Govardhan Puja Story गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर मनाया जाता है । गोवर्धन पूजा के दिन गेहूँ, चावल जैसे अनाज, बेसन से बनी कढ़ी, पत्ते वाली सब्जियों से बना भोजन बनाया जाता है और कृष्ण भगवान को अर्पित किया जाता है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है गोवर्धन पूजा का दिन दीवाली पूजा के अगले दिन होता है।
धर्मिक मान्यताओ के अनुसार भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र देवता को पराजित कर उनके अहंकार को दूर करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। माना जाता है कि भगवान कृष्ण का इंद्र के मान-मर्दन के पीछे उद्देश्य था कि ब्रजवासी गौ-धन एवं पर्यावरण के महत्व को समझें और उनकी रक्षा करें। महाराष्ट्र में यह दिन बालि प्रतिपदा या बालि पड़वा के रूप में मनाया जाता है। वामन जो कि भगवान विष्णु के एक अवतार है, उनकी राजा बालि पर विजय और बाद में बालि को पाताल लोक भेजने के कारण इस दिन उनका पुण्यस्मरण किया जाता है। यह माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पातल लोक से पृथ्वी लोक आता है।
गोवर्धन पूजा की परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। उससे पूर्व ब्रज में इंद्र की पूजा की जाती थी। मगर भगवान कृष्ण ने गोकुल वासियों को तर्क दिया कि इंद्र से हमें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता। वर्षा करना उनका कार्य है और वह सिर्फ अपना कार्य करते हैं जबकि गोवर्धन पर्वत गौ-धन का संवर्धन एवं संरक्षण करता है, जिससे पर्यावरण भी शुद्ध होता है। इसलिए इंद्र की नहीं गोवर्धन की पूजा की जानी चाहिए।
श्री कृष्ण ने उत्सुकतावश वहां के लोगों से पूछा तो गोपियों ने बताया कि इस दिन इन्द्रदेव की पूजा होती है। इन्द्रदेव की पूजा के फलस्वरूप भगवान प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं जिससे खेतों में अन्न फूलते-फलते हैं।
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी. इस दिन गोबर घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत की चित्र बनाकर पूजन किया जाता है। इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है। गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है| उन्नत फसल से वृजवासियों का भरण-पोषण होता है। गोपियों द्वारा इतनी बातें सुनकर श्री कृष्ण ने उनसे कहा कि इंद्र से भी अधिक शक्तिशाली तो गोवर्धन पर्वत है। इस गोवर्धन पर्वत के कारण वर्षा होती है यहां वर्षा होती है।
इसलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा होनी चाहिए, कृष्ण की इन बातों से सहमत होकर सभी वृजवासी गोवर्धन पूजा करने लगे। जब इन्द्र को इस बात की जानकारी इंद्र को हुई तो उन्होंने मेघ को आदेश दिया कि गोकुल में मुसलाधार बारिश कराए।
मुसलाधार बारिश से परेशान गोकुलवासी कृष्ण की शरण में गए। तब कृष्ण ने सबको गोवर्धन पर्वत के नीचे आने को कहा और छाते की तरह गोवर्धन पर्वत को सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया। जिससे लगातार सात दिन तक हुए मुसलाधार बारिश से वृजवासी की रक्षा हुई।जिसके बाद इन्द्र ने भी माना कि श्री कृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं। फिर बाद में इंद्रा देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी वृजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाए। तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जाता है।सब ब्रजवासी सात दिन तक गोवर्धन पर्वत की शरण मे रहें। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक जल की बूँद भी नही पड़ी। ब्रह्या जी ने इन्द्र को बताया कि पृथ्वी पर श्री कृष्ण ने जन्म ले लिया है, उनसे तुम्हारा वैर लेना उचित नही है। श्रीकृष्ण अवतार की बात जानकर इन्द्रदेव अपनी मुर्खता पर बहुत लज्जित हुए तथा भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की।
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पर्व मनाया जाता है। इसमें हिंदू धर्मावलंबी घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धननाथ जी की अल्पना बनाकर उनका पूजन करते हैं, गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर जल, मौली, रोली, चावल, फूल दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा करते है तथा परिक्रमा करते हैं। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को भगवान के निमित्त भोग व नैवेद्य में नित्य के नियमित पदार्थ के अलावा अन्न से बने कच्चे-पक्के भोग, फल, फूल, अनेक प्रकार के पदार्थ जिन्हें ‘छप्पन भोग’ कहते हैं, का भोग लगाया जाता है
Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…
Spring Roll Sheets Recipe in Hindi: स्प्रिंग रोल हर एक आयु वर्ग के लोगों के…
Shri Ram Raksha Strot Padhne Ke Fayde: सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं की पूजा…
Benefits of Roasted Chana with Jaggery In Hindi: शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए…
Benefits of Papaya Milk for Skin In Hindi: त्वचा के लिए पपीता फायदेमंद होता है…
Famous Shakti Peeth in Haryana: इस समय पूरे देश भर मे चैत्र नवरात्रि के त्यौहार…