हर व्यक्ति का जीवन एक खुली किताब है. एक ऐसी किताब जिसमें व्यक्ति के जीवन से मृत्यु तक का सफर कहानी के रूप में लिखा जाता है. अब यह कहानी किस तरह से लिखी जाएगी यह व्यक्ति पर निर्भर है. हर व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल करना चाहता है. वह यह भी चाहता है कि सभी लोग उसके बारे में चर्चा करें. अगर सीधे लफ़्ज़ों में कहा जाए तो कुछ व्यक्ति यह सपना देखते हैं कि उन्हें दुनिया के सामने प्रेरणादायक इंसान के रूप में पहचान मिले. लेकिन जहां कुछ लोग केवल प्रेरणादायक बनने की कोशिश करते हैं तो कुछ खुद ही प्रेरणादायक बन जाते हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायक सच्चाई है उर्मिला के जीवन की.
उर्मिला की कहानी वीमेन एम्पोवेर्मेंट का सबसे बड़ा उदाहरण है. परिवार की मुसीबतों को देखते हुए उर्मिला ने इस तकलीफ से अपने परिवार को बाहर निकालने के लिए अपने पति की तरह ऑटो रिक्शा की चाबी को थाम लिया. उर्मिला की तरफ से उठाया गया यह कदम कुछ हद तक भगवान लक्ष्मण जी की पत्नी उर्मिला जी की याद दिलाता है, जो अपने पति की सेवा के लिए 14 साल तक सोती रहीं.
यह कहानी उर्मिला और उनके परिवार की है. इनके परिवार में इनके पति सुखबीर और इनके बच्चे हैं. पति सुखबीर ऑटो चालक है. इनका परिवार आर्थिक स्थिति में इतना मजबूत नहीं रहा, लेकिन जब खुशी की बात होती तो यह परिवार हमेशा से सुखी रहा. हरियाणा के बामला में रहने वाले इस परिवार में 3 साल पहले कुछ ऐसी घटना हुई कि परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. उर्मिला की तबियत बिगड़ गई, जिसको ठीक होने के लिए सुखबीर को कर्ज लेना पड़ा.
हालांकि उर्मिला तो स्वस्थ हो गई लेकिन कुछ समय बाद सुखबीर को जानलेवा बीमारी ने घेर लिया. इस बिमारी से भी निकलने के लिए परिवार को कर्ज से दोस्ती करनी पड़ी. सुखबीर की बीमारी की वजह उनके सर की नस का ब्लॉक होना था. सुखबीर का कभी हिसार तो कभी दिल्ली में इलाज होता था. जिसके कारण हर दिन इलाज पर काफी खर्चा होता था.
धीरे-धीरे इलाज के बाद सुखबीर की तबियत ठीक हो गयी. वह फिर से ऑटो रिक्शा चलाने लगा और परिवार की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए पहले से अधिक प्रयास करने लगा. लेकिन ख़राब आर्थिक स्थिति कभी किसी से छिप नहीं पाती. परिवार पर साढ़े तीन लाख का कर्जा अभी भी बकाया था. जिसको देखते हुए उर्मिला ने अपने पति सुखबीर से ऑटो सीखने की इच्छा जाहिर की.
सुखबीर कहते हैं कि पहले वह उर्मिला को ऑटो सिखाने के पक्ष में नहीं थे. वह टालते थे और यह कहते थे कि “मैं खुद परिवार को इस मुसीबत से निकालने में सक्षम हूं” लेकिन अपनी पत्नी उर्मिला का हौसला देखते हुए उन्होंने उर्मिला को ऑटो चलाना सिखाया. धीरे-धीरे पूरे शहर में दोनों पति-पत्नी ऑटो चलाने लगे जिससे कर्ज की रकम कम होने लगी. अब कर्ज की रकम बहुत थोड़ी बच गयी है जिसे दोनों बहुत जल्दी खत्म कर देंगे. सुखबीर कहते हैं कि “उर्मिला के साथ देने से हर दिन अब 400 से 500 रुपए अतिरिक्त कमाई हो रही है, जिससे कर्जा भरने में बेहद सहायता हो रही है”.
उर्मिला ने बताया कि वह अपने घर का हर कार्य पूरा करके जिसमें घर की सफाई और रोजमर्रा के काम शामिल रहते हैं, बच्चों के स्कूल के लिए नाश्ता और खाने की तैयारी पूरी करने के बाद वह ऑटो लेकर सवारी ढूंढने निकल पड़ती हैं. उर्मिला, रामनिवास शर्मा का भी धन्यवाद करती हैं जो फुटपाथ और रेहड़ी यूनियन के प्रधान हैं. उर्मिला कहती हैं कि रामनिवास जी ने ही इन्हें ऑटो रिक्शा दिलाया.
Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…
Spring Roll Sheets Recipe in Hindi: स्प्रिंग रोल हर एक आयु वर्ग के लोगों के…
Shri Ram Raksha Strot Padhne Ke Fayde: सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा…
Benefits of Roasted Chana with Jaggery In Hindi: शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए…
Benefits of Papaya Milk for Skin In Hindi: त्वचा के लिए पपीता फायदेमंद होता है…
Famous Shakti Peeth in Haryana: इस समय पूरे देश भर मे चैत्र नवरात्रि के त्यौहार…