Sankashti Chaturthi 2019 संकष्टी चतुर्थी का अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी। माघ महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्थी यानि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक माघ संकष्टी चतुर्थी 24 जनवरी को है। संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चन्द्रोदय तक उपवास रखते हैं। संकट से मुक्ति मिलने को संकष्टी कहते हैं। भगवान गणेश सभी तरह के विघ्न हरने के लिए पूजे जाते हैं। और संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिल जाती है।
संकष्टी चतुर्थी का उपवास कठोर होता है जिसमे केवल फलों, जड़ों और वनस्पति उत्पादों का ही सेवन किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान साबूदाना खिचड़ी, आलू और मूँगफली श्रद्धालुओं का मुख्य आहार होते हैं। श्रद्धालु लोग चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद उपवास को तोड़ते हैं।
संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। अब उत्तर दिशा की ओर मुंह कर भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें। जल में तिल मिलाकर ही अर्घ्य दें और दिन भर व्रत रखें। शाम के समय विधिवत् गणेश जी की पूजा करें, गणेश जी को दुर्वा या दूब अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से धन-सम्मान में वृद्धि होती है। गणेश जी को तुलसी कदापि न चढ़ाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से वह नाराज हो जाते हैं. मान्यता है कि तुलसी ने गणेश जी को शाप दिया था। अब उन्हें शमी का पत्ता और बेलपत्र अर्पित करें।
तिल के लड्डुओं का भोग लगाकर भगवान गणेश की आरती उतारें। अब पानी में गुड़ और तिल मिलाकर चांद को अर्घ्य दें। अब तिल के लड्डू या तिल खाकर अपना व्रत खोलें। इस दिन तिल का दान करना चाहिए।
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