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‘पद्मश्री’ से सम्मानित होंगी हजारों बच्चों को गोद लेने वाली सिंधुताई, कभी मांगती थीं भीख

Padma Shri Award Winner – Sindhutai Sapkal: केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा, 25 जनवरी को इस साल के ‘पद्मश्री पुरस्कारों’ की घोषणा की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 119 लोगों के नाम हैं। इन सभी लोगों को ‘पद्म विभूषण’, ‘पद्म भूषण’और ‘पद्मश्री’ पुरस्कारों से सम्मानित किया जायेगा।

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इसी सूची में इस साल एक खास नाम शामिल हुआ है जो है महाराष्ट्र(Maharashtra) की सिंधुताई सपकाल(Sindhutai Sapkal) का। 72 वर्षीय सिंधुताई को ‘हज़ारों अनाथों की मां’(Mother of Orphans) भी कहा जाता है क्योंकि वे अब तक क़रीब 2,000 अनाथ बच्चों को गोद ले चुकी हैं।

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10 साल की उम्र में हो गयी थी शादी 

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सिंधुताई का जन्म 14 नवंबर, 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा ज़िले के एक ग़रीब परिवार में हुआ था। लड़की होने के कारण उन्हें बचपन से ही भेदभाव झेलना पड़ा, यहां तक कि उनकी सगी माँ भी उन्हें कुछ खास पसंद नहीं करती थीं और उनकी शिक्षा के ख़िलाफ़ थीं। लेकिन उनके पिता, मवेशी चराने के बहाने, मां से छुपाकर उन्हें पढ़ने भेजा करते थे।

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10 साल की उम्र में ही सिंधुताई(Sindhutai Sapkal) की शादी उनसे 20 साल बड़े लड़के से कर दी गई। लेकिन ससुराल में उन्हें हर रोज पति द्वारा अपमानित किया गया और मारा पीटा गया। लेकिन फिर एक दिन उन्होने इस अत्याचार से लड़ने की ठानी। सबसे पहले उन्होने वन विभाग और ज़मींदारों द्वारा उत्पीड़न झेल रही स्थानीय महिलाओं के लिए लड़ना शुरू किया। लेकिन, 20 साल की उम्र में चौथी बार गर्भवती होने के कारण, उल्टा उन्ही पर सवाल उठने लगे और पति ने 9 महीने की गर्भवती सिंधुताई को पीट कर घर से बाहर निकाल दिया।

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शुरू की भीख मांगनी

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पति के घर से निकाले जाने के बाद जब वे अपने घर लौटी तो उनकी माँ ने भी उनका साथ नहीं दिया। ऐसे में उन्होने एक तबेले में जाकर बेटी को जन्म दिया और गुजारा करने के लिए रास्तों और ट्रेन में भीख मांगना शुरू कर दिया।  

ट्रेन में भीख़ मांगकर अनाथ बच्चों को पाला  

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एक दिन जब सिंधुताई सपकाल(Sindhutai Sapkal) रेलवे स्टेशन पर भीख मांग रही थी तब उन्हें वहां एक लावारिस बच्चा मिला। बस तभी से उन्होने अनाथ बच्चों को पालना शुरू कर दिया। वे ट्रेन में भीख़ मांगकर व मज़दूरी कर उन बच्चों का पेट भरती थीं। बच्चों की बढ़ती संख्या ने सिंधुताई को पहचान दिलाई और सन 1970 में उनके कुछ शुभचिंतकों ने चिकलदारा में उनका पहला आश्रम खोलने में सहायता की। यहीं पर उनका पहला एनजीओ ‘सावित्रीबाई फुले गर्ल्स हॉस्टल‘ भी है।

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बता दें कि सिंधुताई सपकाल(Sindhutai Sapkal) के गोद लिए बच्चे आज कई बड़े पदों पर कार्यरत हैं और इस समय उनके 300 से अधिक दामाद, 150 से अधिक बहुएं व 1500 से अधिक पोते-पोतियां हैं। सिंधुताई को अब तक 500 से अधिक सम्मानों से नवाजा जा चुका है।

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Damini Singh

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