धर्म

ह्रदय के पास स्थित अनाहत चक्र का संबंध सीधा प्रेम से होता है, जानें सिद्ध करने की विधि  

Anahata Chakra in Hindi: जैसा कि हम जानते हैं हमारे शरीर में कुल सात चक्र होते हैं और अनाहत चक्र उनमें से एक है। यह हमारे शरीर का चौथा मुख्य चक्र होता है। अनाहत चक्र का अर्थ होता है खुला हुआ अथवा अजेय। इस चक्र का सीधा सबंध प्रेम से होता है क्योंकि यह चक्र ह्रदय के पास होता है और ह्रदय प्रेम से जुड़ा हुआ होता है। बताया जाता है कि यह चक्र दूसरों के साथ आपस में बांटे हुए गहरे रिश्ते और बिना शर्त प्यार की स्थिति को नियंत्रित करता है। चूंकि प्यार एक उपचारात्मक शक्ति है, यह चक्र भी चिकित्सा का केंद्र माना जाता है। अनाहत चक्र का रंग हलका नीला यानी आकाश का रंग है और इसका समान रूप तत्व वायु है। चूंकि वायु प्रतीक है स्वतंत्रता और फैलाव का और यही इस चक्र के नाम का अर्थ भी निकलता है।

अनाहत चक्र का मंत्र [Anahata Chakra Mantra]

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साधना ग्रंथों में इस चक्र के कई रंग अरुण, नीला, बंधुका के फूल की तरह बताये गए हैं। हालांकि, इसके कुल बारह दल होते हैं। प्रत्येक में ‘कं’ से लेकर ‘ठं’ तक बारह अक्षर सिंदूरी वर्ण में अंकित हैं। इसका भीतरी भाग जो कि आमतौर पर चक्र का यंत्र कहलाता है, षट्कोणीय है। अनाहत चक्र हृदय के निकट सीने के बीच में स्थित है और इसका मंत्र “यम” है। गुह्य विज्ञान के अनुसार बता दें कि अनाहत चक्र जागृत होते ही व्यक्ति को बहुत सारी सिद्धियां मिलती हैं, जिससे व्यक्ति को ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से शक्ति प्राप्त होती है। यहां तक कि यह चक्र जागृत हो जाये तो व्यक्ति सूक्ष्म रूप ले सकता है और शरीर त्यागने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं इसके जागृत होने से एक अलग प्रकार का आनंद भी प्राप्त होता है। श्रद्धा प्रेम जागृत होता है तथा वायु तत्व से संबंधित सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

प्रेम और संवेदना को जगाता है यह चक्र

जैसा कि हमें पता है यह चक्र ह्रदय के पास होता है इसलिए हृदय पर संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जागृत होने लगता है। खासकर रात्रि को सोने से पूर्व इस चक्र पर ध्यान लगाने से यह अभ्यास से जागृत होने लगता है और सुषुम्ना इस चक्र को भेदकर ऊपर गमन करने लगती है। जब यह चक्र जागृत होता है तो व्यक्ति के भीतर प्रेम और संवेदना का जागरण होता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसके जागृत होने पर व्यक्ति का समय ज्ञान स्वत: ही प्रकट होने लगता है। व्यक्ति अत्यंत आत्मविश्वस्त, सुरक्षित, चारित्रिक रूप से जिम्मेदार एवं भावनात्मक रूप से संतुलित व्यक्तित्व बन जाता है।

इस चक्र के देवता शिव और माता पार्वती हैं

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एक और सरल व्यायाम जिसमें चौथे चक्र पर काम किया जाता है। इसके लिए आपको कमल की मुद्रा में बैठ कर ध्यान के लिए अपनी उंगलियों को कनेक्ट करना होता है। पहले चक्र, दूसरे और इतने पर कुछ मिनटों के लिए अपनी सारी चेतना को एकाग्र करें और फिर उल्टे क्रम में वापस पहले पर जाएं। इस तरह के ध्यान से सभी चक्रों की ऊर्जा को जगाने में मदद मिलेगी। जैसा कि पहले भी उल्लेख किया गया है आपको एक केंद्र पर ध्यान नहीं देना चाहिए, इससे असंतुलन पैदा होगा।

आपको यह पता होना चाहिए कि चौथे चक्र के लिए पैरों में बिना कुछ पहने हुए या हरी घास पर लेटना अच्छा होता है। इसके अलावा इस चक्र को खोलने के लिए आप रत्नों को पहने अथवा हरे रंग के क्रिस्टल को रखने से चक्र का संतुलन बना रहता है। जेड, पेरिडोट, पन्ना, सूर्यकान्त मणि, रोझ क्वार्ट्ज आदि रत्न व क्रिस्टल्स इसमें शामिल है। अनाहत चक्र का प्रतीक पशु हिरण है जो अत्यधिक ध्यान देने और चौकन्नेपन का हमें स्मरण कराता है। इस चक्र के देवता शिव और पार्वती हैं, जो चेतना और प्रकृति के प्रतीक हैं।

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Shikha Yadav

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