भारतीय धर्म के अनुसार हर साल चार बार नवरात्रि का त्योहार बनया जाता है। जिसमे देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, ठीक वैसे ही साल मे 2 बार गुप्त नवरात्र में दशमहाविद्या की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्र मे साधक मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती हैं।
गुप्त नवरात्र की पूजा तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। गुप्त नवरात्र मे साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत करते हैं। दशमहाविद्या की साधना कर लोग तांत्रिक शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। माघ नवरात्री उत्तरी भारत में ज्यादा प्रसिद्ध है और आषाढ़ नवरात्रि दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है।
सामान्य और गुप्त नवरात्रि की विशेषताएं
सामान्य नवरात्रि मे सात्विक और तांत्रिक पूजा दोनों के लिए की जाती है जबकि गुप्त नवरात्रि मे तांत्रिक पूजा को ज्यादा महत्व दिया जाता है। गुप्त नवरात्रि मे लोग ज्यादा प्रचार नहीं करते और इसकी साधना को गोपनीय रखा जाता है, माना यह जाता है की गुप्त नवरात्रि मे साधना जितनी गोपनीय रखी जाती है, मनोकामना उतनी ही जल्दी पूरी होती है।
गुप्त नवरात्रि मे मां की पूजा विधि
- गुप्त नवरात्रि मे 9 दिनों के लिए कलश स्थापना की जाती है।
- अगर आप अपने घर मे कलश की स्थापना करते है तो रोज वेला मंत्र जाप,चालीसा या सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
- दोनों समय आरती का करना शुभ माना जाता है।
- मां को दोनों वेला भोग भी लगाएं जाते है, जिसमे सबसे सरल और उत्तम भोग लौंग और बताशा को माना जाता है।
- मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है और इसमे मां पर आक, मदार, दूब और तुलसी चढ़ना अशुभ माना जाता है।
- गुप्त नवरात्रि मे पूरे नौ दिन अपना खान पान और आहार पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है।
गुप्त नवरात्रि मे कैसे करे महाप्रयोग
- एक लकड़ी के दवारा चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- मूर्ति के सामने एक बड़ा घी का एकमुखी दिया जलाएं ।
- मां के विशिष्ट मंत्र का 108 बार जाप प्रातः और सायं मे करे।
- “ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे” इस मंत्र का करे जाप ।
- अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करें।