IPS Premsukh Delu: संघर्ष के बिना सफलता नहीं मिल पाती है। बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें कामयाबी तभी नसीब हो पाई है, जब उन्होंने खूब संघर्ष भी किया है। मतलब यह है कि जिनके अंदर चिंगारी हौसलों की रही है और चिराग जिन्होंने आंसुओं के जलाए हैं, अंत में जाकर कामयाबी ने उन्हीं के कदम चूमे हैं। यहां भी हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे इस मुकाम तक पहुंच पाएंगे, पर उन्होंने आईपीएस बनकर दिखाया। जी हां, यह कहानी है आईपीएस प्रेमसुख डेलू की, जिनकी कहानी वाकई प्रेरणा देने वाली है।
सफलता हासिल करने के बाद जब प्रेमसुख डेलू (Premsukh Delu )से यह सवाल किया गया था कि आखिर कैसे उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा हिंदी माध्यम के साथ पास कर ली तो उन्होंने इसके बारे में कहा कि ऐसा लोग कहते हैं कि यह कठिन है, लेकिन संसाधनों की कमी होने के बावजूद मैंने इसे कभी भी कठिन नहीं माना। सपने देखने में या बड़े सपने देखने में कोई बुराई नहीं है।
प्रेमसुख डेलू कितने प्रतिभावान हैं, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि 6 वर्षों में उन्हें 12 बार सरकारी नौकरी मिली, जबकि सरकारी नौकरी हासिल करना किसी के लिए भी बहुत ही कठिन होता है। जहां सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा बहुत ही कड़ी होती है और बहुत से लोग काफी मेहनत करने के बाद भी सरकारी नौकरी हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाते हैं, वहीं इतनी सरकारी नौकरी हासिल करके प्रेमसुख डेलू ने सभी को हैरानी में डाल दिया था। गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं प्रेमसुख डेलू, जो कि इस वक्त अमरेली जिले में एएसपी के पद पर सेवा दे रहे हैं।
प्रेमसुख दरअसल बचपन से ही बहुत ही होनहार रहे थे। प्रतिभा उनके अंदर बचपन से ही कूट-कूट कर भरी हुई थी। सबसे पहले उनकी सरकारी नौकरी लगने की शुरुआत वर्ष 2010 में हुई थी। बीकानेर जिले में उनकी पहली सरकारी नौकरी एक पटवारी के तौर पर लगी थी। फिर भी उनके अंदर कुछ बड़ा करने की चाहत छिपी हुई थी। यही वजह थी कि उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं रोकी, ताकि वे इससे भी बेहतर सरकारी नौकरी हासिल कर सकें।
इसके बाद ग्राम सेवक की परीक्षा में प्रेमसुख डेलू को पूरे राजस्थान में दूसरा स्थान हासिल हुआ। हालांकि, उन्होंने ग्राम सेवक के तौर पर ज्वाइन ही नहीं किया। उन्होंने ऐसा इसलिए किया, क्योंकि उसी वक्त राजस्थान में असिस्टेंट जेल परीक्षा का रिजल्ट आ गया था, जिसमें पूरे राजस्थान में उन्होंने टॉप किया था। ऐसे में वे असिस्टेंट जेलर के तौर पर ज्वाइन करने के लिए जा रहे थे, लेकिन इससे पहले राजस्थान पुलिस में भी सब इंस्पेक्टर के तौर पर उनका चयन हो गया। इस तरीके से एक ही वक्त में प्रेमसुख डेलू के हाथ में तीन-तीन सरकारी नौकरी आ गई थी और इन तीनों ही नौकरियों में उनका प्रदर्शन भी बहुत ही जबरदस्त रहा था। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके सपने कितने बड़े थे और उनकी मेहनत भी कितनी बड़ी थी कि उन्होंने इतनी सरकारी नौकरी की परीक्षा इतने कम वक्त में पास कर ली थी।
प्रेमसुख डेलू की इसके बाद कॉलेज व्याख्याता के तौर पर भी नौकरी लगी और फिर तहसीलदार के रूप में भी उन्होंने 6 वर्ष की अवधि में कई विभागों में सरकारी नौकरी की। फिर भी उन्होंने कभी भी खुद को मेहनत करने से नहीं रोका। आखिरकार सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 170वां रैंक हासिल कर लिया। हिंदी माध्यम के साथ सफल उम्मीदवारों की बात करें तो वे इसमें तीसरे स्थान पर रहे थे। प्रेमसुख डेलू की कामयाबी यह प्रेरणा देती है कि यदि आपके प्रयत्नों में निरंतरता रहे और आपकी मेहनत सच्ची हो तो कामयाबी आपको मिलनी ही है।
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