Kochi Tourism in Hindi: भारत में घूमने के लिए एक नहीं बल्कि कई सारी जगहें हैं जिन्हें घूम-घूमकर आप थक सकते हैं लेकिन ये जगहें कभी खत्म नहीं हो सकती। मगर इस आर्टिकल में हम केरल के प्रमुख शहरों में एक कोचि (Kochi) के टूरिस्ट प्लेसेस के बारे में बात करेंगे। कोचि का पुराना नाम एर्नाकुलम है जो केरल राज्य का एक जिला है। एर्नाकुलम को कोचिन या कोचि के नाम से भी पहचानते हैं। पुराने कोचि बंदरगाह को कोचीन या कोचि कहते हैं और कोचि से बाहर बसे आधुनिक शहर को एर्नाकुलम कहते हैं।
यह एक ऐसा आधुनिक शहर है जहां शॉपिंग मार्केट, सिनेमा हॉल, औद्योगिक भवन, मनोरंजन पार्क और समुद्री ड्राइवर एकदम एडवांस हैं। ये केरल का वाणिज्यिक और आईटी हब कहा जाता है और एर्नाकुलम पर्यटन के क्षेत्र में केरल का महत्वपूर्ण जिला घोषित किया गया है। प्राचीन समय से अरब, चीन, डच, ब्रिटिश और पुर्तगाली समुद्री यात्रियों के कोचि के समुद्र मार्ग का पालन किया था और शहर पर छाप छोड़ गए थे। चीनी मछली पकड़ने की जाल बैकवाटर, यहूदी सिनेगॉग, डच पैलेस, बोलघाटी पैलेस और कोचि में पुर्तगाली वास्तुकला में गिनी जाती है। अब पर्यटन स्थल कोचि की यात्रा की प्लानिंग करें लेकिन इसके साथ ही आपको टॉप आकर्षक स्थलों के बारे में पता होना चाहिए।
कोच्चि किला कोच्चि शहर का एक प्रमुख हिस्सा माना जाता है लेकिन यह समुद्र के एक खंड के पार स्थित है। एक मज़बूत पुल कोच्चि किले को बाकी की दुनिया से जोड़ता है और ये जगह इतिहास, कला, भोजन, और धर्म के मामले में पर्यटकों के लिए कई खुशियों को प्रदान करती हैं। इस स्थान की सैर पैदल या साईकिल द्वारा अच्छे से की जा सकती है और साइकिल के साथ यहां पर मोटरसाइकिल भी किराए पर मिलती है जिससे आप यहां पर घूमने का आनंद ले सकते हैं।
चेराई बीच कोच्चि के लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक माना जाता है और ये कोच्चि से लगभग 25 किमी. की दूरी पर है, जो व्य्पिन द्वीप के अधीन में आता है। अनेक स्थानीय निवासी और पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य का आनंद उठाने के लिए इसी जगह पर आते हैं। इस बीच तक समुद्र या रास्ते से आसानी से पंहुचा जा सकता है और यहाँ कुछ अच्छे होटल और रेस्टारेंट भी हैं जहां पर आपको अद्भुत समुद्री भोजन का स्वाद मिल सकता है। यहाँ कुछ छोटी दुकानें हैं जो ताज़ा समुद्री भोजन बेचती हैं और यहां पर आपको मछली, झींगे और केंकड़े खाने को मिल सकता है और ये सभी रेस्टोरेंट में मिलते हैं। घूमते हुए अगर आपको ये सब कुछ मिल जाए तो आप रेस्टारेंट में पकाने के लिए दे सकते हैं।
चीनी फिशिंग नेट का मूल जन्म चीन में हुआ था और ये चीनी फिशिंग नेट भारत के कोचि में पहली बार चीनी यात्री ज़्हेंग हे द्वारा लाया गया था। पहली बार ये जाल चौदहवीं शताब्दी में कोच्चि बंदरगाह में स्थापित हुआ था और तब से इनका प्रयोग हो रहा है। व्येपीन द्वीप और फोर्ट कोच्चि के समुद्र तटों पर चीनी फिशिंग नेट देखें जा सकते हैं और इस जाल की विशेषता इस तथ्य में है कि इन्हें मध्य हवा में झूले की तरह भी छोड़ा जा सकता है। ये जाल खंभों से लटके होते हैं जो बांस या सागौन की लकड़ी से बनाए जाते हैं। यहां की खूबसूरती आप तस्वीर में देख सकते हैं जो आपका मन मोह सकती है।
