चंगेज खान का जन्म 1162 मे मंगोलिया के ओनोन नदी के निकट हुआ था। इनके बचपन का नाम तेमूचिन था। इसके पिता का नाम यगुसी था, जो की कियात कबीले के मुखिया थे। इसके परिवार मे 3 सगे भाई व 1 सगी बहन थी और 2 सौतेले भाई थे।
चंगेज खान एक क्रूर और कुशल सम्राट था। जिसने अपने युद्ध कौशल से सन 1206 से 1227 मे एशिया और यूरोप के बड़े हिस्से को जित लिया था। यह जहा भी जाता उस इलाके को पूरा बर्बाद कर देता और इस बर्बादी की कहानी पीछे छोड़ जाता।
चंगेज खान की 12 वर्ष की उम्र में शादी कर दी गयी थी। जिसका नाम बोरते था और शादी के कुछ दिन बाद ही बोरते का अपहरण हो गया था। जिसके बाद चंगेज ने अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए कई लड़ाई लड़ी थी। चंगेज अपनी लड़ाई मे अपने बचपन के दोस्त बोघूरचू रखता था। जिसमे उसका सगा भाई जमूका इसके साथ रहता था। जमूका पहले इसका मित्र था, लेकिन बाद में इसका शत्रु बन गया। कबीलों की लड़ाई के दौरान चंगेज के पिता की हत्या कर दी थी। जिसके बाद चंगेज ने जमूका को हराकर सभी कबीलों को अपने अधीन करने की लड़ाई की शुरुआत करी। इसके बाद चंगेज ने मंगोलिया पर राज करने के बाद इसने यूरोप तथा एशिया के कई बड़े हिस्सों पर आक्रमण किये और अपना साम्राज्य स्थापित किया।
चंगेज खान अपनी मृत्यु से पहले ओगदेई खान को अपना उत्तराधिकारी बना दिया था। और अपने बेटों के बीच अपने साम्राज्य को बांट दिया। घोड़े से गिरने के बाद चंगेज खान की सन 1227 में मृत्यु हो गयी थी हलाकि की इसकी मौत रहस्य आज तक पता नहीं चला की असली वजह क्या थी और इस कहा दफनाया गया। ‘लाइव साइंस’ के मुताबिक़ इसकी की मौत के बाद उसके पोते बातु खान ने गोल्डन होर्ड सल्तनत बनाई थी।
रॉबर्ट ग्रीन के अनुसार चंगेज की सफलता का रहस्य उसकी सेना की चंचलता, उसके बहादुर घुड़सवार और हथियार मे आग के गोलों को माना जाता है। ग्रीन ख्वारिज्म मे चंगेज की सफलता को चीनी जंग की ‘धीरे-धीरे-तेज-तेज’ रणनीति को मानते हैं। वहीं नेहरू के अनुसार इसके अनुशासन के साथ-साथ उसकी हलकी और तेजी से काम करने वाली सेना को स्ये माना है।
रूस के इतिहासकार वस्सिली येन ने चंगेज खान के बारे मे काफ़ी कुछ लिखा है। इन्होने अपनी बुक ‘चंगेज खान : शैतान का बेटा’ में कहा है कि चंगेज की सेना कम वजन उठाती थी और खाने मे वह बेकार हो गए घोड़ों को ही मारकर खा जाती थी।
निष्कर्ष: तैमूर और गजनवी को कई लेखको ने महान बताया है और वही चंगेज खान को एक दानव कहा है। इसमे मे कोई दोहराए नहीं की वह एक जालिम किस्म का शासक था। और उस समय चाहे चंगेज खान हो या फिर कोई और शासक हो किसी मे कोई अंतर नई था। चंगेज खान ने 41 वर्ष की उम्र मे अपनी विजय अभियान शुरू किया। जिसमे ज्यादा तर शासक कम उम्र मे ही शुरुआत करते थे।
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