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यह है सनी देओल के 20 बेहतरीन डायलॉग ,जो आज भी लोगों की जुबान पर छाए हुए हैं।

जब भी बात डायलॉग की होती है तो सभी के दिमाग में एक ही नाम आता है और वो है सनी देओल। सनी देओल पिछले 36 वर्षो से लोगो के दिलो को जीतते आये है। सनी देओल बॉलीवुड के शर्मीले हीरो है पर जब बात डायलॉग डिलीवरी की हो तब उनकी बराबरी का शायद कोई नहीं। इनका जन्म 19 अक्टूबर 1956 को पंजाब में हुआ था। 1983 में आयी “बेताब” इनकी पहली फिल्म थी । देओल जी ने दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और दो फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं।

सनी देओल के 20 बेहतरीन डायलॉग (Sunny Deol Dialogues)

1 “जब यह ढाई किलो का हाथ किसी पे पड़ता है ना…तो आदमी उठता नहीं.. उठ जाता है।” – दामिनी (1993)


2 “अशरफ अली! आपका पाकिस्तान ज़िंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज़ नहीं लेकिन हमारा हिंदुस्तान ज़िंदाबाद है, ज़िंदाबाद था और ज़िंदाबाद रहेगा।” – गदर: एक प्रेम कथा (2001)

3 “हलक़ में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा हरामख़ोर।। उठा उठा के पटकूंगा! उठा उठा के पटकूंगा! चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले!” – घातक (1996)

4 “क्या चाहता है? क्या चाहता है तू? मौत चाहता है? तेरे सारे कुत्तों को मैंने मार दिया, मगर वो राजू को कुछ नहीं कर सके, वो जिंदा है। तेरा कोई भी बारूद, कोई भी हथियार उसे मार नहीं सकता। आज के बाद तेरी हर सांस के पीछे मैं मौत बनकर खड़ा हूं।” – जीत (1996)

5 “चिल्लाओ मत इंस्पेक्टर, ये देवा की अदालत है, और मेरी अदालत में अपराधियों को ऊंचा बोलने की इजाज़त नहीं।” – ज़िद्दी (1997)


6 “आ रहा हूं रुक, अगर सातों एक बाप के हो तो रुक, नहीं तो कसम गंगा मइय्या की, घर में घुस कर मारूंगा, सातों को साथ मारूंगा, एक साथ मारूंगा, अरे रूक!!” – घातक (1996)

7 “रिश्वतख़ोरी और मक्कारी ने तुम लोगों के जिस्म में मां के दूध के असर को ख़तम कर दिया है। खोखले हो गए हो। तुम सब के सब नामर्द हो।” – घायल (1990)

8 “डरा के लोगों को वो जीता है जिसकी हडि्डयों में पानी भरा हो। इतना ही मर्द बनने का शौक है न कात्या, तो इन कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे।” – घातक (1996)

9 “हम हिंदुस्तानियों की वजह से आप लोगों का वजूद है। दुनिया जानती है कि बंटवारे के वक्त हम लोगों ने आप लोगों को 65 करोड़ रुपये दिए थे तब जाकर आपके छत पर तरपाल आई थी। बरसात से बचने की हैसियत नहीं और गोलीबारी की बात कर रहे हैं आप लोग!” – गदर: एक प्रेम कथा (2001)

10 “अगर अदालत में तूने कोई बद्तमीजी की तो वहीं मारूंगा। जज ऑर्डर ऑर्डर करता रहेगा और तू पिटता रहेगा।” – दामिनी (1993)

11 “फिर मारूंगा, मैं फिर मारूंगा उन्हें, अगर मेरी आंखों के सामने होगा तो मैं फिर मारूंगा उन्हें। मैं नहीं देख सकता ये सब कुछ। नहीं देख सकता।” – घातक (1996)

12 “आप का काम मैं देख रहा हूं इंस्पेक्टर। आप शायद ये भूल रहे हैं कि ये वर्दी, ये कुर्सी, आपको हमारी सुनने के लिए मिली है। आप यहां बैठे हैं, हमारे लिए, और ये तरीका है आपका हमसे बात करने का?” – घायल (1990)

13 “अब पुलिस नहीं, पुलिस नहीं। अगर मदद करना चाहते हो तो बाहर रहो। इस लड़ाई से बाहर रहो। मार देंगे उसे (मुन्ना को), मर जाने दो। मार देंगे दुकान वालों को, उन्हें भी मर जाने दो। लेकिन अब पुलिस का सहारा नहीं चाहिए। अब जो जिएगा वो अपने पैरों पर चलेगा, पुलिस की बैसाखी लेकर नहीं। इस लड़ाई में हमारी पूरी जीत होगी, या पूरी हार। जो गुर्दा रखता है, उसे ही जीने का हक़ है। वही जिएगा।”– घातक (1996)

14 “नहीं! तुम सिर्फ मेरी हो, और किसी की नहीं हो सकती। हम दोनों के बीच अगर कोई आया तो समझो वो मर गया। काजल! इन हाथों ने सिर्फ हथियार छोड़े हैं, चलाना नहीं भूले। अगर इस चौखट पर बारात आई तो डोली की जगह उनकी अर्थियां उठेंगी और सबसे पहले अर्थी उसकी उठेगी जिसके सर पर सेहरा होगा। लाशें बिछा दूंगा, लाशें!” – जीत (1996)

15 “बहुत पछताओगे इंस्पेक्टर, अगर तुमने मुझे ज़िंदा छोड़ दिया तो।” – घायल (1990)

16 “तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़, तारीख़ पर तारीख़ मिलती रही है मीलॉर्ड लेकिन इंसान नहीं मिला मीलॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला। मिली है तो सिर्फ ये तारीख़।” – दामिनी (1993)

17 “बाप बनकर बेटी को विदा कर दीजिए, इसी में सबकी भलाई है, वरना अगर आज ये जट बिगड़ गया तो सैकड़ों को ले मरेगा।” – एक प्रेम कथा (2001)

18 “जो दर्द तुम आज महसूस करके मरना चाहते हो, ऐसे ही दर्द लेकर हम रोज़ जीते हैं।” – घातक (1996)

19 “अगर मेरे भाई को कुछ हुआ तो मैं तेरा वो हश्र करूंगा कि तुझे अपने पैदा होने पर अफसोस होगा। और तेरे ये पालतू कुत्ते जिन्हें देखकर तूने भौंकना शुरू किया है, ये उस वक्त तेरे आस पास भी नजर नहीं आएंगे।” – घायल (1990)

20 “जाओ बशीर ख़ान जाओ, किसी नाटक कंपनी में भर्ती हो जाओ, बहुत तरक्की मिलेगी तुम्हे, अच्छी एक्टिंग कर लेते हो।” – घायल (1990)

यह भी पढ़े : प्राण साहब: जन्मदिन मुबारक (Pran Sahab- The legend of Hindi Cinema)

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