क्या है मोक्षदा एकादसी की कहानी
प्राचीन काल में इसकी एक और कहानी है। वैखानस नाम का एक राजा था। जिसके राज्य में ब्राह्मण चारों वेदों के ज्ञाता थे। एक दिन राजा ने स्वप्न में अपने पिता को नर्क में देखा। जिसके बाद उनका मन बहुत विचलित हो गया। राजा ने इस स्वप्न के बारे में उन ब्राह्मणों से जानना चाहा और साथ ही साथ उपाय भी पूछा। परन्तु ब्राह्मणों ने राजा को पर्वत मुनि के पास जाने का सुझाव दिया। यह सुनकर राजा मुनि के पास आश्रम में जाते हैैं और मुनि के सामने अपनी सारी बातें बताते हैं। जिसपर मुनि ने राजा से कहा कि आपके पिताजी ने पूर्व जन्म में एक पाप किया था जिस पाप के कारण वे अब भी नर्क में है। यह सुनकर राजा सोच में पड़ गया। तभी मुनि ने उन्हें सुझाव दिया। बताया कि अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को उपवास रखें। उस एकादशी व्रत के प्रभाव से आपके पिता को मुक्ति मिलेगी। राजा ने ठीक वैसा ही किया और उनके पति को नर्क से मुक्ति मिल गई। मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह गंगाजी में स्नान करके घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से जीवन में किए गए पापों से छुटकारा मिलता है।
इस दिन पूजा में तुलसी पत्ता अवश्य शामिल करें। इसी के साथ द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देकर विदा करें। मोक्षदा एकादशी से एक दिन पहले दशमी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। उपवास रखकर श्री हरि के नाम का संकीर्तन भी करना चाहिए।
उपवास रखने का सही समय
हिन्दू धर्म के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत अन्य 23 एकादशियों पर उपवास रखने के बराबर होता है। 7 दिसंबर के दिन सुबह 6 बजकर 34 मिनट से 8 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 29 मिनट तक व्रत रहेगा। इसके साथ ही व्रत खोलने का समय सुबह 7 बजकर 6 मिनट से 9 बजकर 9 मिनट तक है।