Shri Shri Ravi Shankar Biography in Hindi: हिंसामुक्त और तनावमुक्त विश्व बनाने की चाह रखने वाले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर न सिर्फ भारत में बल्कि कई अन्य देशों में भी ख़ासी ख्याति बटोर चुके हैं। कभी पोस्टर, कभी सोशल मीडिया या फिर अखबारों या मैगजीनों में आपने ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ का नाम तो सुना ही होगा। यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके जरिये श्री श्री रविशंकर 150 से भी अधिक देशों में तकरीबन 380 लाख लोगों से जुड़ चुके हैं।
वर्ष 1951 में जन्मे श्री श्री रविशंकर जी बचपन से ही बहुत ही ज्यादा प्रतिभाशाली थे। जिसका पता इस बात से चलता था कि वो मात्र 4 वर्ष की उम्र में ही भगवद गीता का पाठ करने में सक्षम हो गए थे। आगे चलकर वो शिक्षा में भी काफी उत्तम रहे और भौतिकी के अलावा वैदिक साहित्य में भी उन्होंने डिग्री प्राप्त की। श्री श्री रविशंकर के बारे में बताया जाता है कि एक बार गुरुदेव पूरे दस दिनों तक मौन में थे और उसी दौरान उन्होंने एक बेहद ही ताकतवर स्वास तकनीक की खोज की जिसे ‘सुदर्शन क्रिया’ के नाम से जाना जाने लगा। आगे चलकर ये तकनीक श्री श्री रविशंकर की संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के मुख्य पाठ्यक्रम में शामिल कर ली गयी। अपने इस संस्था के जरिये गुरुदेव भारत, दक्षिण अमेरिका तथा अफ्रीका के तकरीबन 40 हज़ार से भी अधिक गांव से जुड़ चुके हैं।
श्री श्री रविशंकर एक शांति दूत के रूप में दुनियाभर में मशहूर हैं और जहां भी जाते हैं उनकी हमेशा यही कोशिश रहती है कि वो उस जगह पर अमन और चैन का पाठ पढ़ा कर ही आयें। इस सिलसिले में वो कई बेहद ही संवेदनशील जगहों पर जैसे भारत के कश्मीर, असम, बिहार तथा विश्व में इराक, सीरिया, कोसोवो जैसी जगहों पर जाकर शांति का प्रचार करने का प्रयास करते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं श्री श्री रविशंकर ने कई आंदोलन आदि में भी हिस्सा लिया है जैसे ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ तथा ‘वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिजनेस’ और इसका समर्थन भी किया है।
अपनी संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ के तहत श्री श्री रविशंकर कई कार्यक्रम चलाते हैं। इसके अंतर्गत उनके ‘युवा सशक्तीकरण कार्यक्रम’, ‘निःशुल्क शिक्षा’, ‘कैदियों के पुनर्वास में सहायता’, ‘प्रयावरण संरक्षण’ आदि जैसे कार्यक्रम आते हैं, जिसका मकसद समाज को एक बेहतर दिशा में ले जाना और संसार को तनावमुक्त व सशक्त बनाना है। हालांकि, कई बार उन्हें अपने इसी तरह के कार्यों की वजह से कई लोगों और संगठनों द्वारा कड़ी आलोचना और विरोध भी झेलना पड़ा है, जिसमें अयोध्या मामला हमेशा से चर्चा में रहा है। श्री श्री रविशंकर के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए उन्हें विदेश में सर्वोच्च नागरिक तो कई देशों से मानद की उपाधि भी मिली हुई है।
| असली नाम | रवि शंकर |
| उपनाम |
श्री श्री, गुरु जी, गुरुदेव जी
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| जन्मदिन | 13 मई 1956 |
| जन्मस्थान |
पापनसम, तंजावुर, तमिलनाडु
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| राशि | वृष |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| धर्म | हिन्दू |
| घर |
पापनसम, तंजावुर, तमिलनाडु
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| पता |
भारत 21 वीं केएम कनकपुरा मुख्य सड़क, उदयपुरा, बैंगलोर दक्षिण, कर्नाटक -560082, भारत
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आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के विचार में यह सपूर्ण संसार एक परिवार हैं जहां धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय बंटवारे से बिखरे हुए विश्व को गुरुदेव शांति, धर्म, अहिंसा, प्रेम, करुणा आदि का संदेश देते हुए एक धागे में पिरोने का कार्य करते हैं। अपने इस लक्ष्य को प्रकट करते हुए गुरुदेव ने वर्ष 2016 में बहुत ही भव्य “विश्व संस्कृति महोत्सव” का आयोजन किया था, जिसमें 150 से भी अधिक देश के 3। 5 मिलियन लोगों ने हिस्सा लेकर सम्पूर्ण विश्व को एक अलग ही संदेश दिया था। श्री श्री रविशंकर को उनके इस अभूतपूर्व कार्य के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया गया है।
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