Manipur Chakra in Hindi: जब भी कभी चक्र की बात की जाती है तो हमारे जहन में सबसे पहले आता है भगवान श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र और कुछ लोग जो धार्मिक और पौराणिक गतिविधियों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखते उन्हें चक्र का मतलब कोई पहिया या फिर किसी प्रकार की गोलाकार वस्तु का ध्यान आता है। मगर यहां पर हम जिस चक्र की बात कर रहे हैं उसका संबंध हमारे शरीर से है जो कि बेहद ही ज्यादा महत्वपूर्ण है।
असल में हम जिस चक्र की बात कर रहे हैं उसे मणिपुर चक्र के नाम से जाना जाता है। यह चक्र नाभि के केंद्र में पसली के हड्डियों के पिंजरे के नीचे स्थित होता है। बताया जाता है कि यह चक्र मुख्य रूप से अग्न्याशय तथा पाचन क्रिया के कार्य पद्धति को संचालित करता है। जैसा कि इसके नाम से ही प्रतीत हो रहा है, यह दो शब्दों से मिल कर बना हुआ है- मणि और पुर। मणि का अर्थ होता है गहना या मोती और पुर का अर्थ होता है स्थान।
ऐसा माना जाता है कि मणिपुर चक्र में अनेक बहुमूल्य मणियां जैसे स्पष्टता, आत्मविश्वास, आनन्द, आत्म भरोसा, ज्ञान, बुद्धि और सही निर्णय लेने की योग्यता जैसे गुण निहित होते हैं। जब हमारी चेतना मणिपुर चक्र में पहुंच जाती है तब हम स्वाधिष्ठान के निषेधात्मक पक्षों पर विजय प्राप्त कर लेते हैं। यह भी कहा जाता है कि नाभि के मूल में स्थित रक्त वर्ण का यह चक्र शरीर के अंतर्गत मणिपुर नामक तीसरा चक्र कहलाता है, जो दस दल कमल पंखुड़ियों से युक्त है। मणिपुर चक्र को ही चेतना का केंद्र बिंदू माना जाता है जो हमारे शरीर के अंदर की ऊर्जा का संतुलन बनाए रखता है। इस चक्र पर ध्यान करने से साधक को अपने शरीर का भौतिक ज्ञान होता है, साथ ही साथ इससे व्यक्ति की भावनाएं शांत होती हैं।
आगे पढ़े:
चूंकि दस पंखुड़ियों वाला एक कमल होने की वजह से मणिपुर चक्र दस प्राणों तथा प्रमुख शक्तियों का प्रतीक भी माना जाता है, जो मानव शरीर की सभी प्रक्रियाओं का नियंत्रण और पोषण करती है। मणिपुर का एक अतिरिक्त प्रतीक त्रिभुज है, जिसका शीर्ष बिंदु नीचे की ओर है। आपको इस बात से भी अवगत करते चलें कि इस चक्र के देवता श्री हरी विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी हैं। भगवान विष्णु उदीयमान मानव चेतना के प्रतीक हैं, जिनमें पशु चरित्रता बिल्कुल नहीं है। देवी लक्ष्मी प्रतीक हैं भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि की, जो भगवान की कृपा और आशीर्वाद से फलती-फूलती है।
मणिपुर चक्र का मंत्र होता है, “रं”। मणिपुर चक्र को जागृत करने के लिए आपको इस मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाना होता है। ऐसा माना जाता है कि जब व्यक्ति की चेतना मणिपुर चक्र में पहुंच जाती है तब व्यक्ति स्वाधिष्ठान के निषेधात्मक पक्षों पर विजय प्राप्त कर लेता है। साथ ही यह भी बताया जाता है कि इसके जागृत होने से तृष्णा, ईर्ष्या, चुगली, लज्जा, भय, घृणा, मोह आदि कषाय-कल्मष दूर हो जाते हैं।
जैसा कि बताया गया है मणिपुर चक्र को खोलने के लिए नाभि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना पड़ता है। उस दौरान ऐसी कल्पना करनी होती है कि वहां से पीले रंग का उगम हो रहा है। पीले रंग के वस्त्र पहनना अथवा ध्यान करते वक्त पीले रंग के कमरे में बैठने से इसे जागृत करने में सहायता मिलती है। मणिपुर चक्र में जागरण हेतु अग्नि मुद्रा मे बैठ कर अपनी अनामिका अंगुली को मोड़ कर अंगुष्ठ के मूल में लगाएं और हल्के से दबाएं। शेष सभी अंगुलियां एकदम सीधी रखें। मणिपुर चक्र में तनाव डालें और मणिपुर चक्र मे मन लगाएं। कूटस्थ में दृष्टि रखें। अपनी शक्ति के अनुसार दस बार लंबी श्वास लें और छोड़ें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि ऐसा करते वक़्त श्वास को रोके नहीं। मणिपुर चक्र को व्यष्टि मे तलातल लोक और समिष्टि मे स्वर लोक कहते हैं। इस चक्र को सूरज की रोशनी में प्रभारित किया जा सकता है।
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। पसंद आने पर लाइक और शेयर करना ना भूलें
Maa Laxmi Ko Kaise Prasan Kare: जब आप किसी मंदिर में भगवान के दर्शन के…
Dharmendra and Hema Malini`s Famous Movie: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी…
Shani Dev Jayanti Kab Hai : ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भगवान शनि देव की…
Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…
Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…
Benefits Of Ice On Face In Hindi: चेहरे को सुंदर बनाने के लिए लोग तरह-तरह…