Rajesh Khanna Bungalow Aashirwad History: गुजरे जमाने के सुपरस्टार राजेश खन्ना साल 2012 में चल बसे, थे मगर अपने पीछे बंगले का विवाद वे छोड़ गए थे। काका के इस बंगले को लेकर कहा जाने लगा कि राजेश खन्ना का बंगला आशीर्वाद भूतों का बसेरा है। मुंबई के पॉश इलाके में बने आलीशान बंगले आशीर्वाद को भूत का बंगला लोगों ने पुकारना शुरू कर दिया था।
इस आशीर्वाद बंगला के मालिक राजेश खन्ना से पहले राजेंद्र कुमार हुआ करते थे। बात ये 1960 की है। बंगले के मालिक इसे किसी भी कीमत पर बेचने के लिए तैयार थे। राजेंद्र कुमार ने इसे खरीदने की इच्छा जताई, पर लोगों ने इसे भूत बंगला बताकर उन्हें इसे खरीदने से रोकने की कोशिश की। फिर भी केवल 60 हजार रुपये में इस बंगले को उन्होंने खरीद लिया था। राजेंद्र कुमार के बेहद करीबी दोस्त मनोज कुमार ने उन्हें सलाह दी थी कि पूजा-पाठ करवा कर ही वे इस बंगले में शिफ्ट हों। राजेंद्र कुमार ने उनकी बात मानी। अपनी बेटी के नाम पर राजेंद्र कुमार ने ‘डिंपल’ इस बंगले का नाम रख दिया था।
इस बंगले में रहने के लिए राजेंद्र कुमार क्या आये कि देखते-ही-देखते उनकी किस्मत ही बदल गई। वे फिल्म इंडस्ट्री के सितारे बन गए। फिल्में लगातार उनकी हिट होने लगीं। जुबिली कुमार वे कहलाने लगे। कुछ साल वे यहां रहे और बाद में दूसरी जगह राजेंद्र कुमार ने बंगला ले लिया और वहीं रहने लगे। इसे बेचने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। राजेश खन्ना बॉलीवुड में उस वक्त अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्षरत थे। यह बंगला उन्हें बड़ा पसंद था। उन्हें जब यह पता चला कि राजेंद्र कुमार यहां नहीं रह रहे हैं तो उन्होंने राजेंद्र कुमार से कहा कि वे इस बंगले को खरीदना चाह रहे हैं।
काका की जिद के आगे आखिरकार राजेंद्र कुमार को झुकना पड़ा। हालांकि, उन्होंने बंगले का नाम बदलने की शर्त रख दी और काका इसके लिए तैयार भी हो गए। बंगले का नाम बदलकर आशीर्वाद काका ने रख दिया। बताया जाता है कि साढे तीन लाख रुपये में राजेंद्र कुमार से राजेश खन्ना ने इस बंगले को खरीदा था। बंगले को खरीदने के साथ ही राजेश कुमार की किस्मत भी चमक गई। आशीर्वाद में वे शिफ्ट क्या हुए कि सुपरस्टार में तब्दील हो गए। इसकी बालकनी में खड़े होकर अपने प्रशंसकों के लिए राजेश खन्ना हाथ हिलाया करते थे।
इस मामले में रहकर शोहरत तो काका को बहुत मिली, लेकिन इसी आशीर्वाद बंगले में काका को अकेले छोड़कर उनकी पत्नी डिंपल और उनकी दोनों बेटियां चली गईं। धीरे-धीरे यहां का अकेलापन राजेश खन्ना को इतना सताने लगा कि अधिकतर वक्त उन्होंने लिंगकिंग रोड पर बने अपने ऑफिस में गुजारना शुरू कर दिया। राजेश खन्ना इसी बंगले में बीमार पड़े और फिर कभी ठीक न हो सकें। राजेश खन्ना के गुजर जाने के बाद इस बंगले को अब बेच दिया गया है। उसे तोड़ा जा रहा है और नई इमारत वहां बन रही है।
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