Sabyasachi Mukherjee: दुनियाभर में सब्यसाची मुखर्जी की पहचान है। इस फैशन डिजाइनर के कपड़ों से लेकर एक्सेसरीज तक की दीवाने न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी हैं। इस बात में बिल्कुल भी दो राय नहीं कि आज के दौर में जो सबसे सफल फैशन डिज़ाइनर हैं, उनमें से सब्यसाची भी एक हैं, मगर एक वक्त ऐसा भी था जब वे अपनी जान लेना चाह रहे थे। यह वह वक्त था जब उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। उम्र भी उस वक्त उनकी ज्यादा नहीं थी। जो कदम उन्होंने उस वक्त उठाया था, उनका परिवार भी इससे एकदम हैरान रह गया था।
सोशल मीडिया की एक पोस्ट में सब्यसाची की ओर से खुलासा किया गया था कि जिस वक्त वे किशोरावस्था में थे, उस दौरान करीब 7 वर्षों तक डिप्रेशन से उन्हें लड़ाई लड़नी पड़ी थी। यह वह वक्त था जब खुद को सब्यसाची समझ नहीं पा रहे थे। ऊपर से जब कोलकाता उनका परिवार चंदननगर से शिफ्ट हो गया था तो उनके लिए यह एक बड़ा बदलाव लेकर आया था। एक इंटरव्यू में फैशन डिजाइनर ने बताया था कि छोटे से पेरिस में शिफ्ट होने जैसा यह उनके लिए था।
दरअसल सब्यसाची बदलाव की वजह से और खुद को अभिव्यक्त नहीं कर पाने की वजह से डिप्रेशन का शिकार हो गए थे। नकारात्मक भावनाएं उन पर इतनी अधिक हावी हो गई थीं कि 17 साल की उम्र में उन्होंने आत्महत्या करने का भी प्रयास किया था। उन्होंने बताया था कि मैं बेहोश पड़ा हुआ था। मेरी मां ने उस हालत में मुझे थप्पड़ मारा था कि मैं होश में आ जाऊं। सब्यसाची के मुताबिक सुसाइड करने में वे कामयाब नहीं रहे थे। यह उनकी जीवन की एक ऐसी घटना थी, जिसके बाद पूरा परिवार भी हिल गया था।
अब वक्त था खुद को अभिव्यक्त करने का। ऐसे में सब्यसाची ने अपने कपड़े पहनने से लेकर बालों को स्टाइल करने तक के तरीकों को बदल डाला। मैडोना के फैशन से वे बहुत हद तक प्रेरित हुए। उन्होंने रिप्ड जींस पहनना शुरू कर दिया। स्टाइल के लिए इसमें सेफ्टी पिंस लगी होती थीं। बालों का कलर भी बिल्कुल बोल्ड और एकदम हटकर होता था। कभी यह ऑरेंज होता था तो कभी किसी और रंग का। खुद को अभिव्यक्त करने का जो यह तरीका उन्होंने अपनाया, इससे उन्हें भावनात्मक तौर पर बड़ी राहत मिली। हालांकि, अपने इस फैशन की वजह से वे बुलीइंग का भी शिकार हुए।
यह भी पढ़े:
सब्यसाची की मॉडल जिसने रातों-रात बदले खूबसूरती के मायने, हर फैशनिस्टा की बनीं प्रेरणा
जिंदगी में आगे क्या करना है, यह सब्यसाची सोच नहीं पा रहे थे। यही कारण था कि पहले तो इन्होंने मेडिसिन की पढ़ाई की और उसके बाद इकोनॉमिक्स की। इनके मुताबिक खुद की पसंद के बारे में ज्यादा सोचने के लिए डिप्रेशन ने उन्हें मजबूर किया। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करते हुए एक इवेंट में सब्यसाची ने कहा था कि यदि वे डिप्रेशन का शिकार नहीं हुए होते तो शायद गूगल में नौकरी कर रहे होते।
Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…
Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…
Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…
Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…
Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…
Parsi Death Ceremony in Hindi: दुनिया तेजी से बदल रही है और इसी क्रम में…