भारत देश एक हिंदू धर्म प्रधान देश है. हालांकि, यहां पर अन्य कई प्रमुख धर्म भी हैं लेकिन हिंदू धर्म की मान्यता यहां पर ज्यादा है। हमारे हिंदू धर्म में हज़ारों करोड़ो देवी-देवता हैं, जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों के लोग अपने-अपने तरीके से पूजते हैं। मान्यता के अनुसार, इस संसार में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं। लेकिन कुछ देवी-देवता ऐसे हैं जिनकी मुख्य रूप से पूजा होती है और उन्हीं में से एक हैं भगवान शिव। आज हम सभी लोग जिस शिवलिंग की पूजा करते हैं वो शिव का ही प्रतीक है। आमतौर पर शिवजी के भक्त सावन के महीने में या फिर शिवरात्रि के मौके पर शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र तथा अन्य पूजा सामग्री चढ़ाकर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।
शिवलिंग मतलब शिव भगवान, मगर कैसे? शिवलिंग का शिवजी से संबंध कैसे है? क्या है इसका मतलब? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई और क्या मान्यता है? इन सब चीजों के बारे में बहुत कम ही लोगों को जानकारी होती है। ज़्यादातर लोगों को बस इतना ही पता रहता है कि शिवलिंग अर्थात भगबान शिव का प्रतीक। मगर आज हम आपको इसका असल मतलब बताएंगे। हम आपको बताएंगे कि आखिर शिवलिंग का अर्थ क्या है और कैसे इसे शिवजी का प्रतीक मानकर भगवान शंकर की पूजा की जाने लगी।
शिवलिंग, अगर इस शब्द का विच्छेद किया जाए तो अर्थ निकलता है ‘शिव का लिंग’। समान्यतः शिवलिंग एक गोलाकार मूर्ति तल पर खड़ा दिखाया जाता है, जिसे कई जगहों पर योनी की संज्ञा दी गयी है। कई लोग इसे गलत और अश्लील तथ्यों से जोड़ते हैं, मगर ऐसा कुछ भी नहीं है। ऐसी बातें करने वाले लोगों को इसका पूर्ण ज्ञान नहीं होता और वह आधा-अधूरा ज्ञान बांटकर अंधों में काना राजा बनने का प्रयास करते हैं और कई-कई बार तो बन भी जाते हैं। हालांकि, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिवलिंग का उन तमाम तरह के अर्थों से कोई भी ताल्लुक नहीं है। यह शब्द सुनने में तो हिंदी जैसा लगता है, मगर इसका असल अर्थ संस्कृत में छिपा है। संस्कृत जो कि बहुत ही प्राचीन भाषा है उसमें लिंग का अर्थ ‘चिन्ह’ या ‘प्रतीक’ बताया गया है। जबकि जननेन्द्रिय को संस्कृत मे शिशिन कहा जाता है।
जानकारी के लिए बता दें कि स्कंदपुराण में आकाश को स्वयं लिंग की संज्ञा दी गयी है। आपको बता दें कि शिवलिंग का अर्थ है अनंत। अनंत अर्थात जिसका न कोई अंत है और न ही आरंभ। यदि ध्यान दिया जाये तो संपूर्ण ब्रह्मांड में दो ही चीजें व्याप्त हैं, पदार्थ और ऊर्जा। संसार की सभी वस्तु इन ही दोनों चीजों से बनी है। यहां तक कि हमारा शरीर भी पदार्थ का ही बना है, जबकि हमारी आत्मा ऊर्जा का प्रतीक है। शिवलिंग को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है, जैसे प्रकाश स्तंभ, अग्नि स्तंभ, उर्जा स्तंभ, ब्रह्मांडीय स्तंभ आदि।
अगर सही-सही समझा जाये तो शिवलिंग का सीधा तात्पर्य यह है कि इस संसार में सिर्फ पुरुष का ही वर्चस्व नहीं है और न ही यह सृष्टि पुरुष से ही चल सकती है। पुरुष के साथ-साथ स्त्री का वर्चस्व भी उतना ही महत्वपूर्ण है और दोनों ही एक-दूसरे के समान तथा पूरक हैं। निश्चित रूप से यह इस संसार को समाज को स्त्री पुरुष के बीच समानता दिखाने का संदेश है। मगर कुछ लोग इस बात की गहराई तक पहुंचे बिना ही कई तरह की मन गढ़ंत बातें करने लगते हैं तथा आधे-अधूरे ज्ञान के साथ लोगों को भ्रमित करते हैं। वैसे इस बात से तो तकरीबन सभी बेहतर वाकिफ होंगे कि इस सृष्टि के रचयिता परमपिता ब्रह्मा जी हैं और भगवान विष्णु को सृष्टि का रक्षक कहा जाता है। बताया जाता है कि संसार में संतुलन पैदा करने के लिए ही शिवलिंग की उत्पत्ति हुई है।
दोस्तों, उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया होगा। पसंद आने पर लाइक और शेयर करना न भूलें।
Raw Banana Kofta Recipe in Hindi: केले को सदाबहार चीजों की श्रेणी में गिना जाता…
Maa Laxmi Ko Kaise Prasan Kare: जब आप किसी मंदिर में भगवान के दर्शन के…
Dharmendra and Hema Malini`s Famous Movie: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेन्द्र और अभिनेत्री हेमा मालिनी…
Shani Dev Jayanti Kab Hai : ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भगवान शनि देव की…
Keto Burger Recipe in Hindi : पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रीट फूड्स ने हर एक…
Astrologer Kaise Bane: एस्ट्रोलॉजी जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में ज्योतिषी या ज्योतिष विज्ञान…