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Gangotri Dham History: गंगोत्री हिमालयन रेंज की गोद में 10,200 ft ऊंचाई पर उत्तराखंड राज्य में बसा एक नगर है पुराणों के अनुसार यह हिन्दुओ का तीर्थ स्थान है जो की पवित्र नदी गंगा के किनारे बसा हुआ है। शिव जी ने मानव के कल्याण हेतु गंगा को धरती पर उतारा था। गंगोत्रि धाम (Gangotri Dham) बहुत पावन और पवित्र स्थल माना जाता है। हिन्दू धरम की मान्यता है कि शिव जी ने अपनी लटा से गंगा देवी को यहां धरती पर उतारा था। गंगा नदी का मूल गौमुख है जो कि गंगोत्री से 19 की मी दूर पैदल रस्ते से जाना पड़ता है। गंगा नदी में डुबकी लगाने से मानव के सारे पाप धूल जाते है।
गंगोत्री धाम (Gangotri Dham History) 6 महीने के लिए खुलता है जो कि अप्रैल के आखरी दिनों में या फिर मई के शुरूआती दिनों से लेकर दिवाली तक खुला रहता है। जब गंगा ने पहली बार धरती को छूआ तो वह स्थान गंगा उत्तरी था बाद में गंगोत्री के नाम से प्रसिद्ध हो गया। गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है। राजा भगीरथ ने इसे ही ओतरित कराया था।
पृथ्वी पर राक्षसों का वध करने के बाद राजा सागर ने अश्वमेध यज्ञ करने का निर्णय लिया। उस घोड़े को पृथ्वी के चारो और बिना किसी रुकावट के घूमना था उसके साथ राजा के 60000 पुत्र थे जिससे दूसरी रानी केसनी को पुत्र होना था, यह सब देख कर देवराज इन्दर को अपने सिंघासन का डर लग गया और उन्होंने वह घोडा कपिल मुनि की वाटिका में बांध दिया, जब वह पुत्र घोड़े को ढूंढ़ते आये तो उस घोड़े को कुटिया में देख कर कपिल मुनि को बुरा भला कहा और कपिल मुनि जब अपनी तपस्या से उठे तो क्रोधित हो कर उन्हें वही भस्म कर दिया।
राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजो को कपिल मुनि के श्राप से मुक्त कराने के लिए घोर और कठिन तपस्या से गंगा को धरती पर उतरवाया. जिससे वह उनसब को पाप से मुक्ती मिल दिला सके।
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