देश

36 साल पहले आज ही के बछेंद्री पाल ने रचा था इतिहास, साल 2019 में मिला था पद्म भूषण

Bachendri Pal: वर्तमान समय में भारतीय महिलाएं पूरी दुनिया में परचम लहराती हुई नजर आ रही हैं। फिर चाहे क्षेत्र खेल का हो या फिर फैशन का…हर क्षेत्र में भारत का झंडा महिलाएं लहरा रही हैं, लेकिन आज से ठीक 36 साल पहले यह आसान नहीं था। जी हां, 36 साल पहले पर्वतारोही बछेंद्री पाल के एक कारनामे ने भारतीय महिलाओं के सपनों को उड़ान दी थी, जिसे आज भी याद किया जाता है। आज ही के दिन यानि 22 मई को उन्होंने न सिर्फ अपने सपनों को जिया था, बल्कि तमाम महिलाओं के मन में उम्मीद का दीया जलाया था। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन हैं पर्वतारोही बछेंद्री पाल?

22 मई, 1984 को अपने जन्मदिन से ठीक दो पहले बछेंद्री पाल ने एवरेस्ट फतह करके भारतीय महिलाओं को सपने देखने के लिए प्रेरित किया था, जिसकी चर्चा आज भी होती है। बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के नकुरी में 24 मई, 1954 को हुआ था। वे बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में मेधावी थी। उनके पिता व्यापारी थे, जो भारत से तिब्बत सामान बेचने जाते थे। बात अगर, बछेंद्री पाल के सपनों की करें, तो उन्होंने अपने सपने को कभी टूटने नहीं दिया, लेकिन फिर भी रोजगार के क्षेत्र में अक्सर उन्हें निराश होना पड़ा। याद दिला दें कि उन्होंने उस दौर में बी.एड तक की पढ़ाई की थी।

लाख कोशिशों के बाद भी नहीं मिली नौकरी

उस समय जब बछेंद्री पाल नौकरी की तलाश में दर दर भटक रही थी, तब उन्हें उनकी मनपसंद की नौकरी नहीं मिली। किसी में पद छोटा था, तो किसी में सैलेरी नहीं थी, जिसके बाद रोजगार के क्षेत्र से उनका मन हटा और उन्होंने देहरादून स्थित ‘नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग’ कोर्स के लिये आवेदन कर दिया, जहां उन्हें एडमिशन मिल गया। किस्मत देखिए इसी बीच उन्हें इंस्ट्रकटर की नौकरी भी मिल गई थी। मामला यही नहीं रुका पर्वतारोहण का पेशा अपनाने पर उन्हें परिवार का विरोध भी झेलना पड़ा था, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा।

12 साल की उम्र में की थी पहली चढ़ाई (Bachendri Pal became First Indian Women to Climb Mount Everest 22 May 1984)

News gram

बताया जाता है कि बछेंद्री पाल को पहाड़ पर चढ़ने का पहला मौका 12 साल की उम्र में ही मिल गया था, जिसमें उन्होंने अपने स्कूल साथियों के साथ चढ़ाई की थी। उस दौरान उन्होंने 4000 मीटर तक की चढ़ाई की थी। इतना ही नहीं, माउंटेनियरिंग के एडवांस कोर्स करते करते बछेंद्री ने गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई पूरी कर ली थी, जिसके बाद से उन्होंने खुद को पीछे नहीं खींचा और साल 1984 में उन्हें एवरेस्ट अभियान की टीम में चुन लिया गया।

चढ़ाई के दौरान हादसे की शिकार हुई थी

साल 1984 में भारत के चौथे एवरेस्ट मिशन की शुरुआत हुई थी, जिसमें 6 महिलाएं और 11 पुरुष समेत 17 लोग थे। इस दौरान एक एवलॉन्च (बर्फीले तूफान) से टीम का सामना हुआ था, जिसकी वजह से उनका कैंप दब गया था, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। तूफान के बाद वे अकेली महिला बची, जिन्होंने एवरेस्ट को फतेह किया। ऐसे में, वे भारत की पहली महिला और विश्व की पांचवीं महिला बनीं, जिसने एवरेस्ट को फतेह किया।

2019 में पद्म भूषण से की गईं सम्मानित

एवरेस्ट फतेह करने के बाद बछेंद्री पाल का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया, जिसके लिए उन्हें कई अवार्ड्स से नवाजा भी गया। इसी सिलसिले में उन्हें साल 1984 में भारत सरकार ने पद्मश्री और साल 1986 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था। इसके बाद साल 2019 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया, जिसके बाद से वे एक बार फिर से चर्चा में आई थी।

Facebook Comments
Shreya Pandey

Share
Published by
Shreya Pandey

Recent Posts

हिमाचल प्रदेश की वो झील जहां अंधेरे में आती हैं परियां, जानें क्या है इस फेमस लेक का राज़

Facts About Chandratal Lake In Hindi: भारत में हज़ारों की संख्या में घूमने की जगहें…

1 week ago

घर में ही शुगर लेवल को ऐसे करें मैनेज, डॉक्टर के चक्कर काटने की नहीं पड़ेगी ज़रूरत

Blood Sugar Control Kaise Kare: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई बीमारियों को समाज…

1 week ago

इन बीमारियों का रामबाण इलाज है गोंद कतीरा, जानें इस्तेमाल करने का सही तरीका

Gond Katira Khane Ke Fayde: आयुर्वेद विज्ञान से भी हज़ारों साल पुराना है। प्राचीन ग्रंथों…

2 weeks ago

दिलजीत दोसांझ को फैन के साथ किया गया फ्रॉड, सिंगर के इस कदम ने जीता सबका दिल

Diljit Dosanjh Concert Scam: भारतीय गायक दिलजीत दोसांझ किसी परिचय के मोहताज नहीं है। वे…

3 weeks ago

आखिर क्या है वायु कोण दोष? जानिए ये कैसे होता है और इसके प्रभाव क्या हैं?

Vayu Kon Dosha Kya Hota Hai: पौराणिक मान्यताओं व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना…

4 weeks ago