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आकड़ों के मुताबिक भारत में 23.8% प्रतिशत तक बढ़ी बेरोजगारी! (Unemployment Rate in India Rises to 23 Says CMIE)

Unemployment Rate in India: यदि मार्च का श्रम आंकड़ा देखा जाए तो ये काफी चिंताजनक है, इसके साथ ही पिछले दो हफ़्तों में बेरोजगारी दर और भी ज्यादा बढ़ गई है। केवल मार्च 2020 की बात करें तो इस महीने में बेरोजगारी का आंकड़ा सर्वकालिक निम्न स्तर तक गिर गई है। बेरोजगारी दर में तेजी से वृद्धि हुई है और रोजगार दर सामान्य से काफी ज्यादा बढ़ गई है। आज इस आर्टिकल में हम आपको विशेष रूप से गिरते बेरोजगारी दर के आंकड़ों और उसके कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं। भारतीय नागरिक होने के नाते ये सभी के लिए एक चिंता का विषय बन सकती है। आइये जानते हैं, क्या कहते हैं आंकड़े।

लॉकडाउन से पहले ही बेरोजगारी दर बढ़ने लगी थी (Unemployment Rate in India Rises to 23 Says CMIE)

आम लोग ऐसा सोच सकते हैं कि, बढ़ते बेरोजगारी दर की मुख्य वजह कोरोना वायरस की वजह से होने वाला लॉकडाउन है। लेकिन जहाँ तक आंकड़ों का सवाल है, इसके अनुसार मार्च से पहले ही बेरोजगारी बढ़ने लगी थी। आपको बता दें कि, जहाँ मार्च 2019 में श्रम भागीदारी 42.7 प्रतिशत था वो इस साल घटकर 41. 9 प्रतिशत हो गया। इसके साथ ही इस साल मार्च में रोजगार दर भी घटकर 38.8 प्रतिशत हो गया है। मार्च की तुलना में इसी साल जनवरी में रोजगार दर में बढ़ोत्तरी हुई थी लेकिन फ़रवरी से इसमें भारी गिरावट देखी गई है। मतलब साफ़ है कि, बढ़ती बेरोजगारी दर का कारण केवल लॉकडाउन ही नहीं है। इतना ही नहीं, ये पहली बार है जब LPR 42 फीसदी के नीचे आया है। जनवरी और मार्च 2020 के बीच, LPR में एक प्रतिशत की गिरावट आई है। जनवरी में 42.96 प्रतिशत से लेकर मार्च में 41.90 प्रतिशत तक। मार्च में यह गिरावट विशेष रूप से श्रम बल में करीबन नौ मिलियन गिरावट का परिणाम हो सकता है। श्रम बल के अंतर्गत वो सभी व्यक्ति आते हैं तो बेरोजगार हैं या नौकरी की तलाश में हैं। केवल और जनवरी और मार्च के बीच में बेरोजगारों की संख्या 32 मिलियन से बढ़कर 38 मिलियन हो गई।

मार्च के महीने में बेरोजगारी दर में हुई असीम वृद्धि

आंकड़ों की माने तो मार्च 2020 में बेरोजगारी में काफी ज्यादा वृद्धि हुई है। मार्च में बेरोजगारी दर की बात करें तो यह 8.7 फीसदी रहा है। आपको बता दें कि, पिछले 43 में सबसे अधिक बेरोजगारी मार्च 2020 में रही है। भारत में बेरोजगारी साल 2017 के जुलाई से लगातार बढ़ रही है। मार्च 2020 में बेरोजगारी दर अपने चरम पर रही है, इसका एक कारण लॉकडाउन भी बेशक है लेकिन इसके अलावा भी बहुत से ऐसे कारण हैं जिन पर विचार करना आवश्यक है।
कैसे प्राप्त किया जाता है बेरोजगारी का आंकड़ा

यह एक महत्वपूर्ण सवाल हो सकता है, आखिर बेरोजगारी के आंकड़े को कैसे प्राप्त किया जाता है। बता दें कि, भारत में उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण 3500 से अधिक व्यक्तियों के लिए डेटा प्रदान करते हैं। इसमें 15 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति शामिल होते हैं। अब ये डेटा करीबन एक लाख सत्रह हज़ार लोगों का हो चुका है। बता दें कि, बीते मार्च के महीने में सर्वेक्षण के कार्यों को रोक दिया गया था। इसकी मुख्य वजह लॉकडाउन को माना जाता है। मार्च के अंतिम सप्ताह का डेटा किसी के पास भी नहीं है। लेकिन इसके वाबजूद भी बेरोजगारी के आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए एक लाख सत्रह हज़ार से अधिक व्यक्तियों का डेटा मौजूद है। इसके अनुसार ही केवल पिछले सप्ताह की बात करें तो बेरोजगारी दर 23.8 प्रतिशत थी। इसके साथ ही श्रम भागीदारी में 39 प्रतिशत की गिरावट आई है और रोजगार दर मात्र 30 प्रतिशत ही थी।

बहरहाल ये आंकड़े डराने वाले हैं, जल्द ही इसमें सुधार करना आवश्यक है वर्ना स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक हो सकती है।

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Indira Jha

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