Gulabo Sitabo Movie Review: कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए देशभर में अभी भी सिनेमाघर बंद हैं, जिसकी वजह से फिल्में अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं। जी हां, फिल्म इंडस्ट्री की अब पहली पसंद ओटीटी प्लेटफॉर्म बन चुकी है, जिसमें एक और बड़ी फिल्म का नाम जुड़ गया। दरअसल, अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की फिल्म गुलाबो सिताबो अमेजन प्राइम वीडियो पर 200 देशों में 15 भाषाओं में रिलीज किया गया है। तो चलिए जानते हैं कि फिल्म की कहानी कैसी है और आपको देखनी चाहिए या नहीं?
फिल्म गुलाबो सिताबो में अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना, विजय राज़, बृजेंद्र काला, सृष्टि श्रीवास्तव आदि ने काम किया है। इसके अलावा, इसे शूजित सरकार ने निर्देशित किया है। तो वहीं अगर बात निर्माता की करें, तो इसकी निर्माता रॉनी लाहिड़ी और शील कुमार हैं।
अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना स्टारर फ़िल्म गुलाब सिताबो की कहानी 78 साल के लालची और झगड़ालू स्वभाव के मिर्ज़ा के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसकी जान फातिमा महल में बसती है। दरअसल, हवेली मिर्ज़ा की बीवी फातिमा की पुश्तैनी जायदाद है, जिसकी वजह से इसका नाम फातिमा महल रखा गया। मिर्ज़ा हवेली की पुरानी चीज़ों को बेचकर पैसा कमाता है। इसके अलावा, उसे खुद से 17 साल बड़ी फातिमा के मरने का इंतजार है, ताकि हवेली उसके नाम हो जाए।
फातिमा महल में कई किराएदार रहते हैं, जिसमें से एक बांके रस्तोगी हैं, जो अपनी मां और तीन बहनों के साथ रहते हैं। वह छठी क्लास तक पढ़ा है और घर खर्च चलाने के लिए आटा चक्की की दुकान चलाता है। इसके अलावा, फिल्म में एक लव स्टोरी भी दिखायी गयी है, जो बांके और एक लड़की के बीच में हैं। दरअसल, बांके जिस लड़की से प्यार करता है, वह उस पर शादी का दबाव बना रही है। इतना ही नहीं, मिर्ज़ा को बांके बिल्कुल भी पसंद नहीं है, जिसकी वजह से वह उसे हवेली से निकालने के लिए परेशान करता है।
फिल्म की आधी से ज्यादा कहानी बांके और मिर्ज़ा के खींचतान पर आधारित है, जिसकी वजह से दर्शकों को उबाऊ लग सकती है। हालांकि, कहानी में मोड़ तब आता है, जब मिर्ज़ा वकील के साथ मिलकर हवेली बेचने की तैयारी कर लेता है। जहां तरफ मिर्ज़ा हवेली बेचने की तैयारी कर चुका होता है, तो वहीं दूसरी तरफ बांके लालच में आकर हवेली को पुरातत्व विभाग को सौंपने का प्लान बना लेता है। बता दें कि कहानी में असली ट्विस्ट तो तब आता है, जब बेगम एक चाल चलती हैं और तब दोनों को ही हवेली से बाहर निकलना पड़ता है।
फिल्म के स्टोरी लेखक ने कहानी में बहुत ट्वीस्ट डालने की कोशिश की, लेकिन बीच बीच में बोरियत का एहसास हुआ। दरअसल, पीकू और विक्की डोनर में अमिताभ और आयुष्मान को अलग अलग डायरेक्ट करने वाले शूजित गुलाबो सिताबो में कमजोर पड़ गए, जिसकी वजह से फिल्म दर्शकों को ज्यादा देर बांधने में सफल नहीं रही।
फिल्म की एक्टिंग की बात करें, तो अमिताभ बच्चन ने हमेशा की तरह इस फिल्म में भी शानदार एक्टिंग की है। उन्होंने इसमें मिर्ज़ा का किरदार निभाया है। तो वहीं दूसरी तरफ आयुष्मान खुराना की बात करें तो वे इस फिल्म में देसी अंदाज में नजर आए, जिन्होंने बांके का किरदार निभाया हैं। फिल्म का मुख्य आकर्षण तो फातिमा बेगम रही हैं, जिनका किरदार अभिनेत्री फारुख जाफर ने निभाया है। कुल मिलाकर, इस फिल्म को 5 में से 3 स्टार दे सकते हैं।
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