Rajasthan Udaipur: समाज और देश में हर बदलाव केवल सरकार के ही प्रयासों से ही नहीं आ सकता। इसके लिए देशवासियों को भी अपने स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। यदि हममें से हर कोई अपने समाज और अपने देश की प्रति अपनी जिम्मेवारियों को समझ लें तो फिर उन बदलावों को ला पाना कठिन नहीं, जिनकी हमें दरकार है। देश के कई हिस्सों में ऐसे बदलाव लाने के लिए अभियान चल रहे हैं और इन्हीं में से एक अभियान राजस्थान के उदयपुर (Rajasthan Udaipur) में भी कुछ युवा मिलकर चला रहे हैं, जिसे उन्होंने सिद्धम नाम दिया हुआ है।
ये युवा दरअसल मोहनलाल सुखाड़िया विश्विद्यालय के छात्र हैं। इसके आसपास जो गरीब और जरूरतमंद बच्चे रहते हैं, उन्हें जरूरत की चीजें उपलब्ध कराने का इन युवाओं ने अभियान चला रखा है। इस अभियान को शुरू करने के बाद ये छात्र यहां से पासआउट हो गए हैं, लेकिन अभी भी वे अपने इस अभियान को तो आगे बढ़ा ही रहे हैं, साथ में नए स्टूडेंट्स भी उनके साथ हो लिए हैं। इसके अलावा बाकी लोग भी इससे प्रेरित होकर उनके इस काम में मदद कर रहे हैं।
इस अभियान से जुड़े सिद्धार्थ इस बारे में बताते हैं कि एक बार वे लोग यहां आस-पास के गांव में घूमते हुए पहुंच गए थे। ढींकली नाम के एक गांव में उन्होंने देखा कि यहां स्कूल जाने वाले बच्चों के पास बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। ठंड के दिनों में भी उन्हें नंगे पैर स्कूल जाना पड़ रहा है। उनके पास स्कूल यूनिफॉर्म और जूते तक नहीं हैं। तभी उन्होंने ठान लिया कि गांव के गरीब बच्चों को जिन जरूरत की चीजों की आवश्यकता है, वे उन्हें उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद उन्होंने मन बना लिया कि अब वे हर हाल में इनकी मदद करना शुरू करेंगे।
उन लोगों ने पैसे जमा किए। इन बच्चों के लिए स्वेटर खरीदा। इन बच्चों के लिए 35 जोड़े जूते भी खरीदे। इन्हें लेकर वे स्कूल में पहुंच गए। इन बच्चों को जब उन्होंने ये चीजें दीं तो उनके चेहरे पर जो खुशी उभर कर सामने आई, वह इनके मुताबिक देखने लायक थी। अपने इस अभियान को इन स्टूडेंट्स ने सिद्धम का नाम दे दिया। सिद्धम नाम इसलिए दिया, क्योंकि इनका लक्ष्य था बच्चों की मदद करना। अपने इस लक्ष्य को सिद्ध करना। इसलिए उन्होंने अपनी इस अभियान को अब जोर-शोर से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। उनका अभियान अपने पैर पसारते हुए 11 गांवों के 20 सरकारी स्कूलों तक पहुंच गया। यहां उन्होंने बच्चों को जरूरत की चीजों के साथ पाठ्यसामग्री व स्टेशनरी सामग्री आदि भी मुहैया कराना शुरू कर दिया।
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इन युवाओं का कहना है कि जब वे इन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान तैरती हुई देखते हैं तो इससे उनका जज्बा, उनका जोश और बढ़ जाता है। इनके मुताबिक जब गांव में वे पहुंचे तो वहां उन्होंने देखा कि इनके पास मूलभूत सुविधाओं की काफी कमी है। स्कूल जाने वाले बच्चों के पास स्कूल यूनिफॉर्म तक नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले यहां के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल यूनिफार्म मुहैया कराना शुरू किया। गांव के स्कूलों में बिजली-पानी की उन्होंने बड़ी समस्या देखी। इसके अलावा बच्चों ने यह भी बताया कि उन्हें मिड डे मील भी सही तरीके से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
युवाओं ने अब ठान लिया कि इस तरह की सभी समस्याओं को भी यहां से वे दूर करके ही दम लेंगे। उन्होंने यहां के ग्राम प्रधान से बात की। इन युवाओं की पहल का ही यह नतीजा रहा कि यहां के पांच स्कूलों में बिजली-पानी की अच्छी व्यवस्था हो गई है। इसके अलावा भी ये लोग अपने इस प्रयास में लगे हुए हैं कि गांव के सभी सरकारी स्कूलों में अच्छी व्यवस्था उपलब्ध हो। मिड डे मील की क्वालिटी पर भी इन युवाओं ने ध्यान देना शुरू कर दिया। उन्होंने प्रशासन तक इसके लिए बात पहुंचानी शुरू कर दी। इसका परिणाम यह निकला कि बच्चों को अब मिड डे मील में अच्छा भोजन खाने के लिए मिलने लगा। बच्चों के लिए और गांव वालों के लिए ये लोग हेल्थ चेकअप का कैंप भी लगाते रहते हैं।
अब सवाल उठता है कि इनके पास इनके लिए पैसे कहां से आते हैं? इनका कहना है कि ये लोग अपनी पॉकेट मनी से पैसे देते हैं। राजस्थान के उदयपुर (Rajasthan Udaipur) बहुत से स्टूडेंट्स भी इसके लिए योगदान दे रहे हैं। साथ ही ये लोग क्राउड फंडिंग के जरिए भी पैसे का इंतजाम कर रहे हैं और इन पैसों की मदद से इन बच्चों को जरूरत की चीजें उपलब्ध करा रहे हैं। इन्होंने अपने इस अभियान को बतौर एनजीओ पंजीकृत भी करवा लिया है, ताकि वे आसानी से अपने इस काम को अंजाम दे सकें और इसमें कोई रोक-टोक न कर सके। युवाओं की यह पहल वाकई बाकी युवाओं को प्रेरणा देने वाली है।
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