Baba Mahakal Shringar: पौराणिक कहानियों में भगवान भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग का वर्णन किया गया है। भगवान भोलेनाथ के ये ज्योतिर्लिंग देश के कई जगहों पर हैं। इन्हीं ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के महाकाल स्वरूप को समर्पित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पूरी दुनिया में अपनी भस्म आरती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। भगवान भोलेनाथ को चढ़ाई जाने वाली यह भस्म गाय के गोबरों से तैयार उपलों की होती थी। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान महाकाल का शृंगार खास विधि से किया जाता है और दिन में कई मर्तबा शृंगार किया जाता है। भगवान शिव हर एक शृंगार के बाद अलग ही रूप में नजर आते हैं।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में बाबा महाकाल की भस्म आरती को देखना हर एक भक्त का सपना होता है। भस्म आरती को सुबह के प्रातः 4 बजे की जाती है और इनका शृंगार भी भस्म से ही किया जाता है। तो वहीं शाम के समय उन्हे ड्राई फ्रूट्स और भांग के द्वारा एक अनूठा शृंगार किया जाता है। बाबा महाकाल का शृंगार दिन में एक बार गणेश जी के स्वरूप में किया जाता है, इसके साथ ही संध्या आरती का शृंगार घटाटोप स्वरूप में होता है। दिन में एक बार भगवान महाकाल को बजरंगबली और शेषनाग के स्वरूप में तैयार किया जाता है।
श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली सवारियों के साथ पालकी में बाबा महाकाल अलग-अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। भगवान भोलेनाथ सावन में चंद्रमोलेश्वर, हाथी पर सवार श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव स्वरूप, नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा और श्री सप्तमुखारविंद स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। सावन में जब भोलेनाथ की झांकी उज्जैन शहर के भ्रमण पर निकलती है तो जिला पुलिस के द्वारा ‘गॉड ऑफ ऑनर’ दिया जाता है।
महाशिवरात्रि के दिन बाबा महाकाल को सप्तधान्य का मुखौटा पहनाकर दूल्हे के स्वरूप में तैयार किया जाता है। सप्तधान्य के मुघाटे में सवा कुंटल पुष्प, फल फ्रूट्स, ड्राईफ्रूट और इसी के साथ सात प्रकार के धान्य को मिलाया जाता है। शिवरात्रि के अवसर पर सिर्फ एक बार ही भगवान भोलेनाथ की भस्म आरती की जाती है। ऐसा माना जाता है कि, जो भी भक्त भगवान भोलेनाथ के इस स्वरूप का दर्शन करता है उसे असीम पुण्य का लाभ मिलता है।
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