इस वर्ष दिवाली का त्यौहार 1 नवंबर शुक्रवार के दिन है माँ लक्ष्मी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार ले। कुछ वस्तुए है जिनका प्रयोग करने से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। माँ को वस्त्र में लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी बहुत प्रिय है। पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी पूजा में अवश्य करें।
सबसे पहले चौकी पर माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां इस प्रकार रखे कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। लक्ष्मी जी की मूर्ति को गणेश जी के दाहिनी ओर रखे। कलश को लक्ष्मी जी के पास चावल पर रख दे। नारियल को लाल वस्त्र में लपेट कर कलश के ऊपर रख दे। दो बड़े दीपक जलाये। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेश जी और गौरी की पूजा करे। पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर भगवान गणेश, माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती को अर्पण करे और इसके बाद अपने हाथ पर भी बंधवा ले। अब सभी देवी देवताओ को तिलक लगाए। इसके बाद माँ लक्ष्मी की पूजा करे, माँ को भोग लगाकर उनकी आरती करे। इस तरह आपकी पूजा पूर्ण होती है।
पूजा पूरी होने के बाद माँ से क्षमा-प्रार्थना करें।
मां न मैं पूजा-कर्म करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। आह्वान करना भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो।
दिवाली पर मां लक्ष्मी जी की पूजन का विशेष महत्व होता है और लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम समय स्थिर लग्न और सूर्यास्त के बाद यानी प्रदोष काल तीन मुहूर्त होते हैं। दीपावली पर देवी लक्ष्मी का पूजन हमेशा प्रदोष काल में ही किया जाना चाहिए। वैदिक पंचांग के अनुसार 01 नवंबर को शाम 5 बजकर 36 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 16 मिनट तक लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा।
प्रदोष काल – 05:36pm से 08:11pm
वृषभ काल – 06:20pm से 08:15pm
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जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता ।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
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