Story Of Samba Son Of Krishna In Hindi: “महाभारत” हिन्दू धर्म का बहुत ही पावन ग्रंथ है और इस ग्रंथ में लिखी हुई बातें व्यवहारिक जीवन में भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं और कई लोगों की ऐसी मान्यता है कि, महाभारत में जो कुछ भी लिखा गया है वो सब कुछ सच है। हमारे आस पास जो भी घटनाएं हो रही हैं उन घटनाओं के पीछे अतीत में कोई दिलचस्प कहानी होती है और जब हम उन चीजों के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं तो सभी चीजें हमारे सामने आती हैं। आज हम आपको महाभारत कालीन एक ऐसी ही कहानी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं और कहानी भगवान श्री कृष्ण और उनके बेटे से जुड़ी हुई है। आज की कहानी में हम आपको भगवान श्री कृष्ण के द्वारा उनके बेटे को दिए गए कोढ़ी बनने के श्राप के बारे में बताएंगे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण की आठ पत्नियाँ थी और उन्हीं पत्नियों में से एक थी निषादराज जामवंत की पुत्री जामवंती, जामवंती और श्री कृष्ण के पुत्र का नाम था सांबा। चूंकि सांबा भगवान श्री कृष्ण का पुत्र था इसी वजह से वह उन्हीं की भांति सुंदर और आकर्षक था लेकिन वह अपने सभी भाइयों की तुलना में सबसे अधिक अधर्मी था।
सांबा के अधर्म कृत्यों को देखने के बाद भगवान श्री कृष्ण उसे लगातार समझाते थे लेकिन पिता के द्वारा समझाई गई सभी बातें उसकी समझ से परे थीं। एक बार जब राधारानी बरसाने से द्वारिका नगरी भगवान श्री कृष्णा से मिलने के लिए पहुंची तो भगवान कृष्ण की सभी रानियों ने उनका भव्य स्वागत किया लेकिन सांबा ने राधारानी का बहुत अपमान किया। अपने आँखों के सामने राधारानी का अपमान देखकर भगवान कृष्ण क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने पुत्र को कोढ़ी होने का श्राप दे दिया।
पिता से श्राप मिलने के बाद सांबा को अपनी गलती का आभास हुआ और उसने पिता से क्षमा याचना की लेकिन उन्होंने कोई भी उत्तर नहीं दिया। सांबा की इस हालत को देखने को बाद महर्षि कटक ने उसे भगवान सूर्य की आराधना करने की सलाह दी। महर्षि कटक की सलाह को ध्यान में रखते हुए सांबा ने चंद्रभागा नदी के किनारे भगवान सूर्य के भव्य मंदिर का निर्माण कराया और उसने फिर भगवान सूर्य की आराधना करीब 12 वर्षों तक की। सांबा की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उसे कोढ़ मुक्त किया और उसका शरीर एक बार फिर से पहले की ही तरह सुंदर और आकर्षक हो गया।
भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांबा ने जिस चंद्रभागा नदी के किनारे भगवान सूर्य के भव्य मंदिर का निर्माण कराया था उस नदी को आज चिनाब नदी के नाम से जाना जाता है और यह नदी पाकिस्तान में बहती है और इसके साथ ही सूर्य भगवान के मंदिर को आदित्य मंदिर के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान के मुल्तान शहर में स्थित इस मंदिर में आज भी कोढ़ रोग से ग्रसित मरीजों का जमावड़ा रहता है और यह कहा जाता है कि, नदी में स्नान के उपरांत मंदिर में दर्शन करने से कोढ़ रोग से मुक्ति मिलती है।
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