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Story of Kaal Bhairav in Hindi: देश भर में भैरव बाबा के बहुत से ऐसे मंदिर हैं जहां श्रद्धालु अपने मन की मुरादें लेकर जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार भैरव बाबा को शिव जी का ही एक रूप माना जाता है। कहते हैं कि समुद्र मंथन के दौरान शिव जी ने भैरो बाबा को अपने नेत्र से प्रकट किया था। हालांकि बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें भैरो बाबा की उत्पत्ति और उनसे संबंधित बहुत सी बातों की जानकारी नहीं है। आज इस लेख में हम आपको खासतौर से भैरो बाबा की पूरी कहानी (Bhairo Baba Ki Kahani) के बारे में बताने जा रहे हैं।
भैरो बाबा को कालों के काल महाकाल भी कहा जाता है। इनका एक नाम काल भैरो भी है। उज्जैन में काल भैरो का बहुत ही विशाल मंदिर है जहाँ उनके दर्शन के लिए देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। मदिरापान कर अपने भक्तों का दुःख हरने वाले भैरो बाबा को शिव जी का रौद्र रूप माना गया है। कहते हैं कि, उज्जैन नगरी के हर कण में भैरो बाबा का वास है। उज्जैन के काल भैरव मंदिर में भक्तों का जमावड़ा हर दिन लगा रहता है, उनके चमत्कारों के किस्से पूरे उज्जैन में काफी प्रसिद्ध है।
हमारे हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार भैरो बाबा की उत्पत्ति शिव जी के खून से हुआ था। माना जाता है कि बाद में उस खून के दो हिस्से हुए जिससे भैरो बाबा के दो रूपों की उत्पत्ति हुई, पहला काल भैरव और दूसरा बटुक भैरव। इन्हें भगवान् शिव का पांचवां अवतार माना जाता है, स्वभाव से इन्हें काफी क्रोधी, रूद्र और संहारी माना जाता है। बहुत से जगहों पर इन्हें भैरवनाथ के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि, एक बार शिवजी और ब्रह्मा जी में किसी बात को लेकर बहस छिड़ गई, वो बहस इतनी बढ़ गई कि शिव जी काफी नाराज हो उठे और उन्होनें ब्रह्मा जो को दंड देने के लिए भैरो बाबा की उत्पत्ति कि, उनकी उत्पत्ति के साथ ही उन्हें शिव जी से इस बात का आशीर्वाद प्राप्त हुआ कि, काल भी तुमसे डरेंगे।
यही वजह है कि, भैरो बाबा को कालों का महाकाल कहा जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, शिव की धरती माना जाने वाला काशी/वाराणसी में भी भैरो देव का विशाल मंदिर है वहां उनकी पूजा के लिए सुबह से शाम तक भक्तों का हुजूम उमड़ा रहता है। शिव जी ने उन्हें वरदान दिया था कि, काशी की भूमि पर उनके बाद जिस देवता को सबसे ज्यादा महत्व मिलेगा वो भैरो बाबा होंगें।
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बहुत से धर्मग्रंथों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि, भैरो बाबा ने शिव जी के आदेश पर त्रिशूल से ब्रह्मा जी का एक सर काट दिया था। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है इसका प्रमाण कहीं नहीं मिलता है। धार्मिक ग्रंथों में भैरो बाबा पर ब्रह्म हत्या का भी आरोप है। मान्यता है कि, इस पाप से मुक्ति पाने के लिए भैरो बाबा विष्णु जी के पास बैकुंठ लोक पहुंचे। तब जाकर विष्णु जी ने उन्हें शिव की नगरी काशी में जाकर वास करने का सुझाव दिया। कहते हैं इसके बाद भैरो बाबा हमेशा के लिए काशी में ही बस गए। माना जाता है कि, बनारस आने वाले श्रद्धालुओं की तीर्थ यात्रा तब तक पूरी नहीं होती जब तक वो भैरो बाबा के दर्शन नहीं कर लेते। इनकी पूजा अर्चना के बिना काशी विश्वनाथ का दर्शन भी अधूरा माना जाता है।
भैरो बाबा के काल भैरव रूप को शराब चढ़ाने की प्रथा सदियों से चलती आ रही है। हालांकि अभी तक इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई है कि, उन्हें शराब क्यों चढ़ाई जाती है। दिल्ली और उज्जैन के काल भैरो मंदिर में खासतौर से भक्तों में भैरो बाबा को शराब चढ़ाने की प्रथा है। इसकी शुरुआत क्यों कब और कैसे हुई इसकी जानकारी ना कहीं है और ना ही किसी धर्म ग्रंथ में इस बात का कहीं कोई उल्लेख है।
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