(Narak Chaturdashi Story in Hindi) नरक चतुर्दशी की रात को 5 दीये जलाने की परंपरा कई वर्षो से चली आ रही है। एक कथा के अनुसार आज के दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध करके सोलह हज़ार से ज्यादा कन्याओ को उसके बंदी गृह से मुक्त करवाया था। इसलिए इसको नरक चतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 6 नवंबर के दिन मनाया जाएगा।
एक रन्ति देव नाम का एक प्रतापी राजा था। इन्होने कभी भी अपनी ज़िंदगी में कोई गलती नहीं की। ये शांत स्व्भाव और पुण्य आत्मा थे। जब इनकी मृत्यु का समय आया तो इन्हे पता चला कि इनको मोक्ष नहीं बल्कि नरक मिला है। तब उन्होने ने यमदूत से पूछा कि मैने कभी कोई पाप नहीं किया तो फिर मुझे नर्क क्यूँ मिला, तो यमदूत ने बताया एक बार अज्ञानवश आपके द्वार से ब्राह्मण भूखा लोट गया था। इसलिए आपको नरक भोगना पड़ रहा है। इसके बाद राजा रन्ति ने यमदूत से एक साल का समय माँगा ताकि वो अपनी गलती सुधर सके।
यमदूत ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा रन्ति अपनी परेशानी लेकर ऋषि मुनियो के पास पहुंचे और अपने पाप का उपाय पूछा, ऋषियों ने राजा को बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रख कर, ब्राह्मणों को भोजन करवा कर क्षमा याचना करें। इस प्रकार राजा रन्ति अपने पाप से मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। ऐसे इसका नाम नरक निवारण चतुर्दशी पड़ गया। इसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।
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प्रशांत यादव
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