Lettuce Benefits in Hindi: लेट्यूस एक प्रकार की हरी सब्जी है, जिसे हिंदी में काहू के नाम से भी जाना जाता है। काहू का इस्तेमाल हमारे देश में ज्यादातर जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता रहा है, लेकिन विदेशों में इसे लोग सलाद के तौर पर भी खाते हैं। हांलांकि जैसे-जैसे भारत में लोग इटैलियन और चाइनिज़ डिश खाना बड़े पैमाने पर शुरु कर रहे हैं। वैसे-वैसे लोग यहां भी इसे सलाद के तौर पर खा रहे हैं। आज लेट्यूस बाजार में भी बेहद आसानी से मिल जाता है। हालांकि लेट्यूस एक सीजनल सब्जी है। लेकिन विशेष तरीके से इसकी खेती करके सालों भर इसकी बिक्री होती है।
सीजनल तौर पर लेट्यूस की खेती सितम्बर अक्टूबर में की जाती है और जाड़ों के महीनो में इसके पत्तों को सलाद(Salad Ke Patte) की तरह इस्तेमाल किया जाता है.
काहू के पत्ते देखने में टेढ़े-मेढ़े और खूबसूरत होते हैं. इसके पत्ते जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही स्वादिष्ट और गुणकारी भी होते हैं। काहू के पत्तों का सेवन करने से शरीर के अंदर की उत्तेजना शांत होती है। साथ ही जिस इंसान को नींद की परेशानी होती उनके लिए भी यह पत्ते किसी राम बाण से कम नहीं है। सही मात्रा में इसका सेवन करने से अनिद्रा की समस्या खत्म हो जाती है। आज के समय में तनाव के कारण लोगों को नींद की समस्या होती है और अनिद्रा ही कई बिमारियों के मुख्य कारणों में से एक है।
इसमें डायूरेटिक यानी कि यूरिन प्रवाह को बढ़ाने की क्षमता होती है। यही कारण है कि यह गुर्दों की सफाई के लिए भी काफी लाभकारी है। यह गुर्दों की सफाई करता है और उसके अंदर मौजूद विषैले पदार्थ(टॉक्सिन) को बाहर निकालता है। काहू यूरिक एसिड की समस्या से भी निजात दिलाता है।लेट्यूस के बीजों के तेल को रोगन काहू के नाम से भी जाना जाता है। आयुर्वेदिक तरीके से इलाज करने वाले वैद्य नींद की समस्या से निजात पाने के लिए मरीजों को इसके तेल का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। काहू सदियों से यूनानी और आयुर्वेदिक इलाज की पद्धती के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है।
लेट्यूस के पत्ते में मौजूद डाइटरी फाइबर आंतों की सफाई करता है। साथ ही आंत में मौजूद विषैले पदार्थों की सफाई करता है। जिससे भूख ना लगने की समस्या खत्म हो जाती है। लेट्यूस में कुछ ऐसे रसायन मौजूद होते हैं जो कि आंतों को कैंसर जैसे बिमारियों से भी बचाता है।
आमतौर पर काहू के पत्ते का प्रयोग सलाद के लिए किया जाता है। इसीलिए जब इसके पत्ते बड़े हो जाते हैं तो इन्हें तना से काट दिया जाता है। जब इसके पत्तों को तना से काटा जाता है तब इसके तना से जूस निकलता है जो थोड़े देर बाद काला और गाढ़ा हो जाता है। इसका भी इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है। आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धती से इलाज करने वाले वैद्यों की मानें तो इसका इस्तेमाल ज्यादातर अनिद्रा की समस्या को खत्म करने के लिए ही किया जाता है।
काहू के पत्ते झुर्रिदार होते हैं, यही कारण है कि इसके पत्ते में जर्म्स आसानी से फंस जाते हैं। अगर इसके पत्ते को अच्छी तरह से धो कर प्रयोग में ना लाया जाए तो यह काफी नुकसानदेह भी हो सकता है। इसके पत्ते में मौजूद जर्म्स डायरिया और पेचिश जैसी बिमारियों को जन्म दे सकते हैं।
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