Chaitra Navratri Bhog Prasad In Hindi: इस साल के चैत्र नवरात्रे 22 मार्च दिन बुधवार से शुरू हो रहे है। यह पर्व हिन्दुओं द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है। चैत्र के नवरात्रि में नौ अलग-अलग देवी की पूजा की जाती है। हर एक देवी की अपनी अलग महिमा और महत्व होता है। उनकी पूजा करने से हमे अलग-अलग तरह के फल भी मिलते है। अगर आप पैसो की आर्थिक तंगी से गुजर रहे है, हजारो कोशिश के बाद भी आपके पास पैसा नहीं रुक रहा है, या फिर आपके हर एक काम बिगड़ जाते है। तो इन सब समस्याओं का हल आपको इन चैत्र के नवरात्रो में मिल जाएगा।
चैत्र महीने में आने की वजह से इन्हे चैत्र नवरात्रि कहते है। जिस तरह हर दिन पूजा अलग-अलग तरीको से की जाती है, उसी प्रकार भोग भी अलग-अलग तरह के लगाए जाते है। आज हम आपको इस लेख में नौ दिन कौन से भोग लगाए, इसके बारे में बताने जा रहे है।
पहला नवरात्र माँ शैलपुत्री का होता है। इस दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ है। इस दिन आप देशी घी का भोग लगाए और उसका गरीबो को दान भी करे। ऐसा करने से रोगी के कष्ट दूर होते है।
दूसरे नवरात्रे के दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। जो इंसान इस माँ की पूजा करते है उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है, और वो इंसान जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं। इनको शक्कर का भोग लगाया जाता है।
तीसरे नवरात्र के दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से संसार के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। माँ चंद्रघंटा को दूध का भोग लगाया जाता है।
चौथे नवरात्र के दिन माँ कुष्मांडा का पूजन किया जाता है। माँ कुष्मांडा को देशी घी से बने मालपुआ का भोग लगाया जाता है। यह भोग लगाने से माँ बहुत जल्दी खुश होती है और ये अपने भक्तो को आयु, यश और बल की शक्ति देती है।
ये कुमार कार्तिकेय की माता थी इसके कारण इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। इनकी पूजा पांचवें दिन की जाती है। इनकी पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं रहता। इन्हे पद्मासनादेवी के नाम से भी जाना जाता है। इनको केले का भोग लगाया जाता है।
छठे नवरात्र में माँ कात्यायनी के रूप की पूजा की जाती है। इनका नाम कात्यायनी महर्षि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने से पड़ा था। इनकी पूजा करने वाले व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आदि चारों फलों की प्राप्ति होती है। इनको शहद का भोग लगाया जाता है।
माँ दुर्गा के इस रूप की सातवें दिन पूजा की जाती है। इनके स्मरण मात्र से ही भूत, पिशाच एवं भय समाप्त हो जाता है। इनको गुड़ का भोग लगाया जाता है।
इनकी पूजा नवरात्र के आठवें दिन की जाती है। इनका वाहन बैल है। महागौरी को हलवे का भोग लगाया जाता है। इस दिन पूजा करके हलवा पूरी कन्या को भी खिलाया जाता है। इनकी पूजा करने से सभी आर्थिक कष्ट दूर हो जाते है।
नौवें दिन सिद्धिदात्री माँ की पूजा की जाती है। इनकी जिस पर भी कृपा हो जाती है उसके लिए कुछ भी पाना आसान हो जाता है। इनको खीर का भोग लगाया जाता है।
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