Corona: दुनियाभर में संक्रमित मरीजों की संख्या अब एक मिलियन के आंकड़े को छूने जा रही है। पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस की वजह से त्राहिमाम कर रही है। किसी के पास भी इस खतरनाक वायरस का इलाज मौजूद नहीं है। टीका और दवाई खोजने की भरसक कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन अब तक इनमें से किसी भी कोशिश को कामयाबी नहीं मिली है। ऐसे में मरीजों की संख्या तो लगातार बढ़ती ही जा रही है। साथ ही इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। भारत तक इससे अछूता नहीं रह गया है और अब तक 50 से भी अधिक लोगों की यहां इसकी वजह से जान चली गई है। इतनी सारी नकारात्मक चीजों के बीच एक उम्मीद की किरण अब बिहार में एक युवा वैज्ञानिक ने जगाई है, जिन्होंने एक ऐसा छाता तैयार कर लिया है जो कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचा सकता है।
इस युवा वैज्ञानिक का नाम विनीत बताया जा रहा है। ये बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले हैं। विनीत ने हाइड्रोलिक प्रेशर के सिद्धांत के आधार पर एक ऐसे छाते का आविष्कार कर लिया है, जो उनके मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक पाने में कारगर है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि उन लोगों को यह कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने से बचा सकता है, जो कि अब तक कोरोना वायरस के संक्रमण से दूर हैं।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर शोध चल रहे हैं। अब तक कई अनुसंधान और अध्ययन हो चुके हैं। कई शोध में यह दावा किया जा चुका है कि कुछ विशेष प्रकार की दवाइयां और इलाज के तरीके कोरोना वायरस को दूर करने में मददगार हो सकते हैं, मगर अब तक इनकी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं हो पाई है। ऐसे में दुनिया अब तक खुद को असहाय महसूस कर रही है और इस बात की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है कि आखिर कोरोना वायरस के संक्रमण से दुनिया को आजादी कब मिल पाएगी। ऐसे समय में औरंगाबाद के युवा वैज्ञानिक ने जो अपने छाते को लेकर दावा किया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से यह लोगों को बचा सकता है, इसने उम्मीद की एक किरण तो कम-से-कम जरूर जगा दी है।
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औरंगाबाद जिले के सदर प्रखंड के देवहरा गांव के रहने वाले मनीष प्रजापति के बेटे विनीत ने यह कारनामा करके दिखाया है। उन्होंने जो विशेष छाते का आविष्कार किया है, इसकी खासियत यह है कि इसके अंदर सैनिटाइजर लगा हुआ है। विनीत के अनुसार जब कोई इस छाते को खोलता है तो इससे सैनिटाइजर पर दबाव पड़ता है। इस दबाव के पड़ने से यह सैनिटाइजर ऊपर के हिस्से पर पूरी तरह से फैल जाता है और सैनिटाइज कर देता हैं। ऐसे में छाते का उपयोग करने वाले व्यक्ति का कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव संभव हो पाता है।
छाते की कीमत के बारे में विनीत ने कहा है कि बाजार में जो आमतौर पर छाते मिलते हैं, उनकी कीमत 100 से 300 रुपये तक के बीच होती है। उन्होंने जो छाता तैयार किया है, इसकी कीमत सिर्फ 200 रुपये है। विनीत का कहना है कि यह एक खास छाता है। जो लोग इस छाते का इस्तेमाल करेंगे, वे खुद को कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आने से बचा सकते हैं। गौरतलब है कि विनीत वही युवा वैज्ञानिक है, जो एक बार प्लास्टिक से पेट्रोल बनाकर पूरी दुनिया में छा गए थे। उस वक्त उनके इस आविष्कार ने पूरी दुनिया को चकित कर के रख दिया था। विनीत ने जो नए छाते का आविष्कार किया है, वह कितना मददगार होता है यह तो वक्त ही बताएगा। फिर भी उम्मीद की किरण तो जग ही गई है।
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