Eco Friendly Products: एक वक्त था जब मनोरंजन के लिए हम ऐसे गेम्स खेलते थे, जिससे कि हमारी बौद्धिक क्षमता में भी इजाफा हुआ करता था। हालांकि, समय बीतने के साथ परंपरागत गेम्स एक तरह से अब विलुप्त होने के कगार पर जा पहुंचे हैं। हमारी आने वाली पीढ़ी को यदि इन से रू-ब-रू कराया जाए तो संभव है कि वे कभी इसके बारे में जान ही न सकें। ऐसे में कल्याणी गोंगी (Kalyani Gongi) नामक एक युवती ने एक ऐसी पहल की है, जिसके जरिए आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को अपने इन परंपरागत गेम्स से परिचित कराया जा सके और वापस उन्हें इसकी और लौटाया जा सके।
प्रकृति के नजदीक कल्याणी गोंगी (Kalyani Gongi) बचपन से ही रही थीं। औषधीय पेड़-पौधों के साथ जड़ी-बूटियों एवं पारंपरिक फसलों की जानकारी उन्हें अपने पिता से मिल गई थी, जो कि जैविक खेती करते थे। इसके अलावा प्राकृतिक चीजों से खिलौने और कलाकृतियां आदि बनाने की भी प्रेरणा उन्हें अपने पिता से मिली थी। पर्यावरण के प्रति बचपन से ही वे संवेदनशील रहीं। इंजीनियरिंग से कल्याणी ने ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने यह ठान लिया कि अपने पिता और पूर्वजों से जो उन्हें विरासत में चीजें मिली हैं, उन्हें वे आगे भी कायम रखेंगी। ऐसे में वर्ष 2011 में एनशिएंट लिविंग नामक एक स्टार्टअप की कल्याणी ने शुरुआत कर दी। इसका मुख्य उद्देश्य इकोफ्रेंडली लाइफस्टाइल के विकल्प को लोगों को उपलब्ध कराना है।
बालों की अच्छी तरह से देखभाल के लिए या फिर त्वचा का ख्याल रखने के लिए पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद तैयार करना, रसायनों से मुक्त उत्पाद बनाना और जैविक उत्पादों को बढ़ावा देना कल्याणी के स्टार्टअप का हिस्सा हैं। यही नहीं, पुराने समय में जो बोर्ड गेम जैसे कि पच्चीसी, अष्टा चम्मा, लूडो और सांप-सीढ़ी का खेल खेले जाते थे, उन्हें भी एक बार फिर से कल्याणी अपने स्टार्टअप के जरिए जीवंत करने में लगी हुई हैं। कल्याणी का इसके बारे में कहना है कि पूर्वजों द्वारा जो ये गेम्स मनोरंजन के लिए खेले जाते थे, इनसे बौद्धिक क्षमता में बढ़ोतरी होती थी। ऐसे में यह जरूरी है कि आने वाली पीढ़ी को भी इसकी जानकारी दी जाए, ताकि बचपन से ही उनके अंदर तरह-तरह के कौशल और गुरों का विकास अच्छी तरह से हो सके।
कल्याणी ने अपने स्टार्टअप के लिए एक टीम बना रखी है, जिसमें उत्पाद तैयार करते वक्त परफ्यूम, सल्फेट, पराबेन या सिंथेटिक डाई का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है साथ ही चीजों को पैक भी या तो क्राफ्ट पेपर या फिर ग्लास बोतल में किया जाता है। कल्याणी के मुताबिक एक-एक चरण पर वे विशेष ध्यान दे देती हैं और गुणवत्ता का इसमें विशेष ख्याल रखा जाता है।
अपने स्टार्टअप के जरिए कल्याणी तेलंगाना के साथ इसके आसपास के इलाकों में उन लोगों को ढूंढ रही हैं, जिन्हें कि कला के प्राचीन रूपों की जानकारी है। इन्हें वे प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही हैं, ताकि पारंपरिक कला के साथ पारंपरिक खेलों को दोबारा वही लोकप्रियता दिलाई जा सके जो कि उन्हें पहले हासिल थी। लूडो और पच्चीसी इनके लकड़ी से बने होते हैं और लकड़ी के डिब्बे में इन्हें पैक किया जाता है। लकड़ी के डिब्बों को भी इनके कलाकार ही तैयार कर रहे हैं। किसानों और कारीगरों से इनके सभी उत्पाद सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।
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विद्या नाम से एक और पहल कल्याणी ने महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए की है। साथ ही उनकी टीम अब तक खुशबूदार मोमबत्ती, कागज के बैग और कपड़े आदि तैयार करने की ट्रेनिंग अब तक 70 से भी अधिक महिलाओं को दे चुकी है। जो महिलाएं रोजाना इनकी फैक्ट्री में आकर काम नहीं कर सकती हैं, उन्हें घर से ही काम करने की आजादी इन्होंने दे रखी है।
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