Hanuman Garhi Temple History In Hindi: मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या को मंदिरों की नगरी कहा जाता है और इस स्थान पर करीब 8 हजार छोटे और बड़े मंदिर हैं। अयोध्या में स्थित हर एक मंदिर की पानी एक अलग विशेषता है और इसी वजह से इस स्थान का महत्व और बढ़ जाता है। अयोध्या में श्री रामलला मंदिर के अलावा अगर कोई मंदिर चर्चा का केंद्र है तो वह है ऊंचे टीले पर स्थित भगवान बजरंगबली का मंदिर जिसे सभी भक्त ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ के नाम से जानते हैं। अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं जिन्हे अयोध्या स्थित ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ के बारे मे कोई ठोस जानकारी नहीं है तो आपको परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है। आज के इस लेख में हम आपको अयोध्या स्थित ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ के इतिहास और उसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से बताएंगे।
इस मंदिर के कई प्रकार की कथाएं प्रतिचिलित हैं, कहा जाता है कि, भगवान श्री राम ने लंका से वापसी के बाद अपने अनन्य भक्त हनुमान को यह स्थान रहने के लिए दिया था। इसी लिए जब को भक्त अयोध्या में प्रभु श्री रामलला के दर्शन के लिए जाता है तो वह सबसे पहले ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ में बजरंगबली के दर्शन के लिए जाता है।
अथर्ववेद के अनुसार, भगवान श्री राम ने हनुमान जी को यह स्थान सौंपने से पहले बोला था कि, जब भी कोई भक्त अयोध्या दर्शन के लिए आएगा तो सबसे पहले वह तुम्हारा दर्शन करेगा। पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान हनुमान ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ में हमेशा मौजूद रहते हैं।
अयोध्या जिले के मध्य में स्थित यह मंदिर राजद्वार के सामने स्थित ऊंचे टीले पर स्थित है और इस स्थान को भगवान हनुमान का घर कहा जाता है। ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ परिसर के पास साधु-संतों का निवास स्थान है। वर्तमान में इस स्थान पर जो मंदिर है उस मंदिर का निर्माण महर्षि अभयारामदासजी के निर्देश पर सिराजुद्दौला ने 300 सालों पहले कराया था। ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ के दक्षिण में सुग्रीव टीला और अंगद टीला स्थित है और कहा जाता है ये दोनों भी यहीं से अयोध्या की निगरानी करते हैं।
‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ में भगवान हनुमान की जो प्रतिमा विराजित है वो दक्षिण मुखी है और धार्मिक मानयातों के अनुसार, यहाँ पर दर्शन करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं। कहा जाता है कि, जो भी भक्त इस स्थान पर आकर भगवान हनुमान को चोला चढ़ाता है उसकी सभी मुरादें जल्द से जल्द पूरी होती हैं। इसके साथ ही यहाँ पर यह भी कथा प्रचिलित है कि, जो भी भक्त सरयू नदी में स्नान कर अपने पापों को धोना चाहता है उसे भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी पड़ती है।
‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ में एक विशाल निशान स्थित है, जिसे ‘हनुमान निशान’ के नाम से जाना जाता है। यह निशान 8 मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा है, इस निशान की आकृति एक ध्वज के समान है और इस ध्वज को लंका के ऊपर विजय निशान के रूप में माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले इस हनुमान निशान को राम जन्मभूमि ले जाया जाता है और पूजा अर्चना के बाद इसे दोबारा ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ में स्थापित किया जाता है।
‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ में रोजाना एक गुप्त पूजा की जाती है और इस विशेष पूजा के दौरान सिर्फ मुख्य पुजारी ही गर्भगृह में मौजूद रहते हैं। ‘हनुमानगढ़ी मंदिर’ की यह गुप्त पूजा रोज सुबह 3 बजे प्रारंभ होती है और कहा जाता है कि, इस गुप्त पूजा के दौरान भगवान बजरंगबली साक्षात अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। इस पूजा की खास बात यह है कि, इसके संदर्भ में पुजारी बाहर आकर किसी से भी कोई बातचीत नहीं करते है
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