Iskcon Mandir Delhi in Hindi: भारत देश में अनेकों देवी-देवता हैं और इन देवी-देवताओं के अपने-अपने मंदिर। शंकर भगवान, विष्णु जी, दुर्गा मां आदि तकरीबन सभी देवी-देवताओं के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग महत्व के साथ मंदिर स्थापित हैं। हर मंदिर और उसमें मौजूद देवी-देवता का अपना ही महत्व होता है, जिनके दर्शन के लिए लोग न सिर्फ देश के कोने-कोने से बल्कि विदेशों से भी आते हैं।
वैसे तो हमारे देश में देवी-देवताओं का काफी ज्यादा सम्मान किया जाता है और उनकी इसी सम्मान की वजह से भारत देश विश्वभर में अपनी एक अलग ही छवि रखता है। कुछ इसी तरह से भगवान श्री कृष्ण को समर्पित राजधानी दिल्ली में स्थित इस्कॉन मंदिर है। इस्कॉन (अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी कृष्णा चेतना) जिसे हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है। वैसे तो यह मंदिर समाज को पूरी तरह से समर्पित है मगर कुछ खास अवसरों पर इसका महत्व बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है। विशेष रूप से कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर।
इस्कॉन एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसने विश्वभर के कई देशों में भगवान श्री कृष्ण और राधा को समर्पित कुल 40 मंदिरों का निर्माण किया है। उन्हीं में से एक इस्कॉन मंदिर दिल्ली में स्थित है, जो कि हरि कृष्ण पहाड़ी, कैलाश के पूर्व में स्थित है। बता दें कि देश की राजधानी में सबसे भव्य मंदिरों में शामिल इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1998 में हुआ था। श्रीमद भगवत गीता के संदेश को प्रसारित करने के उद्देश्य से इस्कॉन मदिर का निर्माण हरे रामा हरे कृष्णा संप्रदाय ने किया। कई लोग इस मंदिर को श्री श्री राधा पार्थसारथी मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
इस मंदिर में श्री राधा-कृष्ण और राम-सीता के जीवन वृत्तांतों को बहुत ही खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है। 90 मीटर से भी ऊंचे शिखर वाले इस मंदिर की वास्तु कला बेहद ही शानदार है। आपको यह भी बता दें कि मंदिर के अंदरूनी साज-सज्जा को रूसी कलाकारों ने आकार दिया है, जिसका कोई जवाब ही नहीं है। देखा जाए तो यह मंदिर अपने आप में बहुत ही ज्यादा विशेष है क्योंकि जैसे ही कोई भी भक्त इस मंदिर परिसर में प्रवेश करता है वहां का शांत और निर्मल वातावरण उसके अंतर्मन को छू जाता है। यह एक अलग सा सुकून देता है।
मंदिर के पुजारी और भक्त हवा में अपनी बांहों को फैलाकर ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ मंत्र का उच्चारण करते हैं। मंदिर में दर्शन का सबसे अच्छा समय आरती का होता है, जब वहां मौजूद सभी एक सुर में सजे मंत्र और ढोल की लयबद्ध ताल पर चल रहे गीत गाकर आपको भगवान के करीब लाते हैं। यह वाकई में एक बहुत ही अलौकिक दृश्य होता है, जिसे बयान कर पाना मुश्किल है। इस पल को सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है।
मंदिर के प्रांगण में एक बड़ा सा पुस्तक संग्रहालय भी है जहां पर तमाम आध्यात्मिक पुस्तकें मिल जाएंगी। चूंकि यहां पर राधा-कृष्ण के दर्शन को दूर-दूर से लोग आते हैं, ऐसे में भक्तों के भोजन की व्यवस्था के लिए मंदिर परिसर में स्थित गोविंदा का रेस्त्रा भी है, जहां बिना प्याज और लहसुन से बने कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन खाने को मिलते हैं।
मंदिर की खास बात यह है कि जब आप इसके बड़े से मुख्य हाल में प्रवेश करते हैं तो वहां पर महाभारत, रामायण तथा भगवत गीता के विभिन्न प्रवचनों को समझाने के लिए मल्टीमीडिया शो चलता रहता है। यह ऐसा मंदिर हैं जहां पर किसी भी समाज के संप्रदाय के लोग बिना किसी रोक टोक-प्रवेश कर सकते हैं। यहां पर जाति-धर्म आदि की कोई पाबंदी नहीं है।
मुख्य हॉल दोपहर 1 से 4 बजे तक बंद रहता है। फिर रात को 9 बजे से तड़के 4.30 बजे तक।
प्रातः 4.30 बजे, 7.15 बजे तथा 7.45 बजे
दोपहर 12.30 बजे, शाम 7 बजे तथा 7.45 बजे
यदि आप इस भव्य मंदिर की फोटोग्राफी करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको मंदिर प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ेगी। बिना अनुमति यहां तस्वीरें खींचना मना है।
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