आधी आबादी की अपने देश में कुछ दशक पहले तक क्या स्थिति रही है, यह किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में हमारे समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने आधी आबादी के लिए कुछ ऐसा किया है जो बाकी लोगों के लिए मिसाल बन गया है। इन्हीं में से एक हैं अनीता गुप्ता। अनीता गुप्ता जो इस वक्त 44 साल की हैं और जो बिहार ले आरा जिले के भोजपुर में रहती हैं, वे अब तक 50 हजार से भी अधिक महिलाओं को तरह-तरह का हुनर सिखा कर उन्हें सक्षम बना चुकी हैं। अनीता ने बचपन से ही देखा है कि महिलाओं पर किस तरह से अत्याचार होता है। किस तरीके से उनकी ख्वाहिशें दबा दी जाती हैं। किस तरीके से घर में उन्हें केवल नौकरानी की तरह समझा जाता है। बचपन में ही अनीता गुप्ता ने ठान लिया था कि बड़े होकर वे इन्हीं महिलाओं के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाली हैं।
अनीता अपने सात भाई-बहनों में पांचवें नंबर पर थीं। हालांकि, जमीदार परिवार से ताल्लुक रखने पर भी जल्द ही उनका जीवन परेशानियों में घिर गया, क्योंकि कम उम्र में ही पिता का निधन हो गया। सारी जिम्मेवारी मां के कंधों पर आ गई। फिर भी निर्भर चाचा पर होना पड़ा। बहुत ही मुश्किल से अनीता के परिवार को वे पैसे दिया करते थे, क्योंकि उन पर उनकी मां के अलावा उनकी छह बहनों और एक भाई को पालने का बोझ था। ऐसे में पढ़ाई लिखाई तो उनके लिए बहुत ही दूर की बात थी। चाचा केवल सब की शादी करवा देना चाहते थे। अनीता के हवाले से मीडिया में बताया गया है कि पढ़ने की उनकी चाहत बचपन से रही थी। नियमित तौर पर पढ़ाई करना मुमकिन ना हुआ तो दूरस्थ शिक्षा से उन्होंने स्नातक कर लिया। साथ में कई सारे हाथों वाले हुनर सीख लिए, क्योंकि वे मानती थीं कि कम पढ़े लिखे भी हों, मगर हाथों में हुनर हो तो कम-से-कम कोई अपना पेट तो पाल ही सकता है।
सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, डाई, ज्वैलरी मेकिंग और जुट का काम जैसे हुनर उन्होंने सीख लिए। चाचा से जो पैसे मां को मिलते थे, घर चलाना उससे आसान नहीं था। ऐसे में उन्होंने ठान लिया कि हाथों के इस हुनर से वे अपना खर्च निकाल लेंगी। यही करते-करते उन्होंने आस-पड़ोस में रहने वाली महिलाओं को भी सिलाई-कढ़ाई सिखाना शुरू कर दिया। संदेश फैला दिया कि हर कोई अपनी बेटी को उनके पास सीखने के लिए भेज सकता है। हालांकि शुरू में लोगों ने यह कहकर मना किया कि यदि बड़े घर की बेटियां कमाएंगी तो क्या होगा, लेकिन फिर भी धीरे-धीरे लोगों ने अपनी बेटियों को भेजना शुरू कर दिया। अनीता ने 1993 में दो लड़कियों के साथ भोजपुर महिला कला केंद्र की शुरुआत कर दी।
अनीता बताती हैं कि उस वक्त उनके दिमाग में केवल दो ही चीजें चल रही थीं। एक तो उन्हें खुद की कमाई करनी थी और दूसरा लड़कियों को इस तरह का काम सिखा कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर देना था। कारवां बढ़ता चला गया। दो से लड़कियां कब 200 तक ट्रेनिंग के लिए पहुंच गयीं, पता तक नहीं चला। आसपास के इलाकों में भी धीरे-धीरे यह मशहूर होता चला गया। इसी दौरान जिला अधिकारियों ने ग्रामीण विकास अधिकरण के तहत जुट प्रोडक्ट्स बनाने की ट्रेनिंग का प्रोजेक्ट भी गांव की महिलाओं को ही दे दिया। अनीता के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के बाद वे लोग आगे बढ़ते ही चले गए और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनीता बताती हैं कि उन्होंने अपनी छोटी बहन और भाई तक को पढ़ा-लिखा दिया। घर की स्थिति सुधरती चली गई।
सामाजिक संगठन के तौर पर उन्होंने वर्ष 2000 में भोजपुर महिला कला केंद्र का रजिस्ट्रेशन करवा लिया। आस-पास के गांवों में भी प्रशिक्षण के लिए कैंप लगाना शुरू कर दिया। जागरूकता का कार्यक्रम भी चलाया जाने लगा। इस तरह से अब तक अनीता के मुताबिक करीब 50 हजार महिलाओं एवं लड़कियों को सिलाई, कढ़ाई, ज्वैलरी मेकिंग जैसे कई स्किल्स की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। अनीता गुप्ता ने करीब 6000 महिलाओं को हस्तशिल्प विभाग से अपना कारीगर पहचान पत्र बनवाने में भी सहयोग किया है। यदि कोई महिला अपना खुद का काम शुरू करना चाहती है, तो इस पहचान पत्र से उन्हें सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लिए लोन भी आसानी से प्राप्त हो जाता है।
Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…
Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…
Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…
Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…
Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…
Parsi Death Ceremony in Hindi: दुनिया तेजी से बदल रही है और इसी क्रम में…