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भारत में सर्दी का मौसम अपने चरम सीमा पर है. खबरों की माने तो इस बार की सर्दी कई पुराने रिकार्ड्स तोड़ चुकी है. सर्दी का यह हाल केवल भारत में ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में है. धरती का पारा गर्म हो रहा है लेकिन फिर भी ठंडक में इजाफा देखने को मिल रहा है, यह कुदरत का करिश्मा ही है. कुदरत का करिश्मा किसी भी जगह किसी भी रूप में देखने को मिल सकता है लेकिन उसे पहचानने के लिए व्यक्ति को एक अलग नजरिये की जरूरत होती है. हिमाचल में ज्वाला देवी के मंदिर के पानी में जलती ज्योत भी एक कुदरत का चमत्कार ही है. पानी छूने पर ठंडा लेकिन ज्योत ज्यों की त्यों कई सालों से प्रज्वलित है.
इस बार कुदरत ने अपने चमत्कार को दर्शाने के लिए जिस स्थान का इस्तेमाल किया वह उत्तराखंड के वादियों में स्थित है. इस स्थान को चमोली नाम से भी जाना जाता है. चमोली अपने खूबसूरती के कारण अपनी ओर हर तरह के टूरिस्ट्स को आकर्षित करती है. यहां आकर पर्यटक बर्फ के साथ खेलते हैं और मौसम का लुत्फ लेते हैं. इस जगह पर ठंड ने अपना असर कुछ यूं दिखाया कि शरीर मे कंपन छूटने लगी और तो और उस जगह मौजूद पानी भी जम गया.
उत्तराखंड के चमोली जिले में आने वाला एक भाग औली जो कि जोशीमठ से कुछ ही दूरी पर है. यहां कुदरत का अलग ही नजारा देखने को मिल रहा है. एक अलग ही संगम यहां आए पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. यह संगम गर्म और ठंडे का है. ठंड से यहां का पारा शून्य से नीचे माइनस की ओर गिर गया है लेकिन इसके बावजूद पहाड़ों के नीचे से बेहद उबलता हुआ पानी लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है. इस गर्म पानी का रहस्य अभी तक कोई भी नहीं सुलझा पाया है. बाहरी परत ठंड से जमी हुई और अंदर से बहता गर्म पानी एक अद्भुत संगम को दर्शाता है.
बता दें, गर्म पानी सभी पर्यटकों के लिए तो रहस्य है ही लेकिन साथ ही साथ यहां रह रहे लोगों के लिए भी रहस्य है. ठंड इतनी हद तक है कि पानी भी पहाड़ों पर जम रहा है, सिर्फ पानी की चमक दिख रही है. चमोली में माइनस डिग्री होने के बावजूद पानी का तापमान बेहद ज्यादा है. हालांकि, यह पानी पर्यटकों को ठंडक से कुछ राहत देती है. लेकिन फिर भी यह सवाल दिमाग में जगह बना ही लेता है कि आखिर कहां से यह गर्म पानी आया. इसी सवाल का जवाब खोजने का मिशन लिए यहां पर्यटकों की तादाद बढ़ती जा रही है.
इस रहस्यमयी जगह से एक अजीबो गरीब खबर सामने आई है. लगता है पर्यटकों को यह बात जानने में कोई दिलचस्पी नहीं कि आखिर यह गर्म पानी कब और कहां से आया. बल्कि अधिकतर लोग उस गर्म पानी वाली जगह से अपने अंडे उबाल रहे हैं. यहां निकलता पानी इतना गर्म है कि अंडे केवल 10 मिनट के भीतर उबलकर तैयार हो रहे हैं.
लोग इस जगह अंडे उबालने के लिए एक रुमाल या तौलिया का इस्तेमाल कर रहें हैं. जहां से गर्म पानी बाहर निकल रहा है उस के ऊपर रुमाल या तौलिया रख कर ढंक दिया जाता है. तौलिया में अंडे रख दिए जाते हैं. यह अंडे गर्म पानी के भांप से उबल जाते हैं. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह पानी कितना गर्म होगा. जो मात्र भांप से ही अंडे उबाल दे वह कोई नार्मल पानी नहीं हो सकता.
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