Health Benefits of Indian Traditional: भारत में कई परंपराएं बड़े ही प्राचीन समय से चलती आ रही हैं। इन रीति-रिवाजों का पालन बहुत से लोग आज भी कर रहे हैं। ऐसी कई प्राचीन परंपराएं हैं जो कि हमें विरासत में मिली हैं। बहुत सी परंपराएं इनमें से अंधविश्वास नहीं हैं। सेहत से जुड़े कई फायदे इन परंपराओं में छिपे हुए हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे ही परंपराओं और उनमें छिपे फायदों के बारे में बता रहे हैं।
बहुत से माता-पिता को आपने देखा होगा कि अपनी बेटियों के कान वे बहुत कम उम्र में ही छिदवा देते हैं। वैसे, आजकल तो फैशन के तौर पर भी इसे अपना लिया गया है। कान के अलावा बहुत से लोग अपनी नाक और बैली बटन, होंठ और आइब्रो तक को छिदवा लेते हैं। आयुर्वेद में बताया गया है कि कान छिदवाने से महिलाओं का मासिक धर्म संतुलित बना रहता है। साथ ही महिला के प्रजनन स्वास्थ्य में भी इससे सुधार होता है।
गहने तो भारतीय स्त्रियों की पहचान माने जाते हैं। नेक पीस, चूड़ियां, झुमके और पैर की उंगली के छल्ले शादीशुदा महिलाओं के लिए पहनने जरूरी माने जाते हैं। पहले के समय में सोने और चांदी के गहने महिलाएं केवल पहना करती थीं। इससे शरीर में रक्त प्रवाह अच्छी तरह से होता था। शरीर का तापमान नियंत्रण में रहता था। तनाव खत्म होता था। साथ में मौसमी बीमारियों से भी बचाव हो पाता था।
शाही परिवार में इस तरह की परंपरा प्राचीन समय से ही चली आ रही है। चांदी के बर्तन में भोजन करने से यह माना जाता है कि चांदी में जो शीतलता मौजूद होती है, वह शरीर में पहुंचती है और शरीर को यह सुख प्रदान करती है। इसके अलावा चांदी में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। ऐसे में हानिकारक बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारियां शरीर को अपनी चपेट में नहीं ले पाती हैं।
तांबे के बर्तन में आपने बड़े-बुजुर्गों को हमेशा पानी पीते हुए जरूर देखा होगा। दरअसल पानी के बर्तन में पानी पीने के पीछे यह मान्यता है कि इससे पाचन तंत्र मजबूत बना रहता है। ऐसा कहा जाता है कि तांबे के बर्तन में यदि पानी पीया जाए तो इससे घाव भी ज्यादा तेजी से भरते हैं। इसके अलावा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी तांबे के बर्तन में पानी पीने से मजबूत बनती है।
प्राचीन समय से ही भारत में उपवास रखने की परंपरा चलती आ रही है। ऐसी मान्यता है कि एक बार तो महीने में कम-से-कम हर इंसान को व्रत करना ही चाहिए। अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को उपवास तेज करने का काम करता है। व्रत करने से आपकी आयु में भी बढ़ोतरी होती है।
हाथ से भोजन करने की परंपरा भी भारत में प्राचीन समय से चली आ रही है। इसके पीछे की वैज्ञानिक वजह यह है कि हाथों से भोजन करने से आपके हाथों में मौजूद अच्छे बैक्टेरिया आपके शरीर में प्रवेश करके खराब बैक्टीरिया को मार कर आपकी सेहत को अच्छा बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही हाथ से खाना खाने से आपको भोजन अधिक स्वादिष्ट लगता है।
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कई शोध में इस बात का खुलासा हो चुका है कि इस प्राचीन भारतीय परंपरा का पालन करने से मांसपेशियों का तनाव कम होता है। घास पर नंगे पांव चलने से तनाव घटता है। इसके अलावा इससे नींद भी अच्छी आती है। एक्यूपंक्चर जैसे जूतों की बजाय नंगे पांव चल कर भी इसके जैसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।
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