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नवरात्रि में हमने सोशल मीडिया पर अलग-अलग चीजों से बनाई गई मां दुर्गा कि कई प्रतिमाओं कि तस्वीरें देखीं। अब असम के एक आर्टिस्ट(Sanjib Basak) की बनाई देवी की मूर्ति सुर्खियों में बनी हुई है।
दुनिया में लोगों के पास बेशुमार टैलेंट है, जिसका प्रदर्शन आपको उनकी तारीफ करने के लिए मजबूर कर ही देता है। ऐसे ही एक टैलेंटिड व्यक्ति हैं असम के धुबरी ज़िले में रहने वाले 37 साल के संजीब बसाक। संजीब(Sanjib Basak) ने एक्सपायर्ड हो चुकीं दवाइयों से मां दुर्गा की जो प्रतिमा बनाई उसे देख लोग हक्के-बक्के रह गए। इस मूर्ति को बनाने के लिए उन्होने दवाई के खाली पत्ते, इंजेक्शन की शीशियां और एक्सपायर्ड कैप्सूल, आदि का बेहतरीन इस्तेमाल किया। पिछले कई सालों से, धुबरी ज़िला प्रशासन के कर्मचारी संजीब बसाक, मूर्ति को डिज़ाइन करने के लिए नए और पर्यावरण के अनुकूल कामों में लगे हुए हैं।
संजीब(Sanjib Basak) ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा, “कोरोना महामारी के समय, मैं अक्सर लोगों को थोक में दवाइयां ख़रीदने के लिए, घंटों मेडिकल स्टोर्स के बाहर लाइन में खड़े देखता था। इसी से मुझे यह विचार आया कि जब दवाइयों की इतनी खपत हो रही है, तो इससे मां दुर्गा की मूर्ति बना सकते हैं, जो इस महामारी को चिह्नित करे”।
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वे आगे कहते हैं, “6 फ़ीट की इस मूर्ति को बनाने में मुझे लगभग पांच महीने का समय लगा। इसको बनाने के लिए मैंने कई रंगों की लगभग 40,000 स्ट्रिप्स, कैप्सूल और इंजेक्शन की शीशियों का प्रयोग किया है। इसके अलावा क़ागज़, थर्मोकोल, बोर्ड और कुछ अन्य चीज़ों का भी इस्तेमाल किया गया है। सब कोविड-19 की वैक्सीन का इंतज़ार कर रहे हैं, ऐसे में मैंने सोचा दवाओं का इस्तेमाल करके मूर्ति बनाना अच्छा होगा”।
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