Top Haunted Place Delhi: मुगलों ने लंबे अरसे तक दिल्ली पर राज किया। यहां उन्होंने कई किले बनवाए। कई मीनार भी उन्होंने बनवाए। इनमें से कई ऐसे भी किले और महल हैं, जहां जाने में लोगों को डर लगता है। शाम जहां उतरती है, किसी को भी इन जगहों पर नहीं जाने दिया जाता। इन किलों, मीनारों और महलों के अलावा भी कई ऐसी जगहें हैं, जिनके बारे में डरावनी कहानियां सुनने को मिलती हैं। यहां हम आपको दिल्ली के ऐसे ही भूतिया और डरावनी जगहों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
दिल्ली कंटोनमेंट जिसे कि दिल्ली कैंट के नाम से भी जानते हैं, इस इलाके में आर्मी छावनियां बनी हुई हैं। यहां हर ओर जंगल नजर आता है। रास्ते यहां के बेहद सुनसान हैं। बताया जाता है कि रात के वक्त जब भी कोई गाड़ी यहां से गुजरती है तो एक औरत सफेद रंग के कपड़े में यहां खड़ी मिलती है। वह लिफ्ट मांगती है। गाड़ी वाले यदि गाड़ी भगाते रहें तो थोड़ी दूर तक भागकर वह पीछा तक करती है। बताया जाता है कि गाड़ी के जितनी गति में यह महिला गाड़ी के पीछे दौड़ती है। कई लोग इस सफेद रंग के कपड़े पहनी महिला को देखने की पुष्टि भी कर चुके हैं। हालांकि, आज तक किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं मिली है।
मुगल बादशाह फिरोजशाह तुगलक ने दिल्ली में फिरोज शाह कोटला किले का निर्माण करवाया था। आज यह पूरी तरीके से खंडहर में तब्दील हो चुका है। किले को लोग भूतिया किला आजकल कहते हैं। किले के आसपास रहने वाले लोगों का ऐसा कहना है कि गुरुवार की शाम को यहां अगरबत्तियां और मोमबत्तियां जलती हुई नजर आ जाती हैं। अगले दिन इस किले में कटोरे में दूध और कच्चा अनाज भी रखे हुए दिख जाते हैं। हमेशा ऐसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। आज तक इस गुत्थी को सुलझाया नहीं जा सका है। शाम को किला बंद हो जाता है। ऐसे में रात में कौन ऐसा करता है, यह अब तक किसी के पल्ले नहीं पड़ा है। यही कारण है कि इस किले को भूतिया किला कहा जाने लगा है।
दिल्ली के सबसे सुनसान इलाकों में से रोहिणी का खूनी नदी इलाका एक है। बहुत ही कम लोग यहां आते-जाते हैं। खासकर नदी के आसपास तो कोई भी नहीं जाता। पुलिस भी यहां हथियारों के साथ ही चक्कर मारती है। लाशें हमेशा नदी के किनारे मिल जाती हैं। मौत की वजह चाहे कुछ भी रही हो, लेकिन लाशें मिलना तो यहां एक तरीके से आम बात हो गई है। यही वजह है कि यहां आने-जाने से लोग खौफ खाते हैं।
भूली भातियारी का महल घने जंगलों से दिल्ली में घिरा हुआ है। अब यह खंडहर में बदल चुका है। तुगलक वंश का शिकारगाह एक जमाने में यह महल हुआ करता था। जो महिला इस महल की देखरेख करती थी, उसी के नाम पर इस महल का नाम पड़ गया। ऐसा कहा जाता है कि सूरज ढलते ही यहां नकारात्मक शक्तियां भटकना शुरू कर देती हैं। रात के वक्त तो यहां एक परिंदा भी पर नहीं मारता। अजीबोगरीब आवाजें शाम को इस महल से आनी शुरू हो जाती हैं, जिससे यहां का वातावरण और डरावना हो जाता है।
दिल्ली का संजय वन बहुत ही घना जंगल है। लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्रफल में इसका विस्तार है। दावा किया जाता है इस जगह के बारे में कि खेलते हुए बच्चों की आत्माएं यहां हमेशा दिख जाती हैं। यह वन अंदर से जितना घना है, उतना ही डरावना भी यह नजर आता है। इस तरीके से यह भी दिल्ली की भूतिया जगहों में से एक है।
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