाद यह लक्षण दिखाई दे सकता है। ऐसी स्थिति में घबड़ाने की बजाय बहुत ही धैर्य से काम लेते हुए माता पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चे को स्पीच थेरेपी दिलवाएं।
स्पीच थेरेपी साधारण बोल-चाल में होने वाली कठिनाई का इलाज करने का एक कारगर तरीका है और इसके जरिए भाषाई विकार में सुधार लाया जा सकता है। आपने अक्सर ही देखा होगा कि छोटे बच्चे जब बोलना सीखते हैं तो शुरुवात में वह तोतली भाषा में बोलता है या फिर हकला कर बोलता है मगर बढ़ती उम्र के साथ जब ये आदत हो जाये तो निश्चित रूप से यह चिंता का विषय हो सकता है। यदि किसी बच्चे में एक तय उम्र के बाद भी इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो ऐसे बच्चे को स्पीच थेरेपी की जरूरत हो सकती है। इस समस्या के कुछ खास लक्षण हैं जिससे आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि आपका बच्चा या अन्य कोई इस समस्या से जूझ रहा है।
बताना चाहेंगे कि स्पीच थेरेपी उपचार, विकार के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। कभी-कभी हल्के विकार स्वयं का ख्याल रखते हैं, लेकिन अगर समस्या दूर नहीं होती है तो बिना देरी किये इलाज शुरू कर देना चाहिए। स्पीच थेरेपी के नियमित अभ्यास सत्र होते हैं। व्यायाम बोलने के लिए इस्तेमाल मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। सांस नियंत्रण और मांसपेशी मजबूती अभ्यास विकार को दूर करने में मदद करते हैं। थेरेपी सामान्य और धाराप्रवाह स्पीच में परिणाम देती है। घर से दूरी अधिक होने पर डॉक्टर, अभिभावकों को ही कुछ दिन स्पीच थेरेपी की ट्रेनिंग देते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि कई स्पीच थेरेपी सेंटर स्पीच डिसॉर्डर से पीडि़त बच्चों की मांओं को कुछ महीनों के अंतराल में 10-10 दिन की ट्रेनिंग देते हैं। अगर किसी वयस्क को यह समस्या है, तो भी उसे जितना जल्दी हो सके, किसी विशेषज्ञ से जांच करवा लेनी चाहिए।
स्पीच डिसॉर्डर या भाषाई विकार लोगों में निराशा या मायूसी की वजह बन सकता है। वे अकेलेपन के शिकार हो सकते हैं। निश्चित रूप से यह उनके सामाजिक जीवन और पढ़ने-लिखने की काबिलियत पर भी बुरा असर कर सकता है, इसलिए जरूरी है कि भाषाई विकार से ग्रस्त लोगों को सहयोग और उनकी मदद की जाए। बता दें कि स्पीच थेरेपी तब अधिक फायदा देती है जब बच्चों में कम आयु में ही शुरू की जाए। स्पीच थेरेपी के जरिए बातचीत या प्रतिक्रिया देने के दूसरे तरीकों के बारे में जानकारी मिलती है। इसके अलावा आपको यह भी बता दें कि स्पीच थेरेपी भाषा की जानकारी को बढ़ाने में भी मददगार होती है, जो पढ़ने-लिखने की काबिलियत बढ़ाने में कारगर है, जिससे चीजों के बारे में सोचना-समझना आसान हो जाता है। इससे आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है और वह धाराप्रवाह में बोलने लगते हैं, जिससे ना सिर्फ उनका बोलते समय का डर, चिंता, भय समाप्त होता है बल्कि उनके अंदर जो निराशा और मायूसी होती है वो भी समाप्त हो जाती है।
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। पसंद आने पर लाइक और शेयर करना न भूलें।
Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…
Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…
Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…
Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…
Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…
Parsi Death Ceremony in Hindi: दुनिया तेजी से बदल रही है और इसी क्रम में…