Army Officer Dhawan Sarthak: मेहनत जो करते हैं, कामयाबी आखिरकार उन्हीं के कदम चूमती है। बीते दिनों आईएमए यानी कि इंडियन मिलिट्री एकेडमी की पासिंग आउट परेड के दौरान भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। महाराष्ट्र के कोल्हापुर के एक स्कूल रिक्शा चलाने वाले के बेटे धवन सार्थक शशिकांत इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास आउट होकर आर्मी ऑफिसर बन गए।
धवन की मां की मौत एक रोड एक्सीडेंट में 4 साल पहले हो गई थी। धवन के परिवार में उनके पिता के अलावा उनके एक बड़े भाई भी हैं। धवन के पिता को उन्हें आर्मी ऑफिसर हर हाल में बनाना था। Army Officer Dhawan Sarthak यही वजह थी कि अपने बेटे को ऑफिसर बनाने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की। आखिरकार उनकी मेहनत का फल उन्हें मिल ही गया। रिक्शा चालक का बेटा आर्मी ऑफिसर बन ही गया।
धवन बताते हैं कि उनके पिता ने काफी जद्दोजहद की है उन्हें पालने के लिए। न केवल उन्होंने परिवार को अच्छी तरह से पाला है, बल्कि उन्होंने उनकी पढ़ाई भी अच्छी तरीके से करवाई है। धवन बताते हैं कि रुपए की तंगी होने के बाद भी उनके पिता ने उन्हें कभी भी किसी चीज की कोई कमी महसूस नहीं होने दी। वे जी-तोड़ मेहनत करते रहे, लेकिन अपने बच्चों को उन्होंने सब कुछ देने की पूरी कोशिश की।
धवन के मुताबिक उनके पिता चाहते थे कि वे जिंदगी में अच्छा करें। यही वजह रही कि उन्होंने उनका दाखिला भी अच्छे स्कूल में करवाया। रिक्शा चलाकर जो उन्होंने पैसे कमाए, उसी से उन्होंने उनके लिए किताबें भी खरीदी। धवन बताते हैं कि जब एनडीए में मेरा चयन हो गया तो मेरे परिवार में खुशी का एक अलग ही माहौल बन गया था।
आईएमए के पासिंग आउट परेड के दौरान धवन बड़े ही खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। रिक्शा चालक के बेटे धवन ने कहा कि आज मैं यहां से पास आउट हो गया हूं। मैं ऑफिसर बन गया हूं। इस वक्त मेरा परिवार मेरे साथ यहां मौजूद नहीं है, लेकिन फिर भी मैं उन्हें महसूस कर सकता हूं। दुआएं मेरे परिवार की हमेशा मेरे साथ हैं।
कोरोनावायरस बीमारी इस वक्त फैली हुई है। यही वजह रही कि इस बार आईएमए की पासिंग आउट सेरेमनी में किसी भी जेंटलमेन के परिजनों को बुलावा नहीं भेजा गया था। इसी कारण से धवन के भी परिवार वाले पासिंग आउट सेरेमनी का हिस्सा नहीं बन सके।
आईएमए की पासिंग आउट परेड के दौरान यहां से पास आउट होकर 423 कैडेट्स सेना में अधिकारी बन गए। रिक्शा चालक के बेटे धवन का कहना है कि उनका बचपन बहुत ही परेशानियों के बीच गुजरा है। उनके पिता ने उन्हें आर्मी ऑफिसरArmy Officer Dhawan Sarthak बनाने के लिए क्या कुछ नहीं किया है। उनकी हमेशा से पूरी कोशिश रही कि उनका बेटा बड़ा होकर सब का नाम रोशन करे।
आज भी धवन के पिता रिक्शा चला रहे हैं। स्कूल रिक्शा चलाकर ही उन्होंने अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दी है। धवन अब अपने पिता का सहारा बनने के लिए तैयार हैं। धवन कहते हैं कि उनके परिवार ने जो उनके लिए इतनी मेहनत की है, उसी से उन्हें हमेशा जिंदगी में अच्छा करने की प्रेरणा मिलती रही है। उन्हें इस बात की बड़ी खुशी है कि वे अपने परिवार की उम्मीदों पर खरा उतर रहे हैं।
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धवन के मुताबिक उनकी मां का यह सपना था कि वे आर्मी ऑफिसर बनें Army Officer Dhawan Sarthak। आखिरकार उनके पिता की मेहनत से स्वर्गीय मां का सपना साकार हो गया है। धवन कहते हैं कि यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं कि हम राजा के घर में पैदा होकर राजा ही बन जाएं। जरूरी यह है कि जिंदगी में हम एक अच्छे योद्धा बनें।
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