Nidhivan Vrindavan Mystery in Hindi: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार मंदिरों में भगवान का पूजा होना तो आम है। इसके बारे में आपने काफी सुना होगा और कई धामों में जाकर आप भगवान के दर्शन भी करते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ऐसा भी जगह है जहां आज भी भगवान कृष्ण स्वयं राधा रानी के साथ आते हैं। हम बात कर रहे हैं वृंदावन स्थित निधिवन की, निधिवन वृंदावन में मौजूद सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यह वन कई मायनों में बेहद ही खूबसूरत है, इसके साथ इस वन से जुड़े कई रहस्य भी है। जिसके के बारे में आज भी कोई पता नहीं लगा पाया है। मान्यता है कि आज भी रात्रि की मध्यम बेला में कृष्ण, राधा के संग इस वन में पहुंचते हैं और रास रचाते हैं। इसके बाद निधिवन परिसर में ही बने रंगमहल में दोनों आराम करते हैं।
वहां रहने वाले पंडितों के मुताबिक यही कारण है कि निधिवन को प्रतिदिन सुबह खोला जाता है और फिर शाम को आरती पूजा के बाद बंद कर दिया जाता है। सायं काल की बेला के बाद यहां कोई मनुष्य मौजूद नहीं होता। कहते हैं कि शाम होते ही यहां से पशु-पक्षी भी गायब हो जाते हैं। दूर-दूर से आने वाले लोग यहां केवल श्रृंगार का सामान चढ़ाते हैं। जो कि प्रतिदिन सुबह यहां पर बिखरा पड़ा मिलता है। बाद में यही सामान लोगों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि रात के वक्त राधा रानी और श्रीकृष्ण रंग महल में विश्राम करने के लिए आते हैं। इसके लिए धार्मिक मान्यता रखते हुए पुजारी रंगमहल में मौजूद बिस्तर को सजाते हैं। पुजारी कहते हैं कि अगर इस बिस्तर को सुबह देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि सचमुच यहां रात्रि में कोई विश्राम करने आया था।
मान्यता यह भी है कि अगर कोई भी मनुष्य महल या निधिवन के आसपास छिपकर श्री कृष्ण और और राधा की रासलीला को देखने की कोशिश करता है। तो वह व्यक्ति श्रापित हो जाता है। जिसके बाद वह या तो अंधा, गूंगा, बहरा हो जाता है या फिर मानसिक रूप से पागल हो जाता है। ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं। जब लोगों ने निधिवन के आसपास में छुपकर रासलीला देखने की कोशिश की और बाद में वे लोग कहीं पागल की तरह भटकते नजर आए।
निधिवन में लगे पेड़ों की एक अलग तरह की खासियत है। यहां मौजूद किसी पेड़ की टहनी बिल्कुल सीधी नहीं है। सभी पेड़ों की टहनियां बेलों की तरह झुकी हुई है और एक दूसरे के साथ आपस में गुथी हुई हैं। यहां पर मौजूद तुलसी के पौधे जोड़े में मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दौरान रासलीला होता है। उस वक्त यह सभी तुलसी के पौधे गोपियों का रूप धारण कर लेते हैं। इतना ही नहीं यहां मौजूद तुलसी के पौधों की टहनियों को कोई अपने साथ नहीं ले जा सकता। अगर कोई भी व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश करता है तो वह आपदा का शिकार हो जाता है।
भगवान कृष्ण का गोपियों के संग रास लीला रचाने की कथा दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भगवान कृष्ण का हर एक स्वरूप गोपियों को इतना पसंद आता था कि वह श्री कृष्ण से कभी दूर रह नहीं सकती थी। इस बात का जीती जागती सबूत वृंदावन कि हर वो गली है। जहां से गुजरने पर श्री कृष्ण के रास की कहानियां बयां होती है। लेकिन बेहद कम लोग ही जानते हैं कि इसकी शुरुआत कहां से हुई थी
कहानियों के अनुसार कृष्ण के द्वारा रचाया जाने वाला महारास सबसे पहले शरद पूर्णिमा की रात्रि को संपन्न हुआ था। जोकि कामदेव द्वारा श्रीकृष्ण को दी गई चुनौती के बाद हुआ। दरअसल देवी सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव संसारिक मोह माया को त्याग कर ध्यान मग्न हो गए। जब देवी-देवताओं को ऐसा लगा कि शिव के ध्यान को तोड़वाना चाहिए। तब उन्होंने यह काम कामदेव को सौंप दिया। ऐसा कहते हैं कि कामदेव ने एक बाण चलाया और उसी बाण ने भगवान शंकर को पार्वती की ओर आकर्षित किया। लेकिन इसके बाद भगवान शंकर अपना ध्यान टूटने के कारण क्रोधित हो गए और उन्होंने कामदेव को भस्म कर दिया। कामदेव के भस्म होने के बाद उनकी पत्नी ने भगवान शिव से प्रार्थना किया कि वह कामदेव को पुनः जीवित करें। इसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को एक बार फिर से जीवनदान दे दिया।
इस घटना के बाद से कामदेव को अपने ऊपर घमंड हो गया कि वह किसी को भी काम के प्रति मोहित कर सकते हैं। इसी घमंड के कारण एक बार कामदेव श्री कृष्णा जो की वासना और काम जैसे किसी भी भावना से मुक्त हैं से कहा कि वे उन्हें वासना के बंधन में बांध कर ही रहेंगे। फिर क्या था श्रीकृष्ण ने भी कामदेव की चुनौती को स्वीकार कर लिया।
इसके बाद कामदेव ने भगवान कृष्ण के सामने एक शर्त रखी। उन्होंने कहा कि आश्विन माह की पूर्णिमा की रात्रि में कृष्ण को वृंदावन में स्वर्गलोक की अप्सराओं से भी ज्यादा खूबसूरत गोपियों के साथ आना होगा। कृष्ण देव ने बिल्कुल ही ऐसा किया। जैसा कामदेव ने कहा वह शरद पूर्णिमा की रात वृंदावन के जंगल में पहुंचे और बांसुरी बजाने लगे। कृष्ण की बांसुरी को सुनकर सभी गोपियां उनकी ओर आकर्षित हुईं और फिर शुरू हुआ महारास लेकिन यह सब कुछ पूरी तरह से वासना रहित था।
Benefits of Roasted Chana with Jaggery In Hindi: शरीर को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए…
Benefits of Papaya Milk for Skin In Hindi: त्वचा के लिए पपीता फायदेमंद होता है…
Famous Shakti Peeth in Haryana: इस समय पूरे देश भर मे चैत्र नवरात्रि के त्यौहार…
Strawberry Crush Recipe In Hindi: स्ट्रॉबेरी एक ऐसा फल है जिसे हर एक आयु वर्ग…
Most 200 Runs Conceded by IPL Team In Hindi: इन दिनों भारतीय सरजमीं पर IPL…
Takiye Ke Niche Mor Pankh Rakhne Ke Fayde: ज्योतिष शास्त्र में जीवन के हर एक…