धर्म

शरीर में मौजूद 7 चक्रों में से एक है आज्ञा चक्र, बौद्धिक सिद्धि हासिल करने के लिए ऐसे करें इस्तेमाल

Agya Chakra in Hindi: जिस प्रकार जीवन जीने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है उसी तरह से हर व्यक्ति के जीवन में धर्म का भी काफी ज्यादा महत्व होता है. बता दें कि हर मनुष्य के शरीर में सात मूल चक्र होते हैं और हर एक चक्र का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। ऐसे में आज हम जिस चक्र के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वह भी हमारे शरीर में एक खास अहमियत रखता है। वैसे तो हर व्यक्ति को ना सिर्फ इस चक्र के बारे में बल्कि अन्य सभी चक्रों से परिचित होना चाहिए मगर आज हम जिसके बारे में बता रहे हैं वह भी काफी महात्वपूर्ण है। आज हम बात करने जा रहे हैं आज्ञा-चक्र की। आज्ञा का मतलब ज्ञान का स्रोत है।

शरीर में मौजूद आज्ञा चक्र विवेक का चरम बिंदु होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह आज्ञा चक्र हमारे मस्तिष्क के मध्य में, भौंहों के बीच स्थित होता है और इसी वजह से इसे तीसरा नेत्र भी कहा जाता है। यह 3 प्रमुख नाडिय़ों, इडा (चंद्र नाड़ी) पिंगला (सूर्य नाड़ी) और सुषुम्ना (केन्द्रीय, मध्य नाड़ी) के मिलने का स्थान है। बता दें कि आज्ञा चक्र को हमेशा से ही स्पष्टता और बुद्धि का केन्द्र माना गया है। इडा, पिंगला और सुषुम्ना इन तीनों नाडिय़ों की ऊर्जा जब आज्ञा चक्र पर मिलती है और आगे उठती है तब हमें समाधि, सर्वोच्च चेतना प्राप्त होती है। दरअसल, यह आज्ञा चक्र हमें दर्शाता है कि चेतना के इस स्तर पर केवल दो ‘आत्मा’ और ‘परमात्मा’ ही हैं और जिस व्यक्ति की ऊर्जा यहां ज्यादा सक्रिय है, तो वह बौद्धिक रूप से संपन्न, संवेदनशील और तेज दिमाग का बन जाता है।

यदि आपने आज्ञा पर महारत हासिल कर ली है तो बौद्धिक रूप से आप एक सिद्ध पुरुष हो चुके हैं और यह बौद्धिक सिद्धि आपको असीम शांति देती है। बौद्धिक सिद्धि पाने के लिए आपकी ऊर्जा आज्ञा में सक्रिय होनी चाहिए तभी आप बौद्धिक स्तर पर सिद्धि पाने में सफल होंगे। आप इस बौद्धिक सिद्धि को हासिल करके एक स्थिरता और शांति का अनुभव करेंगे और आपके आस पास चाहे कुछ भी हो रहा हो या कैसी भी परिस्थितियां हों, उस से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
इस आज्ञा चक्र का मंत्र होता है और इसका जाप करते हुए आपको ध्यान लगाना होता है।

हमारी दोनों भौहों के मध्य में यह आज्ञा चक्र स्थित होता है तो हमें इसे जागृत करने के लिए इसकी विधि को जानना बहुत ही आवश्यक है, तभी हम बौद्धिक सिद्धि को हासिल कर पाएंगे। इसके लिए हमें भृकुटी के मध्य ध्यान लगाते हुए साक्षी भाव में रहना होगा, उसी से यह चक्र जागृत होने लगता है। इसके बाद यदि आपको गोले दिखने शुरू हो जाएं तो यह आज्ञा चक्र के जागृत होने का लक्षण है। इससे भूत- भविष्य-वर्तमान तीनों प्रत्यक्षा दिखने लगते है। इस स्थिति में पहुंचने के बाद आपको भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के पूर्वाभास भी होने लगते हैं। आज्ञा चक्र तक पहुंचकर हमारे मन में पूर्ण आत्मविश्वास जागृत होता है।

आज्ञा चक्र मनुष्य के जीवन पर भी बहुत अच्छा प्रभाव डालता है। जब आज्ञा चक्र की सही विधि को करते हुए मनुष्य के भीतर आज्ञा चक्र जागृत हो जाता है तब मनुष्य के अंदर अपार शक्तियां और सिद्धियां निवास करती हैं जिससे हम असाधारण कार्य भी शीघ्रता से संपन्न कर लेते हैं। मनुष्य के अंदर अपार शक्तियों के जागृत होने से मनुष्य एक सिद्ध पुरुष बन जाता है और हमारे विचारों में दृढ़ता और दृष्टि में चमक पैदा होने लगती है। हम जब इस आज्ञा चक्र को जागृत करने के लिए ध्यान लगाते हैं तो हमारे शरीर में एक विशेष चुम्बकीय उर्जा का निर्माण होने लगता है और उस उर्जा से हमारे अंदर के दुर्गुण ख़त्म हो जाते हैं। हमें आपार एकाग्रता की प्राप्ति होने लगती है। यह है इस आज्ञा चक्र का महत्व जो हमारे जीवन में बहुत जरुरी है। आप भी ऊपर दी गयी विधि को अपनाकर अपने मन को शांत कर सकते हैं और अपने अंदर के दुर्गुण ख़त्म कर सकते हैं।

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