नागरिकता संशोधन कानून यानी कि CAA को लेकर जो विरोध-प्रदर्शन पिछले दो माह से दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में चला रहा है। उसकी वजह से यह बेहद मशहूर हो गया है। यहां बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी अपने हाथों में विरोध-प्रदर्शन की कमान संभाल रखी है। NRC, NPR और CAA का ये जमकर विरोध कर रही हैं। प्रदर्शनकारी यहां चीख-चीख कर इन सभी का विरोध कर रहे हैं। सर्दी के मौसम में भी प्रदर्शनकारी शाहीन बाग में डटे रहे हैं।
विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों की भी मौजूदगी है। ऐसे में इन प्रदर्शनकारियों की मदद के लिए कई लोग भी सामने आ रहे हैं। इनके नाश्ते से लेकर इनके भोजन तक का इंतजाम इनके द्वारा किया जा रहा है। जो लोग शाहीन बाग (Shaheen Bagh) के प्रदर्शनकारियों की मदद करने में जुटे हैं, उनमें डीएस बिंद्रा (DS Bindra) नाम के एक शख्स भी शामिल हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को लंगर कराने के लिए अपने फ्लैट तक को बेच दिया है।
एक वेब पोर्टल पर इसके बारे में खबर प्रकाशित की गई है। इसमें डीएस बिंद्रा को दिल्ली हाई कोर्ट का वकील बताया गया है। खबर के अनुसार शाहीन बाग (Shaheen Bagh) के प्रदर्शनकारियों को वे पहले से ही लंगर करा रहे हैं। तीन फ्लैट उनके पास थे। ऐसे में जब उनके पास कैश की कमी हो गई तो उन्होंने इनमें से एक फ्लैट को बेच डाला। बिंद्रा द्वारा उठाए गए इस कदम की सोशल मीडिया में खूब सराहना की जा रही है। पोस्ट पर बहुत से यूजर्स ने प्रतिक्रिया दी है। इन्हीं में से एक यूजर ने डीएस बिंद्रा का एक वीडियो भी यहां शेयर किया है। इस वीडियो को शेयर करने के साथ उन्होंने यह भी लिखा है कि शाहीन बाग में चाय और नाश्ते का इंतजाम कौन कर रहा है, यह देख लो। कौन यहां बिरयानी खिला रहा है, देख लो। इस यूजर ने यह भी लिखा है कि शाहीन बाग का विरोध करने वाले यह देख लें कि इन दीवानों के नाम इतिहास में लिखे जाने वाले हैं। यहां लंगर चलाने के लिए एक सिख भाई ने अपने फ्लैट तक को बेच दिया है।
जो वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने लगा है, इसमें बिंद्रा को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि एक बार यदि लंगर चालू हो जाता है तो हम उसे कभी भी बंद नहीं करते। पिछले 537 वर्षों से लंगर की परंपरा चलती आ रही है। वे यह भी कह रहे हैं कि यह कोई कैमरे पर बोलने वाली चीज तो है नहीं, लेकिन फिर भी वे बता देते हैं कि तीन फ्लैट उनके पास थे। इनमें से एक को उन्होंने बेच दिया है। जो पैसे उनके पास आए हैं, उससे लंगर चलता जा रहा है।
बिंद्रा ने यहां यह भी लिखा है कि पहले तो उन्हें ऐसा करने से उनकी पत्नी ने बहुत रोका था, मगर अब वे भी उनकी इस काम में मदद करने लगी हैं। बिंद्रा का कहना है कि यदि उन्हें एक साल और लंगर चलाना पड़े तो भी वे पीछे नहीं पड़ने वाले हैं। उनके पास अभी भी दो फ्लैट बचे हैं। यदि जरूरत पड़ती है तो वे इन्हें बेचने से भी नहीं चूकेंगे। इस लंगर की शुरुआत उन्होंने पंजाब से आने वाले जरूरतमंद लोगों के लिए की थी। उनके मुताबिक इसे एक बार शुरू किए जाने पर फिर बंद नहीं किया जाता है।
डीएस बिंद्रा (DS Bindra) के दो बच्चे हैं। उनका बेटा जहां मोबाइल की दुकान चला रहा है तो वहीं उनकी बेटी एमबीए की पढ़ाई कर रही है। उन्होंने लोगों की सेवा करने के उद्देश्य से लंगर की शुरुआत की थी। बिंद्रा इसे लेकर यह बता रहे हैं कि आयकर वाले यह सोचते हैं कि आखिर उनके पास लंगर कराने के लिए इतने पैसे कहां से आ रहे हैं? बिंद्रा ने कहा है कि उनके पास सारे कागजात मौजूद हैं। इनमें फ्लैट को बेचे जाने की तारीख के साथ उस राशि का भी जिक्र है, जितने में इसे बेचा गया है। केवल शाहीन बाग ही नहीं, बल्कि दिल्ली के मुस्तफाबाद और खुरंजी में भी डीएस बिंद्रा लंगर करवा चुके हैं।
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