कई बार हमारे बीच कुछ ऐसे लोग भी मिल जाते हैं, जो समाज की रक्षा करने के बजाए उसके ही भक्षक बन जाते हैं। एएक ऐसा ही मामला दिल्ली में सामने आया है, जहां दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार किया है, जिसने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी हैं। इस डॉक्टर की करतूत के बारे में जानकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। दरअसल यहां दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार जिसे जयपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास के लिए भेजा गया था, लेकिन पेरोल के बाद वह फरार हो गया। आखिकार पुलिस ने उसे पेरोल के 6 महीने बाद पकड़ा लिया है। इस शख्स पर 50 से ज्यादा टैक्सी ड्राइवरों की हत्याओं के केस दर्ज हैं।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, डॉ देवेंद्र शर्मा (62) को दिल्ली के बापरोला में उनके निवास स्थान से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने कहा कि वह 1990 में जयपुर, बल्लभगढ़ और गुड़गांव में फैले एक नेटवर्क के साथ एक अवैध किडनी प्रत्यारोपण रैकेट में भी शामिल था।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक डीसीपी (क्राइम ब्रांच) ने बताया कि जयपुर में पैरोल मिलने के बाद वह पहले अपने पैतृक गाँव गया जिसके बाद उसने दिल्ली जाकर एक विधवा से विवाह किया, और बापरोला में उसके साथ रहने लगा। उसने जयपुर के एक शख्स के साथ कनॉट प्लेस की एक इमारत बेचने का भी फर्जीवाड़ा किया था।
डीसीपी ने कहा कि जानकारी इकट्ठा करते समय था कि दिल्ली के एक पुलिस निरीक्षक को जानकारी मिली कि शर्मा बापरोला में रह रहा था। “हमें एक सप्ताह पहले उसके बारे में जानकारी मिली। पुलिस ने उसे खोज निकालने के लिए एक टीम तैनात की थी।
पुलिस ने कहा कि जब हमने दबिश मारी तो वह शांत था और उसने भागने की कोशिश नहीं की। उनकी पूछताछ मंगलवार दोपहर से शुरू हुई और बुधवार तक चली। आरोपी से पुलिस से हत्याओं का विवरण देते हुए बताया कि “मैंने 50 के बाद गिनती नहीं की… यह 100 भी हो सकता है। यह याद रखना आसान नहीं है।”
पुलिस ने आगे बताया कि ‘उसे 2002-04 में कई हत्या के मामलों में गिरफ्तार किया गया था और 6-7 मामलों में दोषी ठहराया गया था। 16 साल तक जयपुर की सेंट्रल जेल में रहने के बाद उसे 20 दिनों के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था। अधिकारी ने आगे कहा कि वह दिल्ली आया क्योंकि वह एक नया जीवन शुरू और शांति से रहना चाहता था। शर्मा को 2002 में गुड़गांव में एक कैब ड्राइवर के अपहरण और हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
द इंडियन एक्सप्रेस को दी गई जानकारी के मुताबिक, ” उसे 28 जनवरी को पैरोल दी गई थी और 16 फरवरी को वापस आना था, लेकिन वह अलीगढ़ चला गया और वापस नहीं लौटा। जिला कलेक्टर द्वारा काफी सत्यापन के बाद पैरोल दी गई और शर्मा को जेल में उनके आचरण के आधार पर रिहा कर दिया गया। उसे दिल्ली में गिरफ्तार किया गया है और वह तिहाड़ जेल में है।”
क्राइम ब्रांच की पूछताछ में आरोपी ने बताया है कि साल उसने बिहार के सीवान में बीएएमएस की डिग्री हासिल की थी, जिसके बाद उसने 1984 में गैस डीलरशिप का काम शुरु किया और 10 साल बाद उसे 11 लाख रुपये का घाटा हुआ।
इसके बाद उसने अपना घाटा पूरा करने के लिए साल 1995 में अलीगढ़ में ही एक फर्जी गैस एजेंसी खोली। जिसके जरिए वह शुरुआत में लखनऊ से कुछ सिलिंडर और गैस चूल्हे लेकर आया लेकिन बाद में उसके लिए यह मुश्किल हो गया। इसी दौरान, उसने अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट भी शुरू किया। पूछताछ के दौरान, उसने खुलासा किया कि 1994-2004 के दौरान उसने 125 से अधिक किडनी का ट्रांसप्लांट अवैध रूप से किया, जिसके लिए उसे प्रत्येक किडनी 5-7 लाख रुपये का भुगतान किया जाता था।
डॉक्टर का अपनी क्लिनिक पर 2003 तक ठीक-ठाक चलता रहा। तभी वह ऐसे लोगों के संपर्क में आया जो टैक्सी किराए पर लेते थे और किसी एकांत स्थान पर ड्राइवरों की हत्या कर देते थे।
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वे कासगंज के हज़ारा नहर, अलीगढ़ के रास्ते में शवों को फेंकते थे, जिसमें मगरमच्छ होते थे और इसलिए कोई भी सबूत नहीं बचता था। वहीं गाड़ियों को डॉक्टर कासगंज में बेच देता या मेरठ में उनके पूर्जे को बेचकर प्रति वाहन लगभग 25,000 रु कमा लेता था।
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