60 Thousand Laptops in Delhi University Colleges are Useless: कोरोना वायरस की वजह से देश भर के सभी स्कूल और कॉलेजों को भारत सरकार ने 30 जून तक बंद रखने के आदेश दिए हैं। ऐसे में स्कूली छात्रों को जहाँ ऑनलाइन क्लासेज़ देने की सुविधा प्रदान की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों की परीक्षा के लिए विशेष इंतजाम किये हैं। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों के लिए ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा आयोजित करने जा रही है। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि, जिन छात्रों के पास स्मार्टफोन तक नहीं है वो ऑनलाइन परीक्षा कैसे दे पाएंगे। इसके साथ ही सूत्रों का कहना है कि, दिल्ली यूनिवर्सिटी में अभी भी कई हज़ार लैपटॉप बेकार पड़े हैं। आइये आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, जब से दिल्ली यूनिवर्सिटी ने ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम करवाने का एलान किया है तब से यूनिवर्सिटी सवालों के घेड़े में हैं। इस ऑनलाइन एग्जाम को लेकर सवाल इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले सभी छात्रों के पास लैपटॉप या स्मार्टफोन नहीं है। ऐसे में वो छात्र निश्चित रूप से परीक्षा से वंचित रह जाएंगे। इसी बीच जो मुख्य बात सामने आई है वो यह कि, दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंदर अभी भी करीबन 60 हज़ार लैपटॉप पड़े हैं जो साल 2013 में सरकार ने गरीब स्टूडेंट में बांटने के लिए दिये थे। मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली यूनिवर्सिटी के बहुत से ऐसे कॉलेज हैं जिन्होनें छात्रों में लैपटॉप बांटने का काम किया ही नहीं। इस वजह से आज भी वो छात्र लैपटॉप विहीन हैं और ऑनलाइन एग्जाम देने की बात भी उनके लिए बहुत बड़ा सवाल है। इस बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉक्टर राजेश झा का कहना है कि, मेरे शासनकाल में जरूरतमंद छात्रों को लैपटॉप मुहैया करवाए गए थे। लेकिन अगर उसी समय सभी जरूरतमंद छात्रों में लैपटॉप बांटे जाते तो आज कोई भी स्टूडेंट ऑनलाइन परीक्षा ना दे पाने की स्थिति में नहीं होता।
दिल्ली यूनिवर्सिटी द्वारा ओपन बुक परीक्षा का एलान होने के बाद से ही छात्रों में खलबली मच गई है। इस बारे में विवेकानंद कॉलेज के छात्र का कहना है कि,अगर समय रहते उसे लैपटॉप मिल गया होता तो आज वो भी ऑनलाइन परीक्षा देने में सक्षम होता। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, दिल्ली यूनिवर्सिटी के करीबन 32 प्रतिशत छात्रों के पास ना तो लैपटॉप और स्मार्टफोन हैं और ना ही उनके पास इंटरनेट की सुविधा है। इस बारे में विवेकानंद कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि, उनके कॉलेज को केवल एक हज़ार लैपटॉप ही मिले थे जिसे उन्होनें जरूरतमंद छात्रों में बांटे इसके वाबजूद भी बहुत से ऐसे छात्र हैं जो सुविधा से वंचित रह गए। बहरहाल दिल्ली यूनिवर्सिटी के अभी भी बहुत से ऐसे कॉलेज हैं जहाँ लैपटॉप छात्रों में बांटे नहीं गए हैं और वो कॉलेज में रखे-रखे ही ख़राब होने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।
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