Lepakshi Temple History In Hindi: भारत को अगर मंदिरों का देश कहा जाए तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। यहाँ हर श्हर हर नुक्कड़ और हर गली में आपको छोटी बड़ी मंदिरें जरूर देखने को मिल जाएंगी। इन्हीं में से कुछ मंदिरों को काफी रहस्यमयी और चमत्कारी भी माना जाता है। ऐसा ही एक मंदिर है लेपाक्षी मंदिर, इस मंदिर के साथ एक ऐसा रहस्य जुड़ा है जिसकी जानकारी अभी फिलहाल किसी को भी नहीं है। आज इस आर्टिकल में हम आपको खासतौर से इस मंदिर से जुड़े विभिन्न तथ्यों और इसके रहस्य के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। तो देर किस बात की आइये जानते हैं लेपाक्षी मंदिर से जुड़े महत्वपूर्ण बातों को।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, दक्षिण भारत में स्थित लेपाक्षी मंदिर को रहस्यमयी इसलिए माना जाता है क्योंकि, इस मंदिर का एक पिलर हवा में लटका हुआ है। जानकारी हो कि, इस मंदिर को हैंगिंग पिलर टेम्पल के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में कुल 70 खंभे हैं, इसमें से एक खंभा ऐसा भी है जिसका जुड़ाव जमीन से नहीं है। हवा में लटकते हुए इस खंभे का रहस्य आज तक किसी को मालूम नहीं चल सका है। यहाँ तक की इस लटकते हुए पिलर के रहस्य को वैज्ञानिक भी आजतक नहीं जान पाए हैं। बता दें कि, हज़ारों वर्ष पुराने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि, यहाँ ब्रिटिश काल में एक अंग्रेज इंजीनियर ने इस पिलर को जमीन से काट दिया और तब से आज तक ये हवा में लटक रहा है। इस रहस्य से लोगों का आस्था भी जुड़ गया है, यहाँ के लोगों का ऐसा मानना है कि, लेपाक्षी मंदिर के हवा में झूलते हुए इस पिलर के नीचे से यदि किसी को कपड़ा मिले तो उसे काफी भाग्यशाली माना जाता है।
दक्षिण भारत में स्थित लेपाक्षी मंदिर में विशेष रूप से भगवान् वीरभद्र की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार वीरभद्र को विशेष रूप से भगवान् शिव का एक क्रूर रूप माना जाता है। पत्थर से निर्मित इस मंदिर की संरचना 16वीं शताब्दी में की गई थी, यहाँ भगवान् शिव के अन्य रूपों जैसे दक्षिणमूर्ती, त्रिपुरातकेश्वर, कंकालमूर्ती और अर्धनारीश्वर रूप की भी पूजा की जाती है। इसके साथ ही साथ इस मंदिर में खासतौर से माँ काली के स्वरुप भद्रकाली की पूजा अर्चना भी की जाती है। हालाँकि की मंदिर के प्रमुख इष्टदेव भगवान् वीरभद्र ही कहलाते हैं।
लेपाक्षी मंदिर (Lepakshi Temple) दक्षिण आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है। अपने भव्य बनावट और रहस्यमयी तथ्यों की वजह से यहाँ हर साल हज़ारों लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर परिसर में विशाल पैरों के निशान हैं, इसकी पूजा के लिए विशेष रूप से लोग यहाँ आते हैं। ऐसी मान्यता है कि, ये पैर के निशान रामायण काल से संबंधित हैं। कुछ लोग इसे राम का मानते हैं तो कुछ लोग इसे सीता का मानते हैं। मंदिर में स्थित इस पैर के निशान को लेकर ऐसी भी चर्चा है कि, कुछ लोग इसे वहीं जगह मानते हैं जहाँ जटायु ने भगवान् श्री राम को रावण का पता बताया था।
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भव्य लेपाक्षी मंदिर के प्रांगण में एक स्वयं भू यानि की खुद से बना हुआ एक विशाल शिवलिंग भी है। इस शिवलिंग के पीछे शेषनाग की भी प्रतिमा बनी हुई है। इस विशाल शिवलिंग को देखने भी लोग दूर-दूर से आते हैं। माना जाता है कि, जब विजय नगर रियासत द्वारा इस मंदिर का निर्माण शुरू करवाया गया, उसी वक़्त इस शिवलिंग को भी ढ़कने का काम किया गया। इससे पहले भगवान् शिव की ये शिवलिंग खुले आसमान के नीचे ही विराजित थी। कहते हैं कि, विजयनगर के जिस राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया उनके दो बेटे थे। एक को बोलना नहीं आता था लेकिन इस शिवलिंग की पूजा करने के बाद उसे बोलना आ गया। राजा इसी चमत्कार को देखते हुए इस विशाल मंदिर का निर्माण करवाने का फैसला लिया। इस मंदिर में स्थानीय लोगों द्वारा शादी विवाह का आयोजन भी किया जाता है। खासतौर से इसके लिए एक कल्याण मंडल भी बनवाया गया है, जहाँ शादी की जाती हैं।
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