कोचि में स्थित सेंट फ्रांसिस चर्च भारत का पहला यूरोपियन चर्च है जिसका निर्माण साल 1503 में हुआ था। कई हमलों और अनगिनत समझौतों का साक्षी ये चर्च कोच्चि के सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने वाला टूरिस्ट प्लेज है। यह चर्च कोचि के किले के बगल में स्थित और इस चर्च के साथ एक बहुत महत्वपूर्ण रोचक तथ्य भी जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि यह महान पुर्तगाली नाविक वास्को द गामा का निधन 16वीं शताब्दी में हुआ था तो उन्हें सेंट फ्रांसिस चर्च में ही दफनाया गया था। 14 सालों के बाद उनके शव को लिस्बोन ले जाया गया और तब चर्च का निर्माण पहले लकड़ी द्वारा किया गया था मगर अब इसे बहुत ही अच्छे तरीके से बना दिया गया है।
मट्टनचेरी महल किला कोच्चि का अद्भुत पर्यनट स्थल है और ये डच महल के नाम से भी जाना जाता है। इसे एक कलाकार को प्रसन्न कर देने वाले सारे गुण प्राप्त हैं क्योंकि उन अलग-अलग संस्कृतियों का समृद्ध मिश्रण को प्रस्तुत करता है। जिनका घर कोचि में ही है वहां के लिए ये एक बेमिसाल जगह है। हर साल पर्यटक इस मध्युगीन आकर्षण की ओर आकर्षित होने आते हैं और इसका निर्माण पुर्तगालियों द्वारा ईसा पश्चात 1555 में वीर केरल वर्मा के लिए किया गया था जो उस समय कोच्चि का शासक हुआ करता था।
संडे की शाम जब सनसेट होता है तो वो नजारा आपको कोचि के मरिन ड्राइव से देखना चाहिए। ये शानदार दृश्य देखने के लिए लोगों की भीड़ यहां इकट्ठा हो जाती है। मरीन ड्राइव शहर के लिए आर्थिक महत्व भी रखता है और कोच्चि का मरीन ड्राइव मुंबई के मरीन ड्राइव की तरह ही बनाया गया है। मरीन ड्राइव में घूमते हुए कोच्चि के बैकवॉटर का मनोहर दृश्य भी आप अपने लव वन के साथ देख सकते हैं। यह जगह स्थानीय लोगों और पर्यटकों में समान रूप से लोकप्रिय है, ऐसा इसलिए क्योंकि यहां से समुद्र का अदूषित दृश्य आसानी से देखा जा सकता है।
बोलघट्टी द्वीप पर स्थित बोलघट्टी महल पर कोचि की शोभा को बढ़ाता है। इसका निर्माण साल 1774 में डच लोगों ने किया था और ये महल, महल के बजाय एक विरासत बंगले की तरह नजर आता है। महल का निर्माण पूरा होने के बाद यहां पर हरे-भरे उद्यान और जंगल जैसा बनाया गया। शुरुआत में ये महल डच मलाबार के कमांडर का घर था। बाद में इसे कोचि का टूरिस्ट प्लेस बना दिया गया जहां पर आपको एक बार तो जरूर आना चाहिए।
कोचि में स्थित एर्नाकुलाथाप्पन मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित एक मंदिर जो कोच्चि के प्रमुख धार्मिक स्थानों में से एक माना जाता है। यहां की मूर्ति पश्चिममुखी है और केरल की भव्य वास्तुकला की मिसाल भी मानी जाती है। यहां पर दूसरे भगवानों की भी पूजा होती है जिसमें भगवान सस्थ और भगवान गणपति शामिल हैं। यह मंदिर एर्नाकुलाथाप्पन उत्सव के लिए प्रसिद्ध है जो इस मंदिर का एक बड़े उत्सव की तरह मनाया जाता है।
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