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भारत के इतिहास में ऐसे कई अद्भुत रहस्य है।जिनको बहुत ही कम लोग जानते है। क्युकी भारत के इतिहास में इसको नहीं पढ़ाया जाता। आज के समय में पढ़ाया जाने वाला इतिहास या तो अधूरा है या फिर असत्य है। आज हम जिसको भारत का प्राचीन काल कहते है। दरअसल वो मध्यकाल था।
मेहरगढ़ की संस्कृति और सभ्यता लगभग 7000 से 3300 ईसा पूर्व अस्तित्व में थी और वही सिंधु घाटी सभ्यता 3300 से 1700 ईसा पूर्व अस्तित्व में थी। भारत के इतिहास की शुरुवात 1200 ईसापूर्व से 240 ईसा पूर्व के बीच नहीं हुई थी। यदि धार्मिक इतिहास की न माने तो प्रचीन भारत की शुरुवात आज से लगभग 15000 वर्ष पूर्व हुई थी। आइये जानते है प्राचीन भारत के रहस्य के बारे में, जिस पर अब विज्ञानं भी शोध करने लगा है।
संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषा है। संस्कृत शब्द का अर्थ है परिपूर्ण भाषा। भाषाओ को लिपियों में लिखने का चलन भारत में ही शुरू हुआ था। प्राचीन समय में ब्राह्मी और देवनागरी लिपि का चलन था। इस दोनों लिपियों से ही दुनियाभर में अन्य लिपियों का जन्म हुआ था। ब्राह्मी लिपि को महान सम्राट अशोक ने धम्मलिपि नाम दिया था। हड़प्पा संस्कृति के लोग भी इसी लिपि का उपयोग करते थे। उस समय में संस्कृत भाषा को भी इसी लिपि में लिखा जाता था।
शोध कर्ताओ के अनुसार ब्राह्मी लिपि से देवनागरी, तमिल लिपि, मलयालम लिपि, सिंहल लिपि, बांग्ला लिपि, रंजना, प्रचलित नेपाल, भुंजिमोल, कोरियाली, थाई, उड़िया लिपि, गुजराती लिपि, गुरुमुखी, कन्नड़ लिपि, तेलुगु लिपि, तिब्बती लिपि, बर्मेली, लाओ, खमेर, जावानीज, खुदाबादी लिपि, यूनानी लिपि निकली है।
जैन पौराणिक कथाओ में बताया गया है कि ऋषभदेव की ब्राह्मी ने लेखन की खोज की। इसलिए उसे ज्ञान की देवी सरस्वती के साथ जोड़ते है। हिन्दू धर्म में इनको शारदा भी कहते है। प्राचीन दुनिया में कुछ प्रमुख नदिया भी थी। दुनिया की शुरुवात मानव आबादी इन नदियों के पास बसी थी। सबसे समृद्ध, सभ्य और बुद्धिमान सभ्यता सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे बसी थी। इसका एक प्रमाण भी मौजूद है। दुनिया का पहला धार्मिक ग्रन्थ सरस्वती नदी के किनारे बैठ कर लिखा गया था।
मोसोपोटामिया, सुमेरियन, असीरिया और बेबीलोन सभ्यता का विकास दजला और फरात नदी के किनारे पर हुआ था। नील नदी के किनारे मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ था। इसी तरह भारत में भी सिंधु, हड़प्पा, मोहनजोदड़ो आदि सभ्यताओं का विकास सिंधु और सरस्वती नदी के किनारे हुआ था।
प्राचीन भारत की खेल की दुनिया – सतरंज और फूटबाल का अविष्कार भारत में हुआ था। प्राचीन भारत बहुत ही सभ्य और समृद्ध देश था। आज के समय के बहुत से अविष्कार प्राचीन काल भारत के निष्कर्षों पर आधारित हैं।
मौर्य, गुप्त और विजयनगरम साम्राज्य के दौरान बने मंदिरो को देख कर हर कोई हैरान हो जाता है। कृष्ण की द्वारिका के अवशेषों की जांच से पता चला है कि प्राचीन काल में भी मंदिर और महल बहुत ही भव्य होते थे।
वृंदावन की बात करे। तो आज भी वह एक ऐसा मंदिर है। जो अपने आप खुलता और बंद हो जाता है।मान्यता के अनुसार रात के समय में वह पर कोई भी नहीं होता। लोगो का कहना है। अगर कोई भी व्यक्ति इस परिसर में रुक जाता है। तो वो मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।
संगीत में सामवेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ है। संगीत और वाद्ययंत्रों का अविष्कार भी प्राचीन भारत में हुआ था। नृत्य, कला, योग और संगीत से हिन्दू धर्म का गहरा नाता रहा है। प्राचीन भारत में ही वीणा, चांड, घटम्, पुंगी, डंका, तबला, शहनाई, बीन, मृदंग, ढोल, डमरू, घंटी, ताल, सितार, सरोद, पखावज, संतूर आदि का अविष्कार हुआ था।
